संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में, समता के अधिकार की धारणा की विशिष्ट विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]]
संसदीय संप्रभुता: ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना ब्रिटिश दृष्टिकोण: "संसदीय संप्रभुता की परिभाषा": ब्रिटिश संविधान में संसदीय संप्रभुता (Parliamentary Sovereignty) का सिद्धांत मान्यता प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि ब्रिटिश संसद की विधायी शक्ति सर्वोच्च होती है। संसद द्वारा पारित कोई भी कानून सRead more
संसदीय संप्रभुता: ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना
ब्रिटिश दृष्टिकोण:
- “संसदीय संप्रभुता की परिभाषा”: ब्रिटिश संविधान में संसदीय संप्रभुता (Parliamentary Sovereignty) का सिद्धांत मान्यता प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि ब्रिटिश संसद की विधायी शक्ति सर्वोच्च होती है। संसद द्वारा पारित कोई भी कानून सर्वोच्च होता है और अदालतें उस पर कानूनी चुनौती नहीं कर सकतीं।
- “अविवादित सर्वोच्चता”: ब्रिटेन में, संसद की शक्ति को निरंतर और अद्वितीय माना जाता है, और संविधान की कोई भी अभिव्यक्ति संसद के कानून को प्रभावित नहीं कर सकती। यह एक अप्रत्यक्ष संविधान प्रणाली है जिसमें संसद की संप्रभुता अनिवार्य है।
भारतीय दृष्टिकोण:
- “संवैधानिक संप्रभुता”: भारतीय संविधान संसदीय संप्रभुता को संविधानिक संप्रभुता के साथ संयोजित करता है। भारतीय संसद की संप्रभुता संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर होती है। अदालतें संविधान के अनुसार संसद के कानूनों की समीक्षा कर सकती हैं।
- “संवैधानिक समीक्षा”: भारत में, संविधान सर्वोच्च होता है और संसद केवल संविधान के दायरे में कानून बना सकती है। इस प्रकार, भारतीय दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता संविधानिक संप्रभुता के अधीन होती है, जो अदालतों को संसद के कानूनों की समीक्षा का अधिकार देती है।
निष्कर्ष: ब्रिटिश दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता सर्वोच्च होती है, जबकि भारतीय दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता संविधान के भीतर सीमित होती है, जहाँ संविधान और अदालतें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में समता के अधिकार की धारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी विशिष्ट विशेषताएँ अलग-अलग हैं। भारत में समता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समता के अधिकार की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 1Read more
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में समता के अधिकार की धारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी विशिष्ट विशेषताएँ अलग-अलग हैं।
भारत में समता का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समता के अधिकार की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 15 जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरियों में समान अवसर की गारंटी देता है। इसके अलावा, अनुच्छेद 17 जातिगत भेदभाव को समाप्त करता है।
भारत में समता का अधिकार सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विशेष रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त करने पर केंद्रित है।
अमेरिका में समता का अधिकार
संयुक्त राज्य अमेरिका में समता का अधिकार मुख्यतः संविधान के चौदहवें संशोधन द्वारा सुनिश्चित किया गया है, जो “समान संरक्षण का अधिकार” प्रदान करता है। यह भेदभाव के खिलाफ कानूनी सुरक्षा का आधार है। अमेरिका में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून भी बनाए गए हैं, जैसे कि नागरिक अधिकार अधिनियम (1964), जो नस्ल, रंग, धर्म, लिंग या राष्ट्रीय उत्पत्ति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करता है।
तुलना
भारत में समता का अधिकार सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में अधिक उन्मुख है, जबकि अमेरिका में यह कानूनी और राजनीतिक अधिकारों का संरक्षण करता है। भारत में समता का अधिकार विशेष रूप से कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए अधिक संवेदनशील है, जबकि अमेरिका में यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता की मूल धारणा पर केंद्रित है। दोनों संविधानों में समता का अधिकार महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके कार्यान्वयन और सामाजिक संदर्भ अलग-अलग हैं।
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