भारत में संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में विभागीय स्थायी समितियों की भूमिका की विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारतीय संसद द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण के मुख्य उपाय 1. विधायी निरीक्षण (Legislative Oversight): संसदीय समितियाँ: संसद विभिन्न समितियाँ जैसे लोक लेखा समिति (PAC) और वित्तीय समिति का गठन करती है, जो सरकारी योजनाओं, बजट और खर्चों की जांच करती हैं। ये समितियाँ कार्यपालिका की गतिविधियों की निगरानी कRead more
भारतीय संसद द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण के मुख्य उपाय
1. विधायी निरीक्षण (Legislative Oversight):
- संसदीय समितियाँ: संसद विभिन्न समितियाँ जैसे लोक लेखा समिति (PAC) और वित्तीय समिति का गठन करती है, जो सरकारी योजनाओं, बजट और खर्चों की जांच करती हैं। ये समितियाँ कार्यपालिका की गतिविधियों की निगरानी करती हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित करती हैं।
- उदाहरण: 2022 में, PAC ने कोविड-19 आपातकालीन खरीद और प्रबंधन की समीक्षा की, जिससे सरकारी खर्चों की जांच और जवाबदेही बढ़ी।
2. सवाल और उत्तर प्रणाली (Question and Answer System):
- संसद में प्रश्नकाल: सांसद सरकार से प्रश्न पूछ सकते हैं, जो कार्यपालिका की नीतियों और क्रियावली पर जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- उदाहरण: 2023 में, किसानों की समस्याओं पर संसद में पूछे गए प्रश्नों ने सरकार को अपनी नीतियों पर स्पष्टता देने के लिए मजबूर किया।
3. वेतन और संसद की अनुमति (Control over Expenditure):
- वित्तीय नियंत्रण: सरकार को बजट प्रस्तुत करना होता है, जिसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है। संसद सरकारी व्यय पर नियंत्रण रखती है और अनधिकृत खर्चों की समीक्षा करती है।
- उदाहरण: 2024-25 के केंद्रीय बजट में विभिन्न योजनाओं और मदों पर चर्चा और अनुमोदन के माध्यम से संसद ने सरकारी खर्चों की निगरानी की।
4. अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence Motion):
- संसद के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव: यदि संसद सरकार की कार्यशैली से असंतुष्ट होती है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को चुनौती दे सकती है।
- उदाहरण: 2021 में, टीएमसी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जो सरकार के प्रति संसद के असंतोष को दर्शाता है।
5. संसदीय बहस और चर्चा (Parliamentary Debate and Discussion):
- संसदीय बहस: महत्वपूर्ण नीतिगत और सरकारी निर्णयों पर संसद में बहस होती है, जो सरकार की नीतियों की समीक्षा करती है और सुधार की दिशा तय करती है।
- उदाहरण: 2022 में, संसद में कृषि कानूनों पर बहस हुई, जिससे कानूनों में संशोधन और सुधार पर निर्णय लिया गया।
निष्कर्ष: भारतीय संसद के पास कार्यपालिका पर नियंत्रण के प्रभावशाली उपाय हैं, जैसे विधायी निरीक्षण, सवाल-उत्तर प्रणाली, वित्तीय नियंत्रण, अविश्वास प्रस्ताव और संसदीय बहस। ये उपाय सरकारी नीतियों और क्रियावली की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं, जिससे लोकतंत्र की मजबूती बनी रहती है।
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भारत में विभागीय स्थायी समितियाँ लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन समितियों का मुख्य काम विभिन्न क्षेत्रों में नीतियों और कानूनों की विशेष विवेचना करना है और सरकार को सलाह देना है। विभागीय स्थायी समितियाँ विविध क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, कृषि, उद्योग आदि मेंRead more
भारत में विभागीय स्थायी समितियाँ लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन समितियों का मुख्य काम विभिन्न क्षेत्रों में नीतियों और कानूनों की विशेष विवेचना करना है और सरकार को सलाह देना है।
विभागीय स्थायी समितियाँ विविध क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, कृषि, उद्योग आदि में विशेषज्ञता प्रदान करती हैं। इन समितियों के सदस्यों का चयन अक्सर उनकी विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर किया जाता है।
इन समितियों की सिफारिशें सरकार को विभिन्न मुद्दों पर नीतियों और कानूनों को मजबूत करने में मदद करती हैं। समितियों का कार्य सरकारी नीतियों के निष्पादन की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना भी होता है।
इन समितियों की सक्रिय भूमिका से संसद की कार्यक्षमता में सुधार होता है और लोकतंत्र को समृद्धि देने में मदद मिलती है।
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