फ़सल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं ? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फ़सल विविधता के लिए किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं ? (250 words) [UPSC 2021]
विशेष फसलों पर जोर और सस्पन पैटनों में परिवर्तन 1. विशेष फसलों पर जोर: सरकार की नीतियाँ: हाल के वर्षों में, सरकार ने विशेष फसलों जैसे धान और गेंहू पर जोर देने के साथ-साथ मोटे अनाज (मिलट्स) जैसे बाजरा, रागी, और कोदो की ओर भी ध्यान केंद्रित किया है। यह बदलाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली और फसल विविधता के सRead more
विशेष फसलों पर जोर और सस्पन पैटनों में परिवर्तन
1. विशेष फसलों पर जोर:
- सरकार की नीतियाँ: हाल के वर्षों में, सरकार ने विशेष फसलों जैसे धान और गेंहू पर जोर देने के साथ-साथ मोटे अनाज (मिलट्स) जैसे बाजरा, रागी, और कोदो की ओर भी ध्यान केंद्रित किया है। यह बदलाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली और फसल विविधता के संरक्षण के लिए किया गया है।
- कृषि सब्सिडी और प्रोत्साहन: धान और गेंहू की ज़्यादा उपज के कारण, इन फसलों के लिए सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की गई। लेकिन, यह नीतियाँ अन्य फसलों, विशेषकर मोटे अनाजों, की अनदेखी कर देती थीं।
2. मोटे अनाजों (मिलट्स) का महत्व:
- स्वास्थ्य लाभ: मिलट्स जैसे बाजरा और रागी में उच्च प्रोटीन, फाइबर, और मिनरल्स होते हैं। ये फसलें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली होती हैं और मधुमेह और हृदय रोगों के खतरे को कम करती हैं।
- जलवायु अनुकूलता: मिलट्स कम पानी की आवश्यकता होती है और सूखा सहनशील होते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ये फसलें अधिक उपयुक्त हैं।
3. हालिया पहलें:
- राष्ट्रीय मिलट्स मिशन: भारत सरकार ने राष्ट्रीय मिलट्स मिशन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य मिलट्स के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देना है। इस मिशन के तहत तकनीकी सहायता, वित्तीय प्रोत्साहन, और शिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
- प्रेरक योजनाएँ: फसलों की विविधता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें भी विशेष योजनाएँ चला रही हैं, जैसे मोटे अनाज विकास कार्यक्रम, जो किसानों को मिलट्स की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
4. सस्पन पैटनों में बदलाव:
- फसल विविधता: सरकार और नीति-निर्माताओं के प्रयास से, किसान अब अधिक मिलट्स की खेती कर रहे हैं, जिससे फसल विविधता में वृद्धि हो रही है। यह बदलाव आर्थिक स्थिरता और जलवायु अनुकूलता में सुधार ला रहा है।
- विपणन और उपभोग: मिलट्स की बढ़ती लोकप्रियता और स्वास्थ्य लाभों के कारण, इनकी मांग और उपभोग बढ़ रहा है, जिससे इनके उत्पादन को प्रोत्साहन मिल रहा है।
5. निष्कर्ष: विशेष फसलों पर जोर ने सस्पन पैटनों में परिवर्तन लाया है। सरकार की नीतियों के तहत मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के प्रयास ने न केवल किसानों के लिए फसल विविधता बढ़ाई है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता में भी योगदान दिया है। यह बदलाव भारत के कृषि क्षेत्र की सततता और विकास के लिए सकारात्मक संकेत है।
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फ़सल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ 1. एकल फसल पर निर्भरता: भारत के कई क्षेत्रों में एकल फसल की निर्भरता, जैसे धान या गेंहू, पारंपरिक प्रथाओं और बाज़ार प्रोत्साहनों के कारण है। इस पर निर्भरता विविध फसलों को अपनाने में बाधक है। 2. अवसंरचना की कमी: सभी क्षेत्रों में पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं, बाज़ारRead more
फ़सल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ
1. एकल फसल पर निर्भरता: भारत के कई क्षेत्रों में एकल फसल की निर्भरता, जैसे धान या गेंहू, पारंपरिक प्रथाओं और बाज़ार प्रोत्साहनों के कारण है। इस पर निर्भरता विविध फसलों को अपनाने में बाधक है।
2. अवसंरचना की कमी: सभी क्षेत्रों में पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं, बाज़ार पहुँच और भंडारण सुविधाओं की कमी से किसानों को नई या विविध फसलों की खेती में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए, पानी की कमी वाले क्षेत्रों में किसान पानी की अधिक माँग वाली फसलों पर ध्यान देते हैं।
3. आर्थिक जोखिम: नई फसलों की आर्थिक जोखिम जैसे मूल्य अनिश्चितता और उत्पादकता की समस्याएँ किसान को विविधता अपनाने से रोकती हैं। जैसे, फलों और सब्जियों की खेती में अधिक निवेश और जोखिम होता है।
4. ज्ञान और विस्तार सेवाओं की कमी: फसल विविधता के लाभ और तकनीकों के बारे में अक्सर ज्ञान की कमी होती है। कृषि विस्तार सेवाएँ नई फसलों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करने में असमर्थ हो सकती हैं।
उभरती प्रौद्योगिकियाँ फ़सल विविधता के लिए अवसर
1. सटीक कृषि: ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और मिट सेंसर जैसी प्रौद्योगिकियाँ मिट्टी की स्थिति का मूल्यांकन करने में मदद करती हैं और उचित फसलों का चयन करती हैं। उदाहरण के लिए, सटीक कृषि किसानों को बेहतर फसल चयन में सहायता करती है।
2. आनुवंशिक सुधार: फसल आनुवंशिकी में उन्नति से सूखा सहनशील और उच्च उत्पादकता वाली प्रजातियाँ विकसित हुई हैं। Bt कपास और बायोफोर्टिफाइड फसलों की शुरुआत विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलन में मदद करती है।
3. जलवायु-स्मार्ट कृषि: जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाएँ, जैसे ड्रिप सिंचाई और वृष्टि जल संचयन, किसानों को प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के बावजूद विविध फसलों की खेती में मदद करती हैं।
4. डिजिटल प्लेटफॉर्म: कृषि-टेक प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स जैसे किसान सुविधा वास्तविक समय की बाज़ार जानकारी, मौसम पूर्वानुमान, और विशेषज्ञ सलाह प्रदान करते हैं, जिससे किसानों को फसल विविधता के निर्णय में सहायता मिलती है।
5. आपूर्ति श्रृंखला नवाचार: कोल्ड स्टोरेज समाधान और प्रभावी लॉजिस्टिक्स उच्च मूल्य वाली फसलों जैसे फलों और सब्जियों की बाज़ार में पहुँच और शेल्फ-लाइफ को सुधारते हैं, जिससे किसानों को विविध फसलों की खेती के लिए प्रेरणा मिलती है।
निष्कर्ष: फ़सल विविधता को अपनाने में चुनौतियाँ जैसे एकल फसल पर निर्भरता और अवसंरचना की कमी मौजूद हैं, लेकिन उभरती प्रौद्योगिकियाँ जैसे सटीक कृषि, आनुवंशिक सुधार, जलवायु-स्मार्ट प्रथाएँ, और डिजिटल प्लेटफॉर्म इन बाधाओं को पार करने में महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती हैं। इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किसानों को अधिक लचीले और सतत कृषि प्रणालियों की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है।
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