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भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की संवैधानिक स्थिति का परीक्षण कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की संवैधानिक स्थिति 1. नियुक्ति और कार्यकाल: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और इसका कार्यकाल नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अधिनियम, 1971 के तहत निर्धारित होता है। कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक होता है। गिरीश चंद्र मुर्मू 2020 में हाल ही में नियुक्Read more
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की संवैधानिक स्थिति
1. नियुक्ति और कार्यकाल: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और इसका कार्यकाल नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अधिनियम, 1971 के तहत निर्धारित होता है। कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक होता है। गिरीश चंद्र मुर्मू 2020 में हाल ही में नियुक्त CAG हैं।
2. स्वतंत्रता: CAG पूरी स्वतंत्रता से कार्य करता है और इसके पद की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह होती है, जो इसकी स्वतंत्रता को बनाए रखती है।
3. अधिकार और कार्य: CAG केंद्र और राज्य सरकारों के खातों की लेखा परीक्षा करता है। इसके रिपोर्ट संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रस्तुत किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2021 की CAG रिपोर्ट ने कोविड-19 टीकाकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं को उजागर किया।
निष्कर्ष: CAG की संवैधानिक स्थिति उसे स्वतंत्र रूप से काम करने और सरकारी वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने की शक्ति देती है।
See lessसार्वजनिक धन के सरंक्षक के रूप में, भारत के नियंत्रक एवं मालेखा परीक्षक की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
सार्वजनिक धन के सरंक्षक के रूप में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूमिका का परीक्षण 1. लेखा परीक्षण और वित्तीय रिपोर्टिंग (Audit and Financial Reporting): जिम्मेदारी: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) केंद्रीय और राज्य सरकारों के खातों का लेखा परीक्षण करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सारRead more
सार्वजनिक धन के सरंक्षक के रूप में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूमिका का परीक्षण
1. लेखा परीक्षण और वित्तीय रिपोर्टिंग (Audit and Financial Reporting):
2. जवाबदेही सुनिश्चित करना (Ensuring Accountability):
3. जनहित की रक्षा (Public Interest Protection):
4. रिपोर्टिंग और सिफारिशें (Reporting and Recommendations):
5. स्वतंत्रता और ईमानदारी (Independence and Integrity):
निष्कर्ष: भारत में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) सार्वजनिक धन के एक महत्वपूर्ण संरक्षक के रूप में कार्य करता है। लेखा परीक्षण, जवाबदेही सुनिश्चित करने, जनहित की रक्षा, और सिफारिशों के माध्यम से, CAG पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण योगदान करता है। चुनौतियों के बावजूद, CAG का कार्य सार्वजनिक वित्तीय अनुशासन और ईमानदारी बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
See lessवित्त आयोग के क्या कार्य हैं? राजकोषीय संघवाद में इसकी उभरती भूमिका की समीक्षा कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
वित्त आयोग के कार्य और राजकोषीय संघवाद में उभरती भूमिका की समीक्षा 1. वित्त आयोग के कार्य: राजस्व वितरण: वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का वितरण तय करना है। यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित होता है और राजस्व के साझा अधिकार और वित्तीय संसाधनों की सिफारिश करता है।Read more
वित्त आयोग के कार्य और राजकोषीय संघवाद में उभरती भूमिका की समीक्षा
1. वित्त आयोग के कार्य:
वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का वितरण तय करना है। यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित होता है और राजस्व के साझा अधिकार और वित्तीय संसाधनों की सिफारिश करता है।
आयोग केंद्र सरकार को राज्यों को वित्तीय सहायता और अनुदान की सिफारिश करता है, जिससे राज्यों को विकासात्मक परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन मिल सकें।
वित्त आयोग राज्यों के वित्तीय प्रबंधन और सदुपयोग पर सिफारिशें करता है, जिससे राजकोषीय अनुशासन सुनिश्चित हो सके।
2. राजकोषीय संघवाद में उभरती भूमिका की समीक्षा:
हाल के वर्षों में, 2021-22 के वित्त आयोग ने राज्य वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए कई सिफारिशें की हैं, जिससे राज्यों को अधिक स्वतंत्रता और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
आयोग ने आय और व्यय के असंतुलन को कम करने के लिए फाइनेंसियल असिस्टेंस और अनुदान की सिफारिश की है। वित्त आयोग की 15वीं रिपोर्ट ने सर्वजनिक वितरण प्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त सहायता की सिफारिश की।
2024 में वित्त आयोग ने COVID-19 महामारी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता की सिफारिश की, जिससे राज्यों को स्वास्थ्य और राहत कार्य के लिए अतिरिक्त संसाधन प्राप्त हो सके।
निष्कर्ष:
See lessवित्त आयोग के कार्य राजस्व वितरण, अनुदान, और वित्तीय अनुशासन को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण हैं। राजकोषीय संघवाद में इसका उभरता हुआ योगदान राज्यों की वित्तीय स्थिति को सुधारने और आर्थिक असंतुलन को कम करने में सहायक साबित हो रहा है।
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में किन किन समस्याओं का सामना किया जा रहा है? इसक समाधान का भी उल्लेख कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में समस्याएँ और समाधान 1. समस्याएँ: मतदाता की पहचान में समस्याएँ: हाल के वर्षों में, मतदाता सूची में गलतियाँ और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ एक आम समस्या रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कई राज्यों में मतदाता सूची में त्रुटियाँ की शिकायतें आईं, जिससे सटीकRead more
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में समस्याएँ और समाधान
1. समस्याएँ:
हाल के वर्षों में, मतदाता सूची में गलतियाँ और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ एक आम समस्या रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कई राज्यों में मतदाता सूची में त्रुटियाँ की शिकायतें आईं, जिससे सटीक मतदाता पहचान में समस्याएँ उत्पन्न हुईं।
चुनावी अभियानों में नकली प्रचार, हेरफेर, और भ्रष्टाचार की समस्या बढ़ी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में, राजनीतिक दलों द्वारा ब्लैक मनी और विज्ञापन पर खर्च की रिपोर्टें आईं।
चुनावों के दौरान सुरक्षा और हिंसा की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान, हिंसात्मक घटनाओं की कई रिपोर्टें सामने आईं।
2. समाधान:
चुनाव आयोग को डिजिटल डेटाबेस और नियमित अद्यतन के माध्यम से मतदाता सूची में सही जानकारी सुनिश्चित करनी चाहिए। ई-मतदाता पंजीकरण और विज्ञापन अभियान को बढ़ावा दिया जा सकता है।
सभी राजनीतिक दलों के लिए पारदर्शिता और फंडिंग की निगरानी को सख्त करने के लिए नए कानूनी प्रावधान लाने चाहिए। आयकर विभाग और चुनाव आयोग को संयुक्त रूप से काम करने की जरूरत है।
चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती को मजबूत किया जाए और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए। पूर्व-चुनाव सुरक्षा प्लान और फिर से प्रशिक्षण का आयोजन किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
See lessचुनाव आयोग को वर्तमान में मतदाता पहचान, चुनावी भ्रष्टाचार, और सुरक्षा से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं के समाधान के लिए डिजिटल समाधान, चुनाव सुधार, और सुरक्षा उपाय पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में वित्त आयोग की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
वित्त आयोग की भूमिका: केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में समालोचनात्मक परीक्षण 1. वित्त आयोग की संरचना और कार्य: वित्त आयोग संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक संस्था है, जिसका मुख्य कार्य केन्द्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण सुनिश्चित करना है। आयोग हर पाँच वर्ष में पुनर्निर्धारित होतRead more
वित्त आयोग की भूमिका: केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में समालोचनात्मक परीक्षण
1. वित्त आयोग की संरचना और कार्य:
2. वित्त आयोग की भूमिका:
3. समालोचनात्मक दृष्टिकोण:
निष्कर्ष
वित्त आयोग केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसकी सिफारिशों और उनके प्रभाव पर निरंतर समालोचनात्मक मूल्यांकन आवश्यक है। आयोग को आर्थिक असमानताओं और वित्तीय घाटों को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशों को सुधारना चाहिए।
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