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मुंबई, दिल्ली और कोलकाता देश के तीन विराट नगर हैं, परंतु दिल्ली में वायु प्रदूषण, अन्य दो नगरों की तुलना में कहीं अधिक गंभीर समस्या है। इसका क्या कारण है ? (200 words) [UPSC 2015]
दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीरता के कारण 1. भौगोलिक और मौसम संबंधी कारक: दिल्ली का भौगोलिक स्थिति और मौसम वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली के इंडो-गैंगेटिक प्लेन में स्थित होने के कारण तापमान इन्वर्शन होता है, जो प्रदूषकों को सतह के पास फंसा देता है। मुंबई और कोलकाता की तटीय स्थिति इन प्रदूRead more
दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीरता के कारण
1. भौगोलिक और मौसम संबंधी कारक: दिल्ली का भौगोलिक स्थिति और मौसम वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली के इंडो-गैंगेटिक प्लेन में स्थित होने के कारण तापमान इन्वर्शन होता है, जो प्रदूषकों को सतह के पास फंसा देता है। मुंबई और कोलकाता की तटीय स्थिति इन प्रदूषकों को फैलाने में सहायक होती है।
2. वाहन उत्सर्जन: दिल्ली में वाहनों की घनता और पुराने वाहन वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं। हाल के उदाहरण में, वैश्विक जलवायु सम्मेलन के बाद भी दिल्ली ने डिजल वाहनों के कारण उच्च उत्सर्जन स्तरों का सामना किया है।
3. औद्योगिक प्रदूषण: दिल्ली में औद्योगिक क्षेत्रों और निर्माण गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है। निर्माण परियोजनाएं और खानूनी मानकों की अनुपालन की कमी ने प्रदूषण को और बढ़ा दिया है।
4. मौसमी कारक: सर्दी के मौसम में दिल्ली में फसल अवशेष जलाने के कारण PM2.5 कणों का स्तर बढ़ जाता है। पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष जलाने से दिल्ली का वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।
5. पर्यावरणीय नियमों की प्रवर्तन: मुंबई और कोलकाता में पर्यावरणीय नियमों का पालन अधिक सख्ती से होता है, जबकि दिल्ली में प्रवर्तन की कमी प्रदूषण को बढ़ाती है।
ये कारक मिलकर दिल्ली में वायु प्रदूषण को मुंबई और कोलकाता की तुलना में अधिक गंभीर बनाते हैं।
See lessभारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और इसके प्रसार के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और प्रसार के कारक भारत में मलिन बस्तियाँ (slums) एक जटिल समस्या हैं, जिनके निर्माण और प्रसार के कई कारक हैं: शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि: तेजी से शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण नगरों और शहरों में आवास की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इससे गरीब तबकों को अस्थायी औRead more
भारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और प्रसार के कारक
भारत में मलिन बस्तियाँ (slums) एक जटिल समस्या हैं, जिनके निर्माण और प्रसार के कई कारक हैं:
प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार की आवश्यकता
1. योजना का दायरा और कार्यान्वयन
वर्तमान में, इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना का कार्यान्वयन असमान है। योजना को अधिक समावेशी और व्यापक बनाने की आवश्यकता है ताकि सभी मलिन बस्तियों को शामिल किया जा सके।
2. वित्तीय और तकनीकी सहायता
स्थानीय निकायों को आवश्यक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इसके साथ ही, निर्माण और पुनर्विकास के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए ताकि स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समायोजित किया जा सके।
3. सामाजिक और आर्थिक स्थिरता
मलिन बस्तियों के पुनर्विकास में केवल भौतिक पुनर्निर्माण पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता पर भी ध्यान देना चाहिए। रोजगार सृजन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
4. जनसहभागिता और निगरानी
योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जनसहभागिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए। स्थानीय निवासियों की भागीदारी से योजना की स्वीकार्यता बढ़ेगी और समस्याओं का समय पर समाधान हो सकेगा।
निष्कर्ष
See lessमलिन बस्तियों की समस्या का समाधान एक बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें बेहतर नियोजन, वित्तीय प्रबंधन, और सामाजिक नीतियों का समन्वय शामिल हो। प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार करके इस समस्या को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।
भारत के प्रमुख नगर बाढ़ दशाओं से अधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं। विवेचना कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत के प्रमुख नगरों में बाढ़ का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे ये नगर बाढ़ दशाओं के प्रति अत्यधिक असुरक्षित हो गए हैं। यह समस्या कई कारकों के संयोजन का परिणाम है: 1. अनियंत्रित शहरीकरण: तेजी से हो रहा अनियंत्रित शहरीकरण बाढ़ की समस्या का प्रमुख कारण है। नगरों का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे प्रRead more
भारत के प्रमुख नगरों में बाढ़ का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे ये नगर बाढ़ दशाओं के प्रति अत्यधिक असुरक्षित हो गए हैं। यह समस्या कई कारकों के संयोजन का परिणाम है:
1. अनियंत्रित शहरीकरण:
तेजी से हो रहा अनियंत्रित शहरीकरण बाढ़ की समस्या का प्रमुख कारण है। नगरों का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियाँ बाधित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई और चेन्नई जैसे नगरों में पारंपरिक जल निकासी नालों और जलमार्गों पर अतिक्रमण हो गया है, जिससे भारी वर्षा के समय जल जमाव और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
2. अपर्याप्त और पुराना बुनियादी ढांचा:
भारत के अधिकांश नगरों में जल निकासी और सीवेज प्रणालियाँ पुरानी और अपर्याप्त हैं। अत्यधिक बारिश के दौरान ये प्रणालियाँ पर्याप्त रूप से काम नहीं कर पातीं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। कोलकाता और दिल्ली जैसे नगरों में यह समस्या आम है।
3. जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे भारी वर्षा और चक्रवात जैसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो रही है। हाल के वर्षों में बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना जैसे नगरों में असामान्य रूप से भारी बारिश और अचानक बाढ़ की घटनाएँ देखी गई हैं।
4. भूमि उपयोग में बदलाव:
वनों की कटाई, जलाशयों का अतिक्रमण, और भूमि का अनियंत्रित उपयोग बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है। मुंबई के मीठी नदी और चेन्नई के जलाशयों पर हुए अतिक्रमण इसके प्रमुख उदाहरण हैं, जहाँ भारी बारिश के दौरान जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है।
5. आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमी:
अधिकांश नगरों में बाढ़ से निपटने के लिए पर्याप्त आपातकालीन योजना और तैयारी की कमी है। इसका परिणाम यह होता है कि बाढ़ की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती, जिससे जन-धन की हानि बढ़ जाती है।
इन कारणों से भारत के प्रमुख नगर बाढ़ के प्रति अत्यधिक असुरक्षित हो गए हैं। बाढ़ की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता से निपटने के लिए शहरी योजना, बुनियादी ढांचे के उन्नयन, और जलवायु अनुकूलन उपायों की तत्काल आवश्यकता है।
See lessभारत में नगरीय जीवन की गुणता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, 'स्मार्ट नगर कार्यक्रम' के उद्देश्य और रणनीति बताइए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत में नगरीय जीवन की गुणवत्ता समय के साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। तीव्र शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, यातायात जाम, प्रदूषण, और अनियंत्रित शहरी विस्तार ने नगरीय जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की असमानता, स्वच्छता की कमी, और सुरक्षाRead more
भारत में नगरीय जीवन की गुणवत्ता समय के साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। तीव्र शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, यातायात जाम, प्रदूषण, और अनियंत्रित शहरी विस्तार ने नगरीय जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की असमानता, स्वच्छता की कमी, और सुरक्षा संबंधी चिंताओं ने भी जीवन को कठिन बना दिया है। इन समस्याओं को दूर करने और शहरी जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भारत सरकार ने 2015 में ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ (Smart City Mission) की शुरुआत की।
स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के उद्देश्य:
See lessजीवन की गुणवत्ता में सुधार: नागरिकों के लिए बेहतर आधारभूत सुविधाएँ, जैसे कि स्वच्छ जल, कुशल परिवहन, और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करना।
सतत् और समावेशी विकास: संसाधनों का कुशल उपयोग करते हुए सतत् विकास को सुनिश्चित करना, जिसमें हरित ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, और जल संरक्षण शामिल है।
डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग: सेवाओं की कुशल डिलीवरी के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग, जिससे ई-गवर्नेंस, स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, और निगरानी प्रणाली स्थापित की जा सके।
रणनीति:
क्षेत्र आधारित विकास: पुराने क्षेत्रों का पुनर्विकास (रेडेवेलपमेंट), नए क्षेत्रों का विकास, और उपयुक्त क्षेत्रों में समग्र विकास की योजना।
पैन-सिटी पहल: पूरे शहर में स्मार्ट समाधान लागू करना, जैसे कि स्मार्ट मीटर, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, और ऑनलाइन सेवाएं।
नागरिक भागीदारी: नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना, जिससे उनके सुझावों और आवश्यकताओं के आधार पर योजनाएं बनाई जा सकें।
सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP): परियोजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
‘स्मार्ट सिटी मिशन’ का उद्देश्य भारत के शहरी क्षेत्रों को अधिक रहने योग्य, कुशल, और समृद्ध बनाना है, ताकि नागरिकों को उच्च जीवन स्तर और बेहतर आर्थिक अवसर प्राप्त हो सकें।
"भारत में अवक्षयी (डिप्लीटिंग) भौम जल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संरक्षण प्रणाली है।" शहरी क्षेत्रों में इसको किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है ?(250 words) [UPSC 2018]
भारत में शहरी क्षेत्रों में अवक्षयी भौम जल संसाधनों के संरक्षण के उपाय परिचय: भारत में अवक्षयी (डिप्लीटिंग) भौम जल संसाधनों की समस्या गंभीर होती जा रही है। शहरीकरण और जल की अधिक खपत के कारण इन संसाधनों का स्तर लगातार घट रहा है। शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपRead more
भारत में शहरी क्षेत्रों में अवक्षयी भौम जल संसाधनों के संरक्षण के उपाय
परिचय: भारत में अवक्षयी (डिप्लीटिंग) भौम जल संसाधनों की समस्या गंभीर होती जा रही है। शहरीकरण और जल की अधिक खपत के कारण इन संसाधनों का स्तर लगातार घट रहा है। शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं।
जल पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग:
सतत जल उपयोग:
सार्वजनिक जागरूकता और नीति समर्थन:
निष्कर्ष: शहरी क्षेत्रों में अवक्षयी भौम जल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संरक्षण प्रणाली है। इसके लिए वृष्टि जल संचयन, वेस्ट वॉटर रीसाइक्लिंग, पानी की बचत करने वाले उपकरण, और सार्वजनिक जागरूकता जैसे उपाय प्रभावी हो सकते हैं। इन उपायों के माध्यम से जल संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है।
See lessदक्ष और किफायती (ऐफोर्डेबल) शहरी सार्वजनिक परिवहन किस प्रकार भारत के द्रुत आर्थिक विकास की कुंजी है ? (250 words) [UPSC 2019]
दक्ष और किफायती शहरी सार्वजनिक परिवहन और भारत के द्रुत आर्थिक विकास परिचय: दक्ष और किफायती शहरी सार्वजनिक परिवहन (Urban Public Transport) भारत के द्रुत आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कुंजी है। तेजी से बढ़ती शहरी जनसंख्या और तीव्र शहरीकरण के दौर में, एक प्रभावशाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली न केवल शRead more
दक्ष और किफायती शहरी सार्वजनिक परिवहन और भारत के द्रुत आर्थिक विकास
परिचय: दक्ष और किफायती शहरी सार्वजनिक परिवहन (Urban Public Transport) भारत के द्रुत आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कुंजी है। तेजी से बढ़ती शहरी जनसंख्या और तीव्र शहरीकरण के दौर में, एक प्रभावशाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली न केवल शहरों के यातायात को व्यवस्थित करती है बल्कि आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
दक्ष और किफायती शहरी सार्वजनिक परिवहन के लाभ:
हाल की घटनाएँ: हाल ही में, “मेट्रो रेल नेटवर्क का विस्तार” और “स्मार्ट सिटी मिशन” जैसी परियोजनाएँ भारत के शहरी परिवहन को दुरुस्त करने में मदद कर रही हैं। इन योजनाओं से आर्थिक प्रभाव और परिवर्तनशीलता का उदाहरण देखा जा सकता है।
निष्कर्ष: दक्ष और किफायती शहरी सार्वजनिक परिवहन भारत के द्रुत आर्थिक विकास की कुंजी है। यह न केवल यातायात समस्याओं का समाधान करता है, बल्कि आर्थिक अवसरों, पर्यावरणीय स्थिरता, और सामाजिक समावेशन को भी बढ़ावा देता है। भविष्य में, शहरी परिवहन प्रणाली के सुधार और विस्तार के प्रयास भारतीय शहरों की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
See lessभारत में दशलक्षीय नगरों जिनमें हैदराबाद एवं पुणे जैसे स्मार्ट सिटीज़ भी सम्मिलित हैं, में व्यापक बाढ़ के कारण बताइए । स्थायी निराकरण के उपाय भी सुझाइए। (250 words) [UPSC 2020]
भारत में दशलक्षीय नगरों में बाढ़ के कारण और स्थायी निराकरण के उपाय परिचय भारत के दशलक्षीय नगरों, जैसे हैदराबाद और पुणे, में बाढ़ की समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। ये समस्याएँ न केवल इन नगरों की इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता को चुनौती देती हैं, बल्कि जनजीवन और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित करती हैं। बाढ़Read more
भारत में दशलक्षीय नगरों में बाढ़ के कारण और स्थायी निराकरण के उपाय
परिचय
भारत के दशलक्षीय नगरों, जैसे हैदराबाद और पुणे, में बाढ़ की समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। ये समस्याएँ न केवल इन नगरों की इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता को चुनौती देती हैं, बल्कि जनजीवन और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित करती हैं।
बाढ़ के कारण
स्थायी निराकरण के उपाय
निष्कर्ष
भारत के दशलक्षीय नगरों में बाढ़ की समस्याएँ गंभीर हैं, लेकिन उचित नियोजन, आधुनिक प्रौद्योगिकी, और प्रभावी नीतियों के माध्यम से स्थायी समाधान संभव हैं। नगरों को अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ लागू करनी चाहिए।
See lessचूंकि भारत ग्रामीण से शहरी समाज में परिवर्तित हो रहा है, ऐसे में टीयर 2 और टीयर 3 शहर देश की आर्थिक वृद्धि के चालक बन सकते हैं। चर्चा कीजिए। साथ ही, इन शहरों की आर्थिक वृद्धि को बाधित करने वाले प्रमुख मुद्दों की जांच कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, और इसके साथ ही टीयर 2 और टीयर 3 शहर देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। इन शहरों की जनसंख्या बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ता बाजार का विस्तार हो रहा है। कई कंपनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और स्थानRead more
भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, और इसके साथ ही टीयर 2 और टीयर 3 शहर देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। इन शहरों की जनसंख्या बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ता बाजार का विस्तार हो रहा है। कई कंपनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। इसके अलावा, सरकार की स्मार्ट सिटी पहल और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं ने भी इन शहरों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है।
टीयर 2 और टीयर 3 शहरों की आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
संरचनात्मक सुधार: अच्छी परिवहन सुविधाएं, जल आपूर्ति, बिजली, और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास करना आवश्यक है ताकि उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिले।
शिक्षा और कौशल विकास: इन शहरों में युवाओं को बेहतर शिक्षा और तकनीकी कौशल प्रदान करने से स्थानीय उद्योगों को कुशल श्रमशक्ति मिलेगी।
निवेश का आकर्षण: इन शहरों में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीति और टैक्स प्रोत्साहन आवश्यक हैं।
हालांकि, कई चुनौतियाँ भी हैं:
अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: कई शहरों में अभी भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है, जिससे उद्योगों को संचालित करने में कठिनाई होती है।
कौशल की कमी: स्थानीय स्तर पर कुशल श्रमिकों की कमी है, जिससे उद्योगों की उत्पादकता प्रभावित हो रही है।
निवेश में कमी: टीयर 1 शहरों की तुलना में निवेशकों की रुचि कम होती है, जिससे इन शहरों में आर्थिक विकास धीमा है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए समग्र और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है, जिससे इन शहरों की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके और भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान बढ़ाया जा सके।
See lessशहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव क्या हैं ? उदाहरणों सहित समझाइए । (150 words)[UPSC 2021]
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव पारिस्थितिकीय प्रभाव: पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमRead more
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव
पारिस्थितिकीय प्रभाव:
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
इन पर्यावरणीय प्रभावों से बचने के लिए, जल निकायों के संरक्षण और सतत भूमि उपयोग की नीतियाँ अपनाना आवश्यक है।
See lessउपभोक्ता संस्कृति के विशेष परिप्रेक्ष्य में नव मध्यवर्ग के उभार से टीयर 2 शहरों का विकास किस तरह सम्बन्धित है ? (150 words)[UPSC 2022]
नव मध्यवर्ग और टीयर 2 शहरों का विकास नव मध्यवर्ग का उभार: भारत में नव मध्यवर्ग का उभार उपभोक्ता संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति और उपभोक्तावाद ने टीयर 2 शहरों में खुदरा, आवासीय और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि को प्रेरित किया है। टीयर 2 शहरों का विकास: उपRead more
नव मध्यवर्ग और टीयर 2 शहरों का विकास
नव मध्यवर्ग का उभार: भारत में नव मध्यवर्ग का उभार उपभोक्ता संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति और उपभोक्तावाद ने टीयर 2 शहरों में खुदरा, आवासीय और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि को प्रेरित किया है।
टीयर 2 शहरों का विकास:
निष्कर्ष: नव मध्यवर्ग के उभार ने टीयर 2 शहरों में व्यापक विकास को प्रेरित किया है, जिससे उपभोक्ता संस्कृति, आर्थिक गतिविधियाँ, और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है। इस विकास से इन शहरों की महत्वाकांक्षा और समृद्धि में वृद्धि हुई है।
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