धर्मनिरपेक्षता को भारत के संविधान के उपागम से फ्रांस क्या सीख सकता है ? (150 words) [UPSC 2019]
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में समता के अधिकार की धारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी विशिष्ट विशेषताएँ अलग-अलग हैं। भारत में समता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समता के अधिकार की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 1Read more
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में समता के अधिकार की धारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी विशिष्ट विशेषताएँ अलग-अलग हैं।
भारत में समता का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समता के अधिकार की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 15 जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरियों में समान अवसर की गारंटी देता है। इसके अलावा, अनुच्छेद 17 जातिगत भेदभाव को समाप्त करता है।
भारत में समता का अधिकार सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विशेष रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त करने पर केंद्रित है।
अमेरिका में समता का अधिकार
संयुक्त राज्य अमेरिका में समता का अधिकार मुख्यतः संविधान के चौदहवें संशोधन द्वारा सुनिश्चित किया गया है, जो “समान संरक्षण का अधिकार” प्रदान करता है। यह भेदभाव के खिलाफ कानूनी सुरक्षा का आधार है। अमेरिका में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून भी बनाए गए हैं, जैसे कि नागरिक अधिकार अधिनियम (1964), जो नस्ल, रंग, धर्म, लिंग या राष्ट्रीय उत्पत्ति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करता है।
तुलना
भारत में समता का अधिकार सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में अधिक उन्मुख है, जबकि अमेरिका में यह कानूनी और राजनीतिक अधिकारों का संरक्षण करता है। भारत में समता का अधिकार विशेष रूप से कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए अधिक संवेदनशील है, जबकि अमेरिका में यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता की मूल धारणा पर केंद्रित है। दोनों संविधानों में समता का अधिकार महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके कार्यान्वयन और सामाजिक संदर्भ अलग-अलग हैं।
See less
भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता का उपागम फ्रांस के लिए कई महत्वपूर्ण सीखें प्रदान कर सकता है: 1. धर्मनिरपेक्षता का व्यावहारिक दृष्टिकोण: भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के रूप में लागू करता है। इसमें धर्म को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हिस्सRead more
भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता का उपागम फ्रांस के लिए कई महत्वपूर्ण सीखें प्रदान कर सकता है:
1. धर्मनिरपेक्षता का व्यावहारिक दृष्टिकोण:
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के रूप में लागू करता है। इसमें धर्म को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाती है, जबकि सरकार का धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप सीमित होता है। फ्रांस भी धर्मनिरपेक्षता को संप्रभुता के हिस्से के रूप में मान्यता देता है, लेकिन कभी-कभी इसे अधिक सख्ती से लागू किया जाता है।
2. धर्म और राज्य के बीच संतुलन:
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता के तहत धर्म और राज्य के बीच संतुलन बनाए रखता है, जहां राज्य सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष रहता है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा भी करता है। फ्रांस को इस संतुलन को समझने और लागू करने में मदद मिल सकती है, ताकि धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक व्यवस्था के बीच बेहतर संतुलन बनाया जा सके।
3. धार्मिक विविधता का सम्मान:
भारत का संविधान धार्मिक विविधता और बहुलता को स्वीकार करता है और उसे प्रोत्साहित करता है। यह फ्रांस को धार्मिक विविधता का सम्मान और इसे समाज में समावेशिता का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
इस प्रकार, भारत का धर्मनिरपेक्षता का उपागम फ्रांस के लिए धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता के निर्माण में उपयोगी सबक हो सकता है।
See less