क्या भारतीय महानगरों में शहरीकरण गरीबों को और भी अधिक पृथक्करण और/या हाशिए पर ले जाता है? (250 words) [UPSC 2023]
भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, और इसके साथ ही टीयर 2 और टीयर 3 शहर देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। इन शहरों की जनसंख्या बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ता बाजार का विस्तार हो रहा है। कई कंपनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और स्थानRead more
भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, और इसके साथ ही टीयर 2 और टीयर 3 शहर देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। इन शहरों की जनसंख्या बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ता बाजार का विस्तार हो रहा है। कई कंपनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। इसके अलावा, सरकार की स्मार्ट सिटी पहल और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं ने भी इन शहरों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है।
टीयर 2 और टीयर 3 शहरों की आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
संरचनात्मक सुधार: अच्छी परिवहन सुविधाएं, जल आपूर्ति, बिजली, और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास करना आवश्यक है ताकि उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिले।
शिक्षा और कौशल विकास: इन शहरों में युवाओं को बेहतर शिक्षा और तकनीकी कौशल प्रदान करने से स्थानीय उद्योगों को कुशल श्रमशक्ति मिलेगी।
निवेश का आकर्षण: इन शहरों में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीति और टैक्स प्रोत्साहन आवश्यक हैं।
हालांकि, कई चुनौतियाँ भी हैं:
अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: कई शहरों में अभी भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है, जिससे उद्योगों को संचालित करने में कठिनाई होती है।
कौशल की कमी: स्थानीय स्तर पर कुशल श्रमिकों की कमी है, जिससे उद्योगों की उत्पादकता प्रभावित हो रही है।
निवेश में कमी: टीयर 1 शहरों की तुलना में निवेशकों की रुचि कम होती है, जिससे इन शहरों में आर्थिक विकास धीमा है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए समग्र और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है, जिससे इन शहरों की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके और भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान बढ़ाया जा सके।
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भारतीय महानगरों में शहरीकरण का गरीबों पर प्रभाव अक्सर पृथक्करण और हाशिए पर जाने की स्थिति को बढ़ा सकता है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: आवासीय असमानता: शहरीकरण के साथ, शहरों में आवास की मांग बढ़ जाती है, जिससे महंगे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स और हाई-इनकम वाले इलाकों का विस्तार होता है। गरीबों को अकRead more
भारतीय महानगरों में शहरीकरण का गरीबों पर प्रभाव अक्सर पृथक्करण और हाशिए पर जाने की स्थिति को बढ़ा सकता है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इस प्रकार, शहरीकरण अक्सर गरीबों को और अधिक हाशिए पर ले जाता है और उन्हें विकास के लाभों से वंचित करता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए, शहरी नीति और योजनाओं में समावेशिता, बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार, और गरीबों के लिए विशेष कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
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