सहायिकियां सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? लघु और सीमांत कृषकों के लिए, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है ? (250 words) [UPSC 2017]
धान और गेहूँ की गिरती हुई उपज के मुख्य कारण और सस्य विविधीकरण का योगदान **1. धान और गेहूँ की गिरती हुई उपज के मुख्य कारण: **1. मृदा अवसाद: पोषण की कमी: लगातार धान और गेहूँ की खेती से मृदा में पोषक तत्वों की कमी हो गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अध्ययन के अनुसार, रासायनिक उर्वरकों पर अत्Read more
धान और गेहूँ की गिरती हुई उपज के मुख्य कारण और सस्य विविधीकरण का योगदान
**1. धान और गेहूँ की गिरती हुई उपज के मुख्य कारण:
**1. मृदा अवसाद:
- पोषण की कमी: लगातार धान और गेहूँ की खेती से मृदा में पोषक तत्वों की कमी हो गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अध्ययन के अनुसार, रासायनिक उर्वरकों पर अत्यधिक निर्भरता से मृदा की उर्वरता में कमी आई है।
**2. जल संकट:
- अधिक जल उपयोग: धान की खेती के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है, जिसके कारण भूजल स्तर में कमी आ रही है। पंजाब और हरियाणा जैसे क्षेत्रों में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है।
**3. जलवायु परिवर्तन:
- तापमान में वृद्धि: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और अनियमित मौसम patterns फसल की वृद्धि और उपज को प्रभावित कर रहे हैं। 2015-16 का एल निनो घटना ने गेहूँ की उपज को प्रभावित किया।
**4. कीट और रोगों का दबाव:
- रोगों की बढ़ती घटनाएँ: सघन खेती की पद्धतियों के कारण कीट और रोगों का दबाव बढ़ गया है। 2016 में गेहूँ पर लगा उग्र रोग गेहूँ की उपज को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
**5. सिंगल फसल पद्धति:
- विविधता की कमी: एक ही फसल की लगातार खेती से मृदा पोषक तत्वों की कमी और कीट व रोगों का खतरा बढ़ता है।
**2. सस्य विविधीकरण का उपज स्थिरीकरण में योगदान:
**1. मृदा स्वास्थ्य में सुधार:
- पोषक तत्वों की पुनः प्राप्ति: फसलों की विविधता, जैसे धान के साथ दालें या तिलहन लगाना, मृदा के स्वास्थ्य में सुधार करती है और पोषक तत्वों की पुनः प्राप्ति में मदद करती है। मध्यम प्रदेश में दालों के साथ धान की खेती ने मृदा के स्वास्थ्य में सुधार किया है।
**2. जल उपयोग की दक्षता:
- जल की बचत: विविध फसलों की खेती से कुल जल की मांग कम हो जाती है। सूखा-प्रतिरोधी फसलों जैसे ज्वार और बाजरा को शामिल करने से जल उपयोग में सुधार हुआ है।
**3. कीट और रोग प्रबंधन:
- रोगों का नियंत्रण: फसलों का विविधीकरण कीट और रोगों के जीवन चक्र को तोड़ता है, जिससे उनकी घटनाओं में कमी आती है। आंध्र प्रदेश में फसल विविधीकरण की पद्धतियों ने कीट प्रबंधन में सफलता पाई है।
**4. जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता:
- जलवायु अनुकूलन: विविध फसल प्रणाली जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील होती है। सोरघम और बाजरा जैसे जलवायु-सहनीय फसलों को अपनाने से चरम मौसम घटनाओं का प्रभाव कम हुआ है।
**5. आर्थिक लाभ:
- आय का विविधीकरण: सस्य विविधीकरण किसानों को विभिन्न स्रोतों से आय प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे उनके आर्थिक जोखिम में कमी आती है। सब्जियों और फलों की खेती ने किसानों की आय को बढ़ाया और बाजार तक पहुंच को सुधारने में मदद की।
हालिया उदाहरण:
- पंजाब का सस्य विविधीकरण योजना (2020): पंजाब सरकार ने धान और गेहूँ के स्थान पर मक्का, दालें और तिलहन की खेती को प्रोत्साहित किया है, जिससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार हुआ और उपज में स्थिरता आई है।
निष्कर्ष:
- धान और गेहूँ की गिरती हुई उपज के प्रमुख कारणों में मृदा अवसाद, जल संकट, जलवायु परिवर्तन, कीट और रोग दबाव, और सिंगल फसल पद्धति शामिल हैं। सस्य विविधीकरण मृदा स्वास्थ्य सुधार, जल उपयोग की दक्षता, कीट और रोग प्रबंधन, जलवायु सहनशीलता, और आर्थिक लाभ प्रदान करता है। इन उपायों को अपनाकर उपज को स्थिर किया जा सकता है और कृषि प्रणाली को सशक्त किया जा सकता है।
सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव **1. सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप पर प्रभाव: **1. विशिष्ट फसलों की ओर झुकाव: सहायिकाओं की प्राथमिकता: खाद्य और उर्वरक सब्सिडी के कारण कुछ फसलों जैसे धान और गेहूँ को प्राथमिकता दी जाती है। उदाहरण के लिए, धान के लिए सब्सिडीRead more
सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
**1. सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप पर प्रभाव:
**1. विशिष्ट फसलों की ओर झुकाव:
**2. संसाधन विषमताएँ:
**3. आर्थिक प्रभाव:
**2. सस्य विविधता पर प्रभाव:
**1. सस्य विविधता में कमी:
**2. पर्यावरणीय समस्याएँ:
**3. आर्थिक अस्थिरता:
**3. लघु और सीमांत कृषकों के लिए महत्त्वपूर्ण तत्व:
**1. फसल बीमा:
**2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):
**3. खाद्य प्रसंस्करण:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष: