फसल पद्धति और फसल प्रणाली के बीच अंतर को स्पष्ट कीजिए। साथ ही, भारत में प्रचलित विभिन्न प्रकार की फसल प्रणालियों पर चर्चा कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं: वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं। हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों कोRead more
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं।
हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों को पोषक तत्वयुक्त जल में उगाया जाता है।
एरोपोनिक्स: पौधों की जड़ों को हवा में निलंबित कर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है।
रूफ गार्डनिंग: इमारतों की छतों पर बागवानी की जाती है।
भारत में शहरी कृषि का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, शहरी क्षेत्रों में ताजे और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराता है, और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करता है। इससे शहरों में भोजन की पहुंच आसान होती है और यह स्थानीय रोजगार भी सृजित करता है। शहरी कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और खाद्य संसाधनों की स्थिरता को बढ़ाने में भी सहायक है।
फसल पद्धति और फसल प्रणाली में अंतर यह है कि फसल पद्धति एक विशिष्ट फसल की उगाने की विधि को दर्शाती है, जबकि फसल प्रणाली एक साथ उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों का एक व्यवस्थित समूह है। फसल पद्धति: यह एक विशिष्ट फसल के उत्पादन की विधि को संदर्भित करती है, जैसे कि सिंचित, वर्षा आधारित, या जैविक खेती। उदाहरRead more
फसल पद्धति और फसल प्रणाली में अंतर यह है कि फसल पद्धति एक विशिष्ट फसल की उगाने की विधि को दर्शाती है, जबकि फसल प्रणाली एक साथ उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों का एक व्यवस्थित समूह है।
फसल पद्धति: यह एक विशिष्ट फसल के उत्पादन की विधि को संदर्भित करती है, जैसे कि सिंचित, वर्षा आधारित, या जैविक खेती। उदाहरण के लिए, चावल की खेती में हवाई खेत की विधि एक फसल पद्धति है।
फसल प्रणाली: यह एक कृषि प्रबंधन प्रणाली है जिसमें एक साथ या अनुक्रमिक रूप से उगाई जाने वाली फसलों का संयोजन होता है। यह फसलें विभिन्न उद्देश्यों, जैसे खाद्य सुरक्षा, भूमि उपयोग या आर्थिक लाभ के लिए चुनी जाती हैं।
भारत में प्रमुख फसल प्रणालियाँ निम्नलिखित हैं:
मल्टी-क्रॉपिंग (Multi-Cropping): एक ही खेत में विभिन्न फसलों की बारी-बारी से खेती, जैसे कि गेंहू के बाद चने की फसल।
इंटर-क्रॉपिंग (Inter-Cropping): एक ही समय में विभिन्न फसलों की खेती, जैसे मक्का और दालें एक साथ।
सिल्वो-अग्रीकल्चर (Silvo-Agriculture): कृषि और वानिकी के संयोजन में फसलें, जैसे पेड़ और फसलें एक ही खेत में उगाना।
रोटेशनल क्रॉपिंग (Rotational Cropping): एक ही क्षेत्र में समय-समय पर विभिन्न फसलों का अनुक्रम, जैसे गेंहू और चावल का परिवर्तन।
ये प्रणालियाँ भूमि उपयोग को बेहतर बनाती हैं और संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करती हैं।
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