भू-स्खलन के विभिन्न कारणों और प्रभावों का वर्णन कीजिए । राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटकों का उल्लेख कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]
परिचय: सूखा को उसके विशाल स्थानिक प्रभाव, दीर्घकालिक अवधि, मंथर प्रारंभ, और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के सितम्बर 2010 के मार्गदर्शी सिद्धांतों पर आधारित, भारत में एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावRead more
परिचय: सूखा को उसके विशाल स्थानिक प्रभाव, दीर्घकालिक अवधि, मंथर प्रारंभ, और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के सितम्बर 2010 के मार्गदर्शी सिद्धांतों पर आधारित, भारत में एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिए विभिन्न तैयारी कार्यविधियाँ निर्धारित की गई हैं।
सितम्बर 2010 एनडीएमए मार्गदर्शी सिद्धांतों के तहत तैयारी:
- सूखा वर्गीकरण और निगरानी: एनडीएमए के अनुसार, सूखे को तीन चरणों में वर्गीकृत किया गया है—मौसमी, कृषि, और जलवायु आधारित सूखा। सूखे की निगरानी के लिए मौसम संबंधी आंकड़ों का उपयोग किया जाता है ताकि संभावित प्रभावों का आकलन किया जा सके। उदाहरण के लिए, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) एल नीनो और ला नीना घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए उपग्रह डेटा और जलवायु मॉडलों का उपयोग करता है।
- जल संसाधन प्रबंधन: जल संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन महत्वपूर्ण है। मार्गदर्शी सिद्धांत जल संचयन उपायों, जैसे वर्षा जल संचयन और कुशल सिंचाई प्रथाओं को अपनाने की सलाह देते हैं। हाल ही में, जल शक्ति अभियान के तहत जल संरक्षण और प्रबंधन में सुधार के लिए कई पहल की गई हैं।
- कृषि प्रथाएँ: सूखा-प्रतिरोधी फसल किस्मों को अपनाना और मृदा प्रबंधन तकनीकों में सुधार करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, राजस्थान और महाराष्ट्र में सूखा-प्रतिरोधी बीजों और कुशल सिंचाई तकनीकों का उपयोग कर किसानों ने सूखे की चुनौतियों का सामना किया है।
- प्रतिक्रियात्मक और पुनर्प्राप्ति योजनाएँ: राज्य-विशिष्ट सूखा प्रतिक्रिया योजनाओं का विकास किया गया है जिसमें राहत उपाय, वित्तीय सहायता, और प्रभावित समुदायों के लिए पुनर्वास रणनीतियाँ शामिल हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसे कार्यक्रम सिंचाई अवसंरचना में सुधार और सूखा प्रभावित किसानों को सहायता प्रदान करने में सहायक रहे हैं।
हाल के उदाहरण:
- एल नीनो 2015-16: 2015-16 में एल नीनो घटना ने भारत में गंभीर सूखा स्थितियाँ उत्पन्न कीं, जिससे जल की कमी और कृषि नुकसान हुआ। एनडीएमए के मार्गदर्शी सिद्धांतों ने राहत उपायों के कार्यान्वयन में मदद की।
- ला नीना 2020-21: 2020-21 में ला नीना घटना ने भारत के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा की, जिससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आई। एनडीएमए के तैयारी तंत्र ने बाढ़ और सूखे दोनों की चुनौतियों को प्रबंधित करने में सहायता की।
निष्कर्ष: सितम्बर 2010 के एनडीएमए मार्गदर्शी सिद्धांत सूखा प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ, जल संसाधन प्रबंधन, सूखा-प्रतिरोधी कृषि प्रथाएँ, और प्रभावी प्रतिक्रिया योजनाओं का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। इन तैयारियों से भारत सूखे और जलवायु परिवर्तन से बेहतर तरीके से निपट सकता है।
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भू-स्खलन के कारण और प्रभाव भू-स्खलन के कारण: प्राकृतिक कारण: भौगोलिक तत्व: भू-स्खलन अक्सर उन भौगोलिक संरचनाओं की अस्थिरता के कारण होते हैं जिनमें कमजोर या दरार वाले चट्टानें होती हैं। उदाहरणस्वरूप, हिमालयी क्षेत्र में भौगोलिक अस्थिरता के कारण लगातार भू-स्खलन होते रहते हैं। मौसमी स्थिति: भारी वर्षा मRead more
भू-स्खलन के कारण और प्रभाव
भू-स्खलन के कारण:
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राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटक:
इन कारणों और राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के घटकों को समझकर, भू-स्खलनों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
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