प्रधानमंत्री की बढ़ती शक्तियों और भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण करें। अन्य संस्थाओं पर इसका कैसे प्रभाव पडता है ? (200 Words) [UPPSC 2023]
निर्वाचन का आधार: भारत का राष्ट्रपति एक विशेष निर्वाचन पद्धति के माध्यम से चुना जाता है, जिसे "इलेक्ट्रोरल कॉलेज" द्वारा चुना जाता है। इस कॉलेज में सांसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। निर्वाचन की प्रक्रिया: उम्मीदवारी और नामांकन: राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 50Read more
निर्वाचन का आधार: भारत का राष्ट्रपति एक विशेष निर्वाचन पद्धति के माध्यम से चुना जाता है, जिसे “इलेक्ट्रोरल कॉलेज” द्वारा चुना जाता है। इस कॉलेज में सांसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
निर्वाचन की प्रक्रिया:
- उम्मीदवारी और नामांकन: राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 50 सांसदों या विधायकों द्वारा प्रस्तावित और 50 अन्य सदस्यों द्वारा समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को एनडीए ने नामित किया था।
- मतदान प्रणाली: राष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मत और एकल स्थानांतरित वोट प्रणाली के माध्यम से होता है। प्रत्येक सदस्य अपने मतपत्र पर प्राथमिकता अंकित करता है, और वोटों की गिनती प्राथमिकता के अनुसार की जाती है। उदाहरण के लिए, 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को बहुमत प्राप्त हुआ।
- वोटों का वजन: वोटों का वजन राज्यों की जनसंख्या और निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के पास अधिक वोटों का वजन होता है क्योंकि उसकी जनसंख्या अधिक है।
निष्कर्ष: राष्ट्रपति का चुनाव एक जटिल लेकिन सुव्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जो भारतीय संघ की विविधता और संघीय संरचना को ध्यान में रखता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया व्यक्ति लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया हो और विभिन्न राज्यों की प्रतिनिधित्व का सही संतुलन हो।
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प्रधानमंत्री की बढ़ती शक्तियों और भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जा सकता है: बढ़ती शक्तियाँ: केन्द्रीयकृत निर्णय-लेने की क्षमता: प्रधानमंत्री के पास केंद्रीय सरकार के प्रमुख के रूप में महत्वपूर्ण निर्णय लेने की व्यापक शक्ति होती है, जो उनके प्रभाव को बढ़ाती है। खासकर जब प्रRead more
प्रधानमंत्री की बढ़ती शक्तियों और भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जा सकता है:
बढ़ती शक्तियाँ:
आलोचनात्मक दृष्टिकोण:
समग्रतः, प्रधानमंत्री की बढ़ती शक्तियाँ प्रभावशाली हो सकती हैं, लेकिन यह संविधानिक संतुलन और लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, उचित नियंत्रण और संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
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