खपत पैटर्न एवं विपणन दशाओं में परिवर्तन के संदर्भ में, भारत में फसल प्रारूप (क्रॉपिंग पैटर्न) में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं: वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं। हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों कोRead more
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं।
हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों को पोषक तत्वयुक्त जल में उगाया जाता है।
एरोपोनिक्स: पौधों की जड़ों को हवा में निलंबित कर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है।
रूफ गार्डनिंग: इमारतों की छतों पर बागवानी की जाती है।
भारत में शहरी कृषि का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, शहरी क्षेत्रों में ताजे और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराता है, और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करता है। इससे शहरों में भोजन की पहुंच आसान होती है और यह स्थानीय रोजगार भी सृजित करता है। शहरी कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और खाद्य संसाधनों की स्थिरता को बढ़ाने में भी सहायक है।
भारत में फसल प्रारूप (क्रॉपिंग पैटर्न) में परिवर्तन: 1. खपत पैटर्न में परिवर्तन: उदाहरण: भारतीय उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएं, जैसे कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और अधिक प्रोटीन युक्त आहार की मांग, ने फसल प्रारूप में बदलाव को प्रेरित किया है। उदाहरण के लिए, दलहन और ताजे फल-सब्जियों की मांग में वRead more
भारत में फसल प्रारूप (क्रॉपिंग पैटर्न) में परिवर्तन:
1. खपत पैटर्न में परिवर्तन:
2. विपणन दशाओं में परिवर्तन:
3. सरकारी नीतियों का प्रभाव:
4. जलवायु परिवर्तन:
इन कारकों के कारण, भारत में फसल प्रारूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो खपत पैटर्न और विपणन दशाओं में बदलाव के अनुरूप हैं।
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