भारतीय उप-महाद्वीप में भूकम्पों की आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। फिर भी, इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी (तत्परता) में महत्त्वपूर्ण कमियाँ हैं। विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए । (200 words) [UPSC 2015]
आपदाओं के प्रति भेद्यता का चरित्र-चित्रण 1. भेद्यता की परिभाषा: भेद्यता: आपदाओं के प्रभाव और खतरों को समझने के लिए भेद्यता एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह संवेदनशीलता और सक्षम क्षमताओं के आधार पर लोगों और समुदायों की संभावित क्षति की माप होती है। 2. भौगोलिक भेद्यता: भौगोलिक स्थिति: प्राकृतिक आपदाओं के प्रRead more
आपदाओं के प्रति भेद्यता का चरित्र-चित्रण
1. भेद्यता की परिभाषा:
- भेद्यता: आपदाओं के प्रभाव और खतरों को समझने के लिए भेद्यता एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह संवेदनशीलता और सक्षम क्षमताओं के आधार पर लोगों और समुदायों की संभावित क्षति की माप होती है।
2. भौगोलिक भेद्यता:
- भौगोलिक स्थिति: प्राकृतिक आपदाओं के प्रति भेद्यता में भौगोलिक स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पश्चिमी घाट में भूस्खलन के प्रति उच्च भेद्यता उदाहरण है, जहां वर्षा और ऊबड़-खाबड़ इलाका खतरा बढ़ाते हैं।
3. आर्थिक भेद्यता:
- आर्थिक स्थिति: आर्थिक संसाधनों की कमी आपदाओं के प्रति भेद्यता को बढ़ाती है। गरीब समुदाय जैसे उतराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में अकाल और भूस्खलन के दौरान प्रभावित लोगों की सपोर्ट की कमी देखी गई है।
4. सामाजिक भेद्यता:
- सामाजिक संरचना: सामाजिक असमानता और अशिक्षा आपदाओं के प्रति भेद्यता को बढ़ाती है। बिहार में बाढ़ के दौरान कमजोर और अल्पसंख्यक समूह को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
5. भौतिक भेद्यता:
- संरचनात्मक कमजोरियां: खराब भवन संरचना और अवसंरचना आपदाओं के दौरान अधिक भेद्यता का कारण बनती है। मध्य प्रदेश में बाढ़ ने खराब निर्माण और अवसंरचनात्मक समस्याओं को उजागर किया।
6. प्राकृतिक भेद्यता:
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाएं जैसे तूफान और सुखाड़ की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। पूर्वोत्तर भारत में बार-बार भूस्खलन इसका उदाहरण है।
इन विभिन्न प्रकारों से भेद्यता का विश्लेषण कर, आपदा प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियाँ और सुधारात्मक उपाय अपनाए जा सकते हैं।
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भारतीय उप-महाद्वीप में भूकम्पों की बढ़ती आवृत्ति और भारत की तत्परता: 1. भूकम्पों की बढ़ती आवृत्ति: भौगोलिक स्थिति: भारतीय उप-महाद्वीप में भूकम्पीय गतिविधि बढ़ रही है, विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र में। उदाहरण के लिए, 2015 नेपाल भूकम्प (7.8 मैग्नीट्यूड) ने भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, जैसे उत्तर प्रदेRead more
भारतीय उप-महाद्वीप में भूकम्पों की बढ़ती आवृत्ति और भारत की तत्परता:
1. भूकम्पों की बढ़ती आवृत्ति:
2. तत्परता में कमी:
3. सुधार की रणनीतियाँ:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष:
भारतीय उप-महाद्वीप में भूकम्पीय गतिविधियों की बढ़ती आवृत्ति के बावजूद, तत्परता में महत्वपूर्ण कमी है। निर्माण मानकों को मजबूत करना, आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना भूकम्पीय घटनाओं के प्रति बेहतर तत्परता और सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम हैं।
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