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संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में, समता के अधिकार की धारणा की विशिष्ट विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]]
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में समता के अधिकार की धारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी विशिष्ट विशेषताएँ अलग-अलग हैं। भारत में समता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समता के अधिकार की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 1Read more
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में समता के अधिकार की धारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी विशिष्ट विशेषताएँ अलग-अलग हैं।
भारत में समता का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समता के अधिकार की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 15 जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरियों में समान अवसर की गारंटी देता है। इसके अलावा, अनुच्छेद 17 जातिगत भेदभाव को समाप्त करता है।
भारत में समता का अधिकार सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विशेष रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त करने पर केंद्रित है।
अमेरिका में समता का अधिकार
संयुक्त राज्य अमेरिका में समता का अधिकार मुख्यतः संविधान के चौदहवें संशोधन द्वारा सुनिश्चित किया गया है, जो “समान संरक्षण का अधिकार” प्रदान करता है। यह भेदभाव के खिलाफ कानूनी सुरक्षा का आधार है। अमेरिका में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून भी बनाए गए हैं, जैसे कि नागरिक अधिकार अधिनियम (1964), जो नस्ल, रंग, धर्म, लिंग या राष्ट्रीय उत्पत्ति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करता है।
तुलना
भारत में समता का अधिकार सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में अधिक उन्मुख है, जबकि अमेरिका में यह कानूनी और राजनीतिक अधिकारों का संरक्षण करता है। भारत में समता का अधिकार विशेष रूप से कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए अधिक संवेदनशील है, जबकि अमेरिका में यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता की मूल धारणा पर केंद्रित है। दोनों संविधानों में समता का अधिकार महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके कार्यान्वयन और सामाजिक संदर्भ अलग-अलग हैं।
See lessभारत एवं यू० एस० ए० दो विशाल लोकतंत्र हैं। उन आधारभूत सिद्धांतों का परीक्षण कीजिए जिन पर ये दो राजनीतिक तंत्र आधारित है। (250 words) [UPSC 2018]
भारत और अमेरिका: आधारभूत सिद्धांतों का परीक्षण भारत और अमेरिका दोनों विशाल लोकतंत्र हैं, लेकिन उनके राजनीतिक तंत्र अलग-अलग आधारभूत सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत: 1. संसदीय लोकतंत्र: भारत का राजनीतिक तंत्र संसदीय लोकतंत्र पर आधारित है। इसमें सरकार का गठन संसद द्वारा होता है और प्रधानमंत्री संसद का सRead more
भारत और अमेरिका: आधारभूत सिद्धांतों का परीक्षण
भारत और अमेरिका दोनों विशाल लोकतंत्र हैं, लेकिन उनके राजनीतिक तंत्र अलग-अलग आधारभूत सिद्धांतों पर आधारित हैं।
भारत:
1. संसदीय लोकतंत्र: भारत का राजनीतिक तंत्र संसदीय लोकतंत्र पर आधारित है। इसमें सरकार का गठन संसद द्वारा होता है और प्रधानमंत्री संसद का सदस्य होता है। संसद के दो सदन हैं: लोकसभा और राज्यसभा।
2. संघीय प्रणाली: भारत में संघीय प्रणाली है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्ति का वितरण होता है। राज्यों को संविधान के तहत विशेष अधिकार और स्वायत्तता प्राप्त है, जबकि केंद्र सरकार की प्राथमिकता राष्ट्रीय मुद्दों पर होती है।
3. धर्मनिरपेक्षता: भारत धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें राज्य धर्म के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता और सभी धर्मों को समान मान्यता और संरक्षण प्राप्त है।
4. बहुलवाद: भारत का राजनीतिक तंत्र बहुलवादी है, जिसमें विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के समूहों का प्रतिनिधित्व किया जाता है। यह विविधता को सम्मानित करता है और समाज के विभिन्न हिस्सों के हितों को संतुलित करता है।
अमेरिका:
1. राष्ट्रपति प्रणाली: अमेरिका का राजनीतिक तंत्र राष्ट्रपति प्रणाली पर आधारित है। राष्ट्रपति को सीधे जनसंघ द्वारा चुना जाता है और वह सरकार के प्रमुख होते हैं। कांग्रेस, जो दो सदनों (सिनेट और प्रतिनिधि सभा) में विभाजित है, कानून बनाती है, जबकि राष्ट्रपति उसे लागू करता है।
2. संघीय प्रणाली: अमेरिका में भी संघीय प्रणाली है, जिसमें संघीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्ति का वितरण होता है। राज्यों को संविधान के तहत विस्तृत अधिकार प्राप्त हैं, और संघीय सरकार केवल उन शक्तियों का प्रयोग कर सकती है जो संविधान में निर्दिष्ट हैं।
3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता: अमेरिका में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अमेरिकी संविधान का बिल ऑफ राइट्स व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं और अधिकारों की सुरक्षा करता है, जैसे स्वतंत्रता की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, और प्रेस की स्वतंत्रता।
4. पार्टी प्रणाली: अमेरिका की राजनीति में पार्टी प्रणाली प्रमुख भूमिका निभाती है, जिसमें दो प्रमुख दल—डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी—अधिकांश चुनावी परिदृश्य को नियंत्रित करते हैं। यह प्रणाली राजनीतिक स्थिरता और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करती है।
उपसंहार:
भारत और अमेरिका दोनों ही विशाल लोकतांत्रिक तंत्र हैं, लेकिन उनके राजनीतिक सिद्धांत और संरचनाएं अलग-अलग हैं। भारत का संसदीय लोकतंत्र, संघीय प्रणाली, धर्मनिरपेक्षता और बहुलवाद के सिद्धांतों पर आधारित है, जबकि अमेरिका का राष्ट्रपति प्रणाली, संघीय प्रणाली, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पार्टी प्रणाली पर जोर देता है। ये आधारभूत सिद्धांत उनके राजनीतिक तंत्रों की विशेषताएँ और कार्यप्रणाली को परिभाषित करते हैं।
See lessधर्मनिरपेक्षता को भारत के संविधान के उपागम से फ्रांस क्या सीख सकता है ? (150 words) [UPSC 2019]
भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता का उपागम फ्रांस के लिए कई महत्वपूर्ण सीखें प्रदान कर सकता है: 1. धर्मनिरपेक्षता का व्यावहारिक दृष्टिकोण: भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के रूप में लागू करता है। इसमें धर्म को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हिस्सRead more
भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता का उपागम फ्रांस के लिए कई महत्वपूर्ण सीखें प्रदान कर सकता है:
1. धर्मनिरपेक्षता का व्यावहारिक दृष्टिकोण:
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के रूप में लागू करता है। इसमें धर्म को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाती है, जबकि सरकार का धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप सीमित होता है। फ्रांस भी धर्मनिरपेक्षता को संप्रभुता के हिस्से के रूप में मान्यता देता है, लेकिन कभी-कभी इसे अधिक सख्ती से लागू किया जाता है।
2. धर्म और राज्य के बीच संतुलन:
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता के तहत धर्म और राज्य के बीच संतुलन बनाए रखता है, जहां राज्य सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष रहता है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा भी करता है। फ्रांस को इस संतुलन को समझने और लागू करने में मदद मिल सकती है, ताकि धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक व्यवस्था के बीच बेहतर संतुलन बनाया जा सके।
3. धार्मिक विविधता का सम्मान:
भारत का संविधान धार्मिक विविधता और बहुलता को स्वीकार करता है और उसे प्रोत्साहित करता है। यह फ्रांस को धार्मिक विविधता का सम्मान और इसे समाज में समावेशिता का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
इस प्रकार, भारत का धर्मनिरपेक्षता का उपागम फ्रांस के लिए धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता के निर्माण में उपयोगी सबक हो सकता है।
See lessभारत और फ्रांस के राष्ट्रपति के निर्वाचित होने की प्रक्रिया का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए । (250 words) [UPSC 2022]
भारत और फ्रांस के राष्ट्रपति के निर्वाचित होने की प्रक्रिया 1. भारत में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया संवैधानिक ढांचा: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक प्रतिनिधि प्रणाली के माध्यम से होता है, जिसमें एक निर्वाचन मंडल शामिल होता है। इस मंडल में संसद के सदस्य और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं।Read more
भारत और फ्रांस के राष्ट्रपति के निर्वाचित होने की प्रक्रिया
1. भारत में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
संवैधानिक ढांचा: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक प्रतिनिधि प्रणाली के माध्यम से होता है, जिसमें एक निर्वाचन मंडल शामिल होता है। इस मंडल में संसद के सदस्य और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। यह प्रक्रिया संघीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व का मिश्रण सुनिश्चित करती है।
निर्वाचन मंडल की संरचना:
मतदान प्रणाली:
हालिया उदाहरण: 2022 के भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को निर्वाचित किया गया। इस चुनाव में सांसदों और राज्य विधायकों के मतों का समावेश किया गया, जो संघीय और राष्ट्रीय स्वार्थों का संतुलन दर्शाता है।
2. फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
संवैधानिक ढांचा: फ्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष लोकप्रिय मतदान के माध्यम से होता है, जो सीधे लोकतंत्र को दर्शाता है।
निर्वाचन प्रक्रिया:
हालिया उदाहरण: 2022 के फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव में एमानुएल मैक्रों को दूसरे दौर में Marine Le Pen के खिलाफ विजय प्राप्त हुई, जिससे उनकी दूसरी बार राष्ट्रपति पद पर चुने गए।
तुलना:
निष्कर्ष: भारत और फ्रांस की राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रियाएँ उनके राजनीतिक और संवैधानिक ढाँचों को दर्शाती हैं। भारत की प्रणाली संघीय संतुलन और प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देती है, जबकि फ्रांस की प्रणाली सीधा लोकप्रिय मतदान पर निर्भर करती है। दोनों प्रक्रियाएँ प्रभावी नेतृत्व सुनिश्चित करने के उद्देश्य को पूरा करती हैं, लेकिन भिन्न तंत्रों के माध्यम से।
See lessसंसदीय संप्रभुता के प्रति ब्रिटिश एवं भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना करें और अंतर बताएं । (150 words)[UPSC 2023]
संसदीय संप्रभुता: ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना ब्रिटिश दृष्टिकोण: "संसदीय संप्रभुता की परिभाषा": ब्रिटिश संविधान में संसदीय संप्रभुता (Parliamentary Sovereignty) का सिद्धांत मान्यता प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि ब्रिटिश संसद की विधायी शक्ति सर्वोच्च होती है। संसद द्वारा पारित कोई भी कानून सRead more
संसदीय संप्रभुता: ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना
ब्रिटिश दृष्टिकोण:
भारतीय दृष्टिकोण:
निष्कर्ष: ब्रिटिश दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता सर्वोच्च होती है, जबकि भारतीय दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता संविधान के भीतर सीमित होती है, जहाँ संविधान और अदालतें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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