भारत में नगरीय जीवन की गुणता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, ‘स्मार्ट नगर कार्यक्रम’ के उद्देश्य और रणनीति बताइए। (200 words) [UPSC 2016]
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव पारिस्थितिकीय प्रभाव: पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमRead more
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव
पारिस्थितिकीय प्रभाव:
- पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमि-उद्धार ने स्थानीय जलवायु में परिवर्तन और गर्मी की वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
- पानी की गुणवत्ता में कमी: भूमि-उद्धार से जल निकायों में प्रदूषण और अवसादन बढ़ता है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। नई दिल्ली में यमुनापार क्षेत्र में भूमि-उद्धार के कारण यमुना नदी में प्रदूषण में वृद्धि देखी गई है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- विच्छेदन और जलवायु परिवर्तन: जल निकायों की कमी से बाढ़ और सूखा जैसी समस्याओं में वृद्धि होती है। चंडीगढ़ में, भूमि-उद्धार के बाद बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिससे स्थानीय समुदायों को नुकसान हुआ है।
- जैव विविधता का नुकसान: जल निकायों से भूमि-उद्धार से जलीय जीवों और पक्षियों की प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं। बेंगलुरु में पुराने तालाबों का भूमि-उद्धार से स्थानीय जैव विविधता को नुकसान पहुँचा है।
इन पर्यावरणीय प्रभावों से बचने के लिए, जल निकायों के संरक्षण और सतत भूमि उपयोग की नीतियाँ अपनाना आवश्यक है।
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भारत में नगरीय जीवन की गुणवत्ता समय के साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। तीव्र शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, यातायात जाम, प्रदूषण, और अनियंत्रित शहरी विस्तार ने नगरीय जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की असमानता, स्वच्छता की कमी, और सुरक्षाRead more
भारत में नगरीय जीवन की गुणवत्ता समय के साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। तीव्र शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, यातायात जाम, प्रदूषण, और अनियंत्रित शहरी विस्तार ने नगरीय जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की असमानता, स्वच्छता की कमी, और सुरक्षा संबंधी चिंताओं ने भी जीवन को कठिन बना दिया है। इन समस्याओं को दूर करने और शहरी जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भारत सरकार ने 2015 में ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ (Smart City Mission) की शुरुआत की।
स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के उद्देश्य:
See lessजीवन की गुणवत्ता में सुधार: नागरिकों के लिए बेहतर आधारभूत सुविधाएँ, जैसे कि स्वच्छ जल, कुशल परिवहन, और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करना।
सतत् और समावेशी विकास: संसाधनों का कुशल उपयोग करते हुए सतत् विकास को सुनिश्चित करना, जिसमें हरित ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, और जल संरक्षण शामिल है।
डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग: सेवाओं की कुशल डिलीवरी के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग, जिससे ई-गवर्नेंस, स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, और निगरानी प्रणाली स्थापित की जा सके।
रणनीति:
क्षेत्र आधारित विकास: पुराने क्षेत्रों का पुनर्विकास (रेडेवेलपमेंट), नए क्षेत्रों का विकास, और उपयुक्त क्षेत्रों में समग्र विकास की योजना।
पैन-सिटी पहल: पूरे शहर में स्मार्ट समाधान लागू करना, जैसे कि स्मार्ट मीटर, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, और ऑनलाइन सेवाएं।
नागरिक भागीदारी: नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना, जिससे उनके सुझावों और आवश्यकताओं के आधार पर योजनाएं बनाई जा सकें।
सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP): परियोजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
‘स्मार्ट सिटी मिशन’ का उद्देश्य भारत के शहरी क्षेत्रों को अधिक रहने योग्य, कुशल, और समृद्ध बनाना है, ताकि नागरिकों को उच्च जीवन स्तर और बेहतर आर्थिक अवसर प्राप्त हो सकें।