बोडो समस्या’ से आप क्या समझते हैं? क्या बोडो शांति समझौता 2020 असम में विकास और शांति सुनिश्चित करेगा? मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत में प्रधानमंत्री की उभरती भूमिका **1. शक्ति का संकेंद्रण हाल के वर्षों में, भारत के प्रधानमंत्री की भूमिका में महत्वपूर्ण संकेंद्रण देखा गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी कार्यों पर अधिक नियंत्रण स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत, 2014 से, प्रशाRead more
भारत में प्रधानमंत्री की उभरती भूमिका
**1. शक्ति का संकेंद्रण
हाल के वर्षों में, भारत के प्रधानमंत्री की भूमिका में महत्वपूर्ण संकेंद्रण देखा गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी कार्यों पर अधिक नियंत्रण स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत, 2014 से, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया गया है और नीति कार्यान्वयन पर अधिक ध्यान दिया गया है।
**2. नीति पहलों में नेतृत्व
प्रधानमंत्री प्रमुख नीति पहलों को शुरू करने और लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। “मेक इन इंडिया” अभियान (2014) ने घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा। “डिजिटल इंडिया” पहल ने डिजिटल सशक्त समाज बनाने की दिशा में कदम उठाए। ये पहलों प्रधानमंत्री की भूमिका को राष्ट्रीय एजेंडाओं को आकार देने में दिखाते हैं।
**3. सामरिक कूटनीति
प्रधानमंत्री की अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय विदेश नीति दृष्टिकोण, जिसमें Quad Leaders’ Summit और अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिशें शामिल हैं, भारत की वैश्विक स्थिति को सशक्त बनाती हैं।
**4. जनता से जुड़ाव और संचार
प्रधानमंत्री अब सोशल मीडिया और सार्वजनिक भाषणों के माध्यम से जनता से सक्रिय रूप से जुड़ते हैं, जिससे सरकारी नीतियों की प्रत्यक्ष और व्यापक संचार होता है। प्रधानमंत्री मोदी का ट्विटर और इंस्टाग्राम का उपयोग सरकारी पहलों की दृश्यता और पहुंच को बढ़ाता है।
हालिया उदाहरण
COVID-19 महामारी के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय रणनीति को तैयार और संप्रेषित करने में केंद्रीय भूमिका निभाई। लॉकडाउन और वैक्सीनेशन ड्राइव की घोषणा करने में उनकी नेतृत्व क्षमता ने संकट प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निष्कर्ष
भारत में प्रधानमंत्री की भूमिका ने शक्ति संकेंद्रण, नीति निर्माण, कूटनीति और जनसंचार के क्षेत्र में व्यापक विस्तार देखा है। यह उभरती भूमिका भारत की शासन व्यवस्था और वैश्विक स्थिति को आकार देने में महत्वपूर्ण है।
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बोडो समस्या क्या है? **1. इतिहास और पृष्ठभूमि बोडो समस्या असम के बोडो लोगों, जो एक स्वदेशी जाति समूह हैं, की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को संदर्भित करती है। बोडो लोग मुख्य रूप से बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) में निवास करते हैं और उन्होंने स्वायत्तता और सांस्कृतिक पहचान की मांग की है। बोडोलैंडRead more
बोडो समस्या क्या है?
**1. इतिहास और पृष्ठभूमि
बोडो समस्या असम के बोडो लोगों, जो एक स्वदेशी जाति समूह हैं, की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को संदर्भित करती है। बोडो लोग मुख्य रूप से बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) में निवास करते हैं और उन्होंने स्वायत्तता और सांस्कृतिक पहचान की मांग की है। बोडोलैंड के अलग राज्य की मांग से दशकों से असामाजिक अशांति और हिंसा हुई है।
**2. मांग और मुद्दे
बोडो लोगों ने राजनीतिक प्रतिनिधित्व, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अलग राज्य या स्वायत्त क्षेत्र की मांग की है। 1980 के दशक में बोडोलैंड की अलग राज्य की मांग ने कई हिंसक विरोध प्रदर्शन और सरकार के साथ वार्ताओं को जन्म दिया।
बोडो शांति समझौता 2020
**1. मुख्य प्रावधान
जनवरी 2020 में साइन किए गए बोडो शांति समझौते में बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) को अधिक स्वायत्तता देने का प्रस्ताव है। इसके प्रमुख प्रावधान हैं:
**2. विकास और शांति पर प्रभाव
**a. विकास की संभावनाएँ
समझौते के अनुसार, BTR क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और स्थानीय संसाधनों में सुधार किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। उदाहरण के लिए, बोडो सांस्कृतिक विश्वविद्यालय की स्थापना और स्थानीय विकास परियोजनाएं आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकती हैं।
**b. शांति और स्थिरता
समझौता बोडो लोगों की मुख्य मांगों को पूरा करके क्षेत्र में शांति लाने की संभावना है। बोडो उग्रवादियों का पुनर्वास और शांति के लिए समझौते में शामिल करना दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
चुनौतियाँ और विचार
हालांकि, समझौते की सफलता प्रभावी कार्यान्वयन और सभी भागीदारों के सहयोग पर निर्भर करती है। बोडो उग्रवादियों का समाज में एकीकरण, संसाधनों का प्रबंधन और सभी समुदायों के लिए समावेशी विकास को सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।
निष्कर्ष
बोडो शांति समझौता 2020 असम में विकास और शांति की दिशा में सकारात्मक कदम है, बशर्ते कि इसे सही ढंग से लागू किया जाए और समाज के विभिन्न हिस्सों की जरूरतों का ध्यान रखा जाए।
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