भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत राज्यपाल की क्षमादान का अधिकार राष्ट्रपति की अधिकार से किस प्रकार भिन्न है ? (125 Words) [UPPSC 2023]
भारतीय संविधान का दर्शन: प्रस्तावना की भूमिका आधिकारिक दिशा-निर्देश: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान का दर्शन इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह संविधान के मूल सिद्धांतों और उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। यह प्रस्तावना भारतीय गणराज्य के आदर्श और मूल्य को संक्षेप में प्रस्तुत करती है, जैसे कि समानताRead more
भारतीय संविधान का दर्शन: प्रस्तावना की भूमिका
आधिकारिक दिशा-निर्देश: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान का दर्शन इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह संविधान के मूल सिद्धांतों और उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। यह प्रस्तावना भारतीय गणराज्य के आदर्श और मूल्य को संक्षेप में प्रस्तुत करती है, जैसे कि समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व।
लोकतांत्रिक उद्देश्य: प्रस्तावना का प्रमुख उद्देश्य लोकतांत्रिक सत्ता और संप्रभुता की पुष्टि करना है। यह संविधान के धार्मिक, जातीय और सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है।
संविधान की आधिकारिक दिशा: प्रस्तावना, संविधान के अन्य अनुच्छेदों और प्रावधानों के निर्देश और भावनाओं को आधार प्रदान करती है। यह संविधान की भावनात्मक और राजनीतिक पृष्ठभूमि को स्पष्ट करती है और उसके अनुपालन की दिशा तय करती है।
इस प्रकार, प्रस्तावना भारतीय संविधान का दर्शन इसलिए कहलाती है क्योंकि यह संविधान के मूल उद्देश्यों और दृष्टिकोण को प्रतिविम्बित करती है।
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को क्षमादान का अधिकार प्राप्त है, लेकिन दोनों के अधिकार में अंतर है। राष्ट्रपति का अधिकार (अनुच्छेद 72): राष्ट्रपति को मृत्यु दंड, उम्रकैद या किसी अन्य दंड को कम करने, स्थगित करने, या माफ करने का अधिकार है। यह अधिकार विशेष रूप से केंRead more
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को क्षमादान का अधिकार प्राप्त है, लेकिन दोनों के अधिकार में अंतर है।
इस प्रकार, राष्ट्रपति का क्षमादान का अधिकार केंद्रीय मामलों तक सीमित है, जबकि राज्यपाल का अधिकार केवल राज्य स्तरीय मामलों तक ही सीमित रहता है।
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