दिसम्बर 2004 को सुनामी भारत सहित चौदह देशों में तबाही लायी थी। सुनामी के होने के लिए जिम्मेदार कारकों पर एवं जीवन तथा अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले उसके प्रभावों पर चर्चा कीजिए। एन.डी.एम.ए. के दिशा निर्देशों (2010) के प्रकाश में, ...
भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन में अभिनूतन उपाय 1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) 2019: प्रोएक्टिव दृष्टिकोण: NDMP 2019 ने पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण को बदलते हुए जोखिम कम करने और सतत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है। योजना में जोखिम मूल्यांकन, सामुदायिक भागीदारी, और प्रस्तावित प्रतिRead more
भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन में अभिनूतन उपाय
1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) 2019:
- प्रोएक्टिव दृष्टिकोण: NDMP 2019 ने पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण को बदलते हुए जोखिम कम करने और सतत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है। योजना में जोखिम मूल्यांकन, सामुदायिक भागीदारी, और प्रस्तावित प्रतिक्रिया विधियाँ शामिल हैं।
2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की पहल:
- समन्वित प्रबंधन: NDMA ने आपदा प्रबंधन दिशानिर्देश और आपदा पूर्वानुमान प्रणाली को अपग्रेड किया है। उदाहरण के लिए, मॉनसून पूर्व चेतावनी प्रणाली ने बाढ़ की भविष्यवाणी को सटीक बनाया है, जिससे समय पर तैयारी संभव हो पाई है।
3. राज्यस्तरीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण:
- स्थानीय दृष्टिकोण: राज्यों को अपने स्थानीय आपदा प्रबंधन योजनाएँ तैयार करने का अधिकार दिया गया है। केरल ने अपनी योजना में सामुदायिक आधारित आपदा प्रबंधन और स्थानीय तैयारी को शामिल किया है, जो अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल साबित हो रहा है।
4. तकनीकी एकीकरण:
- उन्नत प्रौद्योगिकी: जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया जा रहा है। इंडियन मैटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने सटीक मौसम पूर्वानुमान और अर्ली वार्निंग सिस्टम्स में सुधार किया है, जैसे कि साइकलोन पूर्वानुमान।
5. सामुदायिक भागीदारी और क्षमता निर्माण:
- जन जागरूकता: NDMA ने समुदाय के स्वंयसेवकों और स्थानीय अधिकारियों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया है। आपदा प्रबंधन ड्रिल्स और जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दिया गया है।
6. वित्तीय और संस्थागत समर्थन:
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) और राष्ट्रीय आपदा निवारण कोष (NDMF) का निर्माण किया गया है। ये कोष आपातकालीन प्रतिक्रिया और लंबी अवधि की पुनर्प्राप्ति के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
इन उपायों के माध्यम से, भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन में एक प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण से हटकर एक अधिक समन्वित, प्रोएक्टिव और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे आपदाओं की तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार हुआ है।
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दिसंबर 2004 का सुनामी: जिम्मेदार कारक और प्रभाव 1. सुनामी के होने के लिए जिम्मेदार कारक: 1.1. भूकंप: कारण: 26 दिसंबर 2004 को भारतीय महासागर में 9.1-9.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसे "सुनामी जनक भूकंप" कहा जाता है। यह भूकंप सुमात्रा के पश्चिमी तट के पास समुद्रतल में हुआ। उदाहरण: इस भूकंप ने समुद्र के नीRead more
दिसंबर 2004 का सुनामी: जिम्मेदार कारक और प्रभाव
1. सुनामी के होने के लिए जिम्मेदार कारक:
1.1. भूकंप:
1.2. समुद्री भूस्खलन:
2. जीवन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
2.1. जीवन की हानि:
2.2. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
3. एन.डी.एम.ए. के दिशा निर्देशों (2010) के प्रकाश में जोखिम कम करने की क्रियाविधि:
3.1. आपातकालीन तैयारी और योजना:
3.2. संरचनात्मक और अवसंरचनात्मक सुधार:
3.3. जागरूकता और शिक्षा:
निष्कर्ष: