क्या भारतीय महानगरों में शहरीकरण गरीबों को और भी अधिक पृथक्करण और/या हाशिए पर ले जाता है? (250 words) [UPSC 2023]
नव मध्यवर्ग और टीयर 2 शहरों का विकास नव मध्यवर्ग का उभार: भारत में नव मध्यवर्ग का उभार उपभोक्ता संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति और उपभोक्तावाद ने टीयर 2 शहरों में खुदरा, आवासीय और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि को प्रेरित किया है। टीयर 2 शहरों का विकास: उपRead more
नव मध्यवर्ग और टीयर 2 शहरों का विकास
नव मध्यवर्ग का उभार: भारत में नव मध्यवर्ग का उभार उपभोक्ता संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति और उपभोक्तावाद ने टीयर 2 शहरों में खुदरा, आवासीय और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि को प्रेरित किया है।
टीयर 2 शहरों का विकास:
- उपभोक्ता मांग में वृद्धि: नव मध्यवर्ग की बढ़ती मांग ने टीयर 2 शहरों में मॉल्स, रेस्टोरेंट्स, और अधिक आधुनिक आवासीय परियोजनाओं के विकास को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, पुणे और चंडीगढ़ में इस प्रकार की परियोजनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
- आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि: नए व्यापारिक अवसर और निवेश आकर्षण ने टीयर 2 शहरों में स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त किया है, जैसे सूरत और लुधियाना में छोटे और मध्यम उद्योगों की वृद्धि।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार: उपभोक्ता संस्कृति और नव मध्यवर्ग की मांग के चलते टीयर 2 शहरों में सड़कें, स्वास्थ्य सेवाएं, और शैक्षिक संस्थानों में सुधार हुआ है।
निष्कर्ष: नव मध्यवर्ग के उभार ने टीयर 2 शहरों में व्यापक विकास को प्रेरित किया है, जिससे उपभोक्ता संस्कृति, आर्थिक गतिविधियाँ, और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है। इस विकास से इन शहरों की महत्वाकांक्षा और समृद्धि में वृद्धि हुई है।
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भारतीय महानगरों में शहरीकरण का गरीबों पर प्रभाव अक्सर पृथक्करण और हाशिए पर जाने की स्थिति को बढ़ा सकता है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: आवासीय असमानता: शहरीकरण के साथ, शहरों में आवास की मांग बढ़ जाती है, जिससे महंगे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स और हाई-इनकम वाले इलाकों का विस्तार होता है। गरीबों को अकRead more
भारतीय महानगरों में शहरीकरण का गरीबों पर प्रभाव अक्सर पृथक्करण और हाशिए पर जाने की स्थिति को बढ़ा सकता है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इस प्रकार, शहरीकरण अक्सर गरीबों को और अधिक हाशिए पर ले जाता है और उन्हें विकास के लाभों से वंचित करता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए, शहरी नीति और योजनाओं में समावेशिता, बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार, और गरीबों के लिए विशेष कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
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