“लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक ही समय में चुनाव, चुनाव प्रचार की अवधि और व्यय को तो सीमित कर देंगे, परंतु ऐसा करने से लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही कम हो जाएगी।” चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
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“लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक ही समय में चुनाव, चुनाव प्रचार की अवधि और व्यय को तो सीमित कर देंगे, परंतु ऐसा करने से लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही कम हो जाएगी।” चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
विगत कुछ दशकों में राज्य सभा एक ‘उपयोगहीन स्टैपनी टायर’ से सर्वाधिक उपयोगी सहायक अंग में रूपांतरित हुआ है। उन कारकों तथा क्षेत्रों को आलोकित कीजिये जहाँ यह रूपांतरण दृष्टिगत हो सकता है। (250 words) [UPSC 2020]
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See lessक्या विभागों से संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ प्रशासन को अपने पैर की उँगलियों पर रखती हैं और संसदीय नियंत्रण के लिए सम्मान-प्रदर्शन हेतु प्रेरित करती हैं? उपयुक्त उदाहरणों के साथ ऐसी समितियों के कार्यों का मूल्यांकन कीजिए। (250 words) [UPSC ...
संसदीय स्थायी समितियाँ प्रशासन के कार्यों पर निगरानी और नियंत्रण रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियाँ विभागों के कार्यों और नीतियों की समीक्षा करती हैं और संसदीय नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को जवाबदेह बनाती हैं। संसदीय स्थायी समितियों के कार्य और उनका मूल्यांकन: 1. निगरानी औRead more
संसदीय स्थायी समितियाँ प्रशासन के कार्यों पर निगरानी और नियंत्रण रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियाँ विभागों के कार्यों और नीतियों की समीक्षा करती हैं और संसदीय नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को जवाबदेह बनाती हैं।
संसदीय स्थायी समितियों के कार्य और उनका मूल्यांकन:
1. निगरानी और समीक्षा:
उदाहरण: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) और वित्त समिति (Estimates Committee) संसदीय स्थायी समितियाँ हैं जो बजट और खर्चों की समीक्षा करती हैं। PAC का मुख्य कार्य सरकारी खातों का ऑडिट करना और वित्तीय गड़बड़ियों की पहचान करना है। इस प्रकार, यह विभागों की वित्तीय अनुशासन पर नजर रखती है।
मूल्यांकन: ये समितियाँ विभागों को पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बनाए रखने के लिए प्रेरित करती हैं। PAC के उदाहरण के रूप में, इसने विभिन्न समय पर महत्वपूर्ण घोटालों को उजागर किया है, जैसे कि 2G स्पेक्ट्रम घोटाला और कोल घोटाला।
2. नीतिगत सलाह और सुधार:
उदाहरण: गृह मामलों की स्थायी समिति (Standing Committee on Home Affairs) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की स्थायी समिति (Standing Committee on Health and Family Welfare) विभागों की नीतियों की समीक्षा करती हैं और सुधार के सुझाव देती हैं।
मूल्यांकन: ये समितियाँ विभागों को नीतिगत सुधारों के लिए प्रेरित करती हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की स्थायी समिति ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं, जिससे विभागों को नीतियों में बदलाव और सुधार लाने की दिशा में मार्गदर्शन मिला है।
3. सरकारी प्रदर्शन की निगरानी:
उदाहरण: संविधान समीक्षा समिति (Committee on the Constitution) और संसदीय समितियाँ (Parliamentary Committees) विभिन्न सरकारी विभागों के कार्यों की निगरानी करती हैं और प्रशासन को उसकी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेह बनाती हैं।
मूल्यांकन: ये समितियाँ विभागों को उनकी कार्यप्रणाली और प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रेरित करती हैं। संविधान समीक्षा समिति ने कई बार संविधान में सुधारों की सिफारिश की है, जिससे प्रशासन को अपनी कार्यप्रणाली को अपडेट करने में सहायता मिली है।
निष्कर्ष:
संसदीय स्थायी समितियाँ विभागों से संबंधित प्रशासनिक कार्यों की निगरानी करती हैं, पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करती हैं, और संसदीय नियंत्रण को मजबूत करती हैं। इनके कार्यों से प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है और संसदीय सिस्टम के प्रति सम्मान बनाए रहता है। ये समितियाँ न केवल नीतिगत सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, बल्कि प्रशासनिक सुधारों के लिए भी प्रेरित करती हैं।
प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] भारतीय संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, परन्तु इसके मूल ढांचे में नहीं” चर्चा करें।
परिचय: भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और इसकी संरचना में लचीलापन और स्थायित्व का अनूठा मिश्रण है। संविधान की धारा 368 के अंतर्गत संसद को संविधान संशोधन की शक्ति दी गई है। हालांकि, मूल ढांचा सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे में परिवर्तनRead more
परिचय: भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और इसकी संरचना में लचीलापन और स्थायित्व का अनूठा मिश्रण है। संविधान की धारा 368 के अंतर्गत संसद को संविधान संशोधन की शक्ति दी गई है। हालांकि, मूल ढांचा सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती। यह सिद्धांत संविधान की स्थिरता और उसके बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करता है।
मूल ढांचा सिद्धांत का उदय:
समकालीन उदाहरण:
निष्कर्ष: भारतीय संविधान का मूल ढांचा सिद्धांत लोकतंत्र, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संघीयता और मौलिक अधिकारों जैसे तत्वों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है। संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार असीमित नहीं है। मूल ढांचा सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि संविधान की आत्मा संरक्षित रहे, और कोई भी संशोधन संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर न करे। वर्तमान में, संवैधानिक संशोधनों के संदर्भ में इस सिद्धांत का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और अखंडता की रक्षा करता है।
See lessराज्यों में विधान परिषद के सृजन व उन्मूलन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये। आंध्रप्रदेश विधान सभा द्वारा राज्य के विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव लाने के क्या कारण हैं? संक्षेप में बताइए। (125 Words) [UPPSC 2019]
राज्यों में विधान परिषद के सृजन और उन्मूलन की प्रक्रिया **1. सृजन की प्रक्रिया राज्यों में विधान परिषद के सृजन के लिए राज्य विधान सभा में एक संकल्प पारित किया जाता है। इसके बाद, यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाता है। केंद्र सरकार के द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में एक अधिनियम पारित करने के बाद विधान पRead more
राज्यों में विधान परिषद के सृजन और उन्मूलन की प्रक्रिया
**1. सृजन की प्रक्रिया
राज्यों में विधान परिषद के सृजन के लिए राज्य विधान सभा में एक संकल्प पारित किया जाता है। इसके बाद, यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाता है। केंद्र सरकार के द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में एक अधिनियम पारित करने के बाद विधान परिषद की स्थापना होती है। तेलंगाना का विधान परिषद 2014 में इसी प्रक्रिया के तहत बना था।
**2. उन्मूलन की प्रक्रिया
विधान परिषद के उन्मूलन के लिए भी राज्य विधान सभा में एक संकल्प पारित किया जाता है। यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाता है, और केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में एक अधिनियम पारित करने के बाद विधान परिषद समाप्त होती है।
**3. आंध्र प्रदेश के कारण
आंध्र प्रदेश विधान सभा ने 2020 में विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। इसके मुख्य कारण थे अप्रभावशीलता और उच्च खर्च। राज्य सरकार का तर्क था कि विधान परिषद विधायी प्रक्रिया में बाधा डाल रही थी और इससे शासन में सुधार के लिए इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
सारांश में, विधान परिषद के सृजन और उन्मूलन की प्रक्रिया राज्य विधान सभा के संकल्प और केंद्र सरकार के अधिनियम की आवश्यकता होती है। आंध्र प्रदेश ने इसे उच्च खर्च और अव्यवहारिकता के कारण समाप्त करने का प्रस्ताव किया।
See lessउन मुख्य उपायों की विवेचना कीजिये जिनके द्वारा भारतीय संसद कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है। (200 Words) [UPPSC 2021]
भारतीय संसद द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण के मुख्य उपाय 1. विधायी निरीक्षण (Legislative Oversight): संसदीय समितियाँ: संसद विभिन्न समितियाँ जैसे लोक लेखा समिति (PAC) और वित्तीय समिति का गठन करती है, जो सरकारी योजनाओं, बजट और खर्चों की जांच करती हैं। ये समितियाँ कार्यपालिका की गतिविधियों की निगरानी कRead more
भारतीय संसद द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण के मुख्य उपाय
1. विधायी निरीक्षण (Legislative Oversight):
2. सवाल और उत्तर प्रणाली (Question and Answer System):
3. वेतन और संसद की अनुमति (Control over Expenditure):
4. अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence Motion):
5. संसदीय बहस और चर्चा (Parliamentary Debate and Discussion):
निष्कर्ष: भारतीय संसद के पास कार्यपालिका पर नियंत्रण के प्रभावशाली उपाय हैं, जैसे विधायी निरीक्षण, सवाल-उत्तर प्रणाली, वित्तीय नियंत्रण, अविश्वास प्रस्ताव और संसदीय बहस। ये उपाय सरकारी नीतियों और क्रियावली की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं, जिससे लोकतंत्र की मजबूती बनी रहती है।
See lessभारतीय संसद की कार्यप्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका का वर्णन करें। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका 1. विस्तृत समीक्षा: संसदीय समितियाँ विधेयकों और नीतियों की विस्तृत समीक्षा करती हैं। उदाहरण के लिए, लोक लेखा समिति (PAC) ने कोविड-19 वैक्सीन खरीद की प्रक्रिया की जांच की, जिससे सरकारी खर्चों की पारदर्शिता सुनिश्चित की गई। 2. निगरानी और जवाबदेRead more
भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका
1. विस्तृत समीक्षा: संसदीय समितियाँ विधेयकों और नीतियों की विस्तृत समीक्षा करती हैं। उदाहरण के लिए, लोक लेखा समिति (PAC) ने कोविड-19 वैक्सीन खरीद की प्रक्रिया की जांच की, जिससे सरकारी खर्चों की पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।
2. निगरानी और जवाबदेही: ये समितियाँ कार्यकारी कार्यों और कानूनों के अनुपालन पर निगरानी रखती हैं। गृह मामलों की स्थायी समिति आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित नीतियों की निगरानी करती है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
3. नीति सिफारिशें: संसदीय समितियाँ विभिन्न मुद्दों पर नीति सिफारिशें प्रदान करती हैं। व्यक्तिगत डेटा संरक्षण बिल पर संयुक्त समिति ने डेटा गोपनीयता को मजबूत करने के लिए सिफारिशें कीं।
4. विशेषज्ञ इनपुट: समितियाँ विशेषज्ञों और जनता से इनपुट प्राप्त करती हैं। कृषि कानूनों पर चयनित समिति ने विविध दृष्टिकोणों को शामिल करके सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
निष्कर्ष: संसदीय समितियाँ भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विधायी प्रभावशीलता को बढ़ावा देती हैं, निगरानी सुनिश्चित करती हैं, और सूचित निर्णय लेने में सहायता करती हैं।
See less“यदि संसद में पटल पर रखे गए व्हिसलब्लोअर्स अधिनियम, 2011 के संशोधन बिल को पारित कर दिया जाता है, तो हो सकता है कि सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई बचे ही नहीं।” समालोचनापूर्वक मूल्यांकन कीजिए। (200 words) [UPSC 2015]
व्हिसलब्लोअर्स अधिनियम, 2011 के संशोधन बिल का समालोचनापूर्वक मूल्यांकन व्हिसलब्लोअर्स अधिनियम, 2011 का पृष्ठभूमि: व्हिसलब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम, 2011 को सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार या दुराचार को उजागर करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पारित किया गया था। इसका उद्Read more
व्हिसलब्लोअर्स अधिनियम, 2011 के संशोधन बिल का समालोचनापूर्वक मूल्यांकन
व्हिसलब्लोअर्स अधिनियम, 2011 का पृष्ठभूमि: व्हिसलब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम, 2011 को सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार या दुराचार को उजागर करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पारित किया गया था। इसका उद्देश्य व्हिसलब्लोअर्स को प्रतिशोध और उत्पीड़न से बचाना था।
संशोधन बिल के साथ चिंताएँ:
निष्कर्ष: यदि संशोधन बिल पारित हो जाता है, तो व्हिसलब्लोअर्स अधिनियम, 2011 द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा को गंभीर रूप से कमजोर किया जा सकता है। प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम को मजबूत संरक्षित उपायों को बनाए रखना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि शिकायत प्रक्रिया सुलभ और प्रभावी हो। इन मुद्दों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है ताकि व्यक्ति भ्रष्टाचार और दुराचार की रिपोर्ट करने के लिए सुरक्षित महसूस कर सकें।
See lessआप यह क्यों सोचते हैं कि समितियाँ संसदीय कार्यों के लिए उपयोगी मानी जाती हैं? इस संदर्भ में प्राक्कलन समिति की भूमिका की विवेचना कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
'समितियाँ संसदीय कार्यों के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जाती हैं।' इसका मुख्य कारण यह है कि संसद के पास सीमित समय होता है और वह सभी मुद्दों पर गहनता से विचार नहीं कर पाती। समितियाँ इस कार्य को आसान बनाती हैं। वे विभिन्न विषयों पर गहराई से अध्ययन करती हैं, विशेषज्ञों से राय लेती हैं और फिर संसद के समक्ष अRead more
‘समितियाँ संसदीय कार्यों के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जाती हैं।’ इसका मुख्य कारण यह है कि संसद के पास सीमित समय होता है और वह सभी मुद्दों पर गहनता से विचार नहीं कर पाती। समितियाँ इस कार्य को आसान बनाती हैं। वे विभिन्न विषयों पर गहराई से अध्ययन करती हैं, विशेषज्ञों से राय लेती हैं और फिर संसद के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करती हैं।
‘प्राक्कलन समिति’ ऐसी ही संसदीय समिति है जो बजट में सरकार द्वारा प्रस्तावित व्यय के अनुमानों की जांच करती है। यह यह सुनिश्चित करती है कि सरकार का पैसा सही तरीके से खर्च किया जा रहा है और कोई भी धनराशि का दुरुपयोग नहीं हो रहा है। यह समिति सरकार को किफायती तरीके से काम करने के लिए सुझाव भी देती है।
रोल:
प्राक्कलन समिति का काम इस प्रकार है:
-बजट का विश्लेषण: यह समिति बजट में दिए गए आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण करती है और यह सुनिश्चित करती है कि ये आंकड़े सही हैं।
सरकारी खर्च की जांच: यह समिति सरकार द्वारा किए जा रहे खर्च की जांच करती है और यह सुनिश्चित करती है कि यह खर्च आवश्यक है और सही तरीके से किया जा रहा है।
-बजट पर जोर: यह समिति सरकार को किफायति से काम करने के लिए सुझाव देती है ताकि पैसे का दुरुपयोग न हो।
-जनता का हित: प्राक्कलन समिति जनता के हित में काम करती और यही कारण है कि यह सरकार के पैसे का सही व्यय करता है।
निष्कर्ष: प्राक्कलन समिति संसदीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सरकार को जवाबदेह बनाती है और यह सुनिश्चित करती है कि जनता का पैसा सही तरीके से खर्च किया जा रहा है।
See lessभारत में लोकतंत्र के प्रभावी काम-काज के लिए विपक्ष के नेता (LOP) की भूमिका पर चचर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में लोकतंत्र के प्रभावी काम-काज के लिए विपक्ष के नेता (LOP) की भूमिका महत्वपूर्ण है। LOP का मुख्य कार्य सरकार की नीतियों और कार्यों पर निगरानी रखना और उनके खिलाफ वैध और सृजनात्मक आलोचना प्रस्तुत करना है। यह भूमिका सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करती है। LOP को संसद में प्रRead more
भारत में लोकतंत्र के प्रभावी काम-काज के लिए विपक्ष के नेता (LOP) की भूमिका महत्वपूर्ण है। LOP का मुख्य कार्य सरकार की नीतियों और कार्यों पर निगरानी रखना और उनके खिलाफ वैध और सृजनात्मक आलोचना प्रस्तुत करना है। यह भूमिका सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करती है।
LOP को संसद में प्रभावी ढंग से सवाल उठाने, बहस करने और विधेयकों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी होती है। उनकी आलोचना और सुझाव सरकार को बेहतर नीतियां बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, LOP का कार्य विपक्षी दलों को एकजुट करना और वैकल्पिक नीतियों का प्रस्ताव देना भी है, जो लोकतांत्रिक बहस को समृद्ध करता है। इस तरह, विपक्ष के नेता लोकतंत्र में संतुलन बनाए रखते हैं और सरकार के कामकाज को नियंत्रित करने में योगदान करते हैं।
See lessDo you agree with the claim that indecision and risk aversion are prevalent issues in Indian bureaucracy? Support your answer with logical reasoning. (150 words) ऐसा कहा जाता है कि भारतीय नौकरशाही में अनिर्णय और जोखिम से बचने की प्रवृत्ति ...
Rising Threats Digital Era Challenges: 2024 marks a significant rise in digital threats, particularly from AI and cyberattacks. Key Issues: Disinformation campaigns. Cyber fraud affecting daily life. Current Major Cyber Threats Ransomware Rampage: Over 48,000 instances of WannaCry ransomware detected ...
बढ़ते खतरे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और साइबर हमले: 2024 में AI और साइबर हमलों के खतरे में वृद्धि। महत्वपूर्ण अवसंरचना पर हमले: डिजिटल हमलों और दुष्प्रचार अभियानों की संभावना बढ़ी है। प्रमुख साइबर खतरें रैनसमवेयर का प्रकोप: 48,000 से अधिक ...
Characteristics of demographic - democracy is a state run by the people for the people. It means that the people have the right to choose their representative . Background - First,when india be came independent , Loksabha and Rajysabha election were combined. And so the election combined election coRead more
Characteristics of demographic – democracy is a state run by the people for the people. It means that the people have the right to choose their representative .
Background – First,when india be came independent , Loksabha and Rajysabha election were combined. And so the election combined election continue after 1967.
In the year 1968 to 1969 , due to dissolution of some state assemblies, the practice of holding such election stopped. Combined election were held from 1951 to 1967.
CONCEPT- in 2014 chief minister of Gujarat and now the prime ministerial ” mr narendra modi ” brought forward the concept of “one nation one election” The purpose of this was to avoid wastage of money.
Opinion of law commission -prepared report in 2018. And gave following recommended
1) the constitution and representative of people act should be amended.
2) Loksabha and vidhansbha should be in specific period.
CONCLUSIONS OF LAW COMMISSION –
* watage of money will reduces.
* The stress on administrative and security will be reduced.
RESULT – on 2 September 2023, Central gvt.constituted a commitee under the Chairmanship of ” former president mr. Ramnath kovind” to examine the feasibility of Combined election.
ROLE OF CENTRAL GVT.AND ELECTION COMMISSION –
Going to seek the Opinion of people And sence election commission has also the accepted plan.
WHAT WILL BE RESULT –
Mr.kovind commitee has that “one county one election” will be implemented from “2029”.
GOVERNMENT RESPONSIBILTY ABOUT PEOPLE –
1) India has As India has different states and languages, its problems are different. If one country has one election, it can be difficult to solve the problem. Because in some states, due to territorial reasons, it is necessary to dissolve the assembly early and have another election, and this is stated in the constitution.
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