आधारभूत ढाँचे का सिद्धांत’ से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के लिये इसके महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
नीति आयोग के सात स्तम्भ नीति आयोग, जिसे भारत सरकार ने 2015 में स्थापित किया था, का उद्देश्य देश के विकास को प्रोत्साहित करने और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए एक सशक्त रणनीतिक ढांचा प्रदान करना है। इसके कामकाज को सात प्रमुख स्तम्भों के चारों ओर व्यवस्थित किया गया है। ये सात स्तम्भ निम्नलिखित हैRead more
नीति आयोग के सात स्तम्भ
नीति आयोग, जिसे भारत सरकार ने 2015 में स्थापित किया था, का उद्देश्य देश के विकास को प्रोत्साहित करने और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए एक सशक्त रणनीतिक ढांचा प्रदान करना है। इसके कामकाज को सात प्रमुख स्तम्भों के चारों ओर व्यवस्थित किया गया है। ये सात स्तम्भ निम्नलिखित हैं:
1. साझा दृष्टिकोण विकसित करना
नीति आयोग का पहला स्तम्भ राष्ट्रीय विकास के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना है। इसका मतलब है कि सभी हिस्सों के साथ मिलकर एक समग्र विकास योजना बनाना।
- हाल का उदाहरण: राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता रणनीति (AI Strategy), जो 2018 में जारी की गई थी, इसका उद्देश्य भारत के समग्र विकास के लिए AI का प्रभावी उपयोग करना है।
2. सहकारी संघवाद को प्रोत्साहित करना
नीति आयोग संघीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। यह राज्यों के बीच विचारों और संसाधनों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है।
- हाल का उदाहरण: आशा जिलों की योजना (Aspirational Districts Programme), जिसका उद्देश्य विकास में पिछड़े जिलों को प्रोत्साहित करना और राज्यों को सहयोग के माध्यम से सुधार करना है।
3. रणनीतिक नीतियाँ डिजाइन और लागू करना
यह स्तम्भ महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए रणनीतिक नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन करता है।
- हाल का उदाहरण: राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP), जो इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है।
4. नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना
नीति आयोग नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है, जिससे एक उद्यमशीलता की संस्कृति का विकास हो सके।
- हाल का उदाहरण: अटल नवाचार मिशन (AIM), जो युवाओं के लिए अटल टिंकरिंग लैब्स और अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है।
5. सतत विकास को प्रोत्साहित करना
यह स्तम्भ पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक आयामों को नीति योजना और कार्यान्वयन में शामिल करता है।
- हाल का उदाहरण: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), जो शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
6. संस्थानों और शासन को सुदृढ़ करना
नीति आयोग सार्वजनिक संस्थानों की दक्षता और प्रभावशीलता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- हाल का उदाहरण: राष्ट्रीय डेटा शासन ढांचा (Framework for National Data Governance), जो डेटा प्रबंधन और पारदर्शिता में सुधार के लिए बनाया गया है।
7. क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास
नीति आयोग क्षमता निर्माण और मानव संसाधन के विकास को प्रोत्साहित करता है ताकि नीतियों और कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
- हाल का उदाहरण: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), जो युवाओं के कौशल विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
निष्कर्ष
नीति आयोग के सात स्तम्भ—साझा दृष्टिकोण विकसित करना, सहकारी संघवाद को प्रोत्साहित करना, रणनीतिक नीतियाँ डिजाइन और लागू करना, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना, सतत विकास को प्रोत्साहित करना, संस्थानों और शासन को सुदृढ़ करना, और क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास—भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये स्तम्भ भारत की विकास यात्रा को दिशा देने और एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए आधार प्रदान करते हैं।
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आधारभूत ढाँचे का सिद्धांत क्या है? **1. परिभाषा और उत्पत्ति 'आधारभूत ढाँचे का सिद्धांत' भारतीय न्यायपालिका द्वारा स्थापित एक न्यायिक सिद्धांत है, जिसका तात्पर्य है कि संविधान के कुछ मूलभूत तत्वों को किसी भी संशोधन के द्वारा नष्ट या परिवर्तित नहीं किया जा सकता। यह सिद्धांत केसवानंद भारती मामले (1973)Read more
आधारभूत ढाँचे का सिद्धांत क्या है?
**1. परिभाषा और उत्पत्ति
‘आधारभूत ढाँचे का सिद्धांत’ भारतीय न्यायपालिका द्वारा स्थापित एक न्यायिक सिद्धांत है, जिसका तात्पर्य है कि संविधान के कुछ मूलभूत तत्वों को किसी भी संशोधन के द्वारा नष्ट या परिवर्तित नहीं किया जा सकता। यह सिद्धांत केसवानंद भारती मामले (1973) में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय से उत्पन्न हुआ, जहाँ कोर्ट ने निर्णय दिया कि संसद को संविधान को संशोधित करने की व्यापक शक्ति है, परंतु वह संविधान के “आधारभूत ढाँचे” को बदल नहीं सकती।
**2. सिद्धांत के मुख्य तत्व
इस सिद्धांत के तहत, संविधान के कुछ मूलभूत तत्व होते हैं जिन्हें सुरक्षित रखा जाता है, जैसे:
भारतीय संविधान के लिए महत्त्व
**1. मूलभूत मूल्यों की सुरक्षा
यह सिद्धांत भारतीय संविधान के मूलभूत मूल्यों और विचारधारा की सुरक्षा करता है। उदाहरण के लिए, गोलकनाथ मामले (1967) और केसवानंद भारती मामले (1973) में यह सिद्धांत लोकतांत्रिक सिद्धांतों और कानूनी राज्य को बनाए रखने में सहायक रहा है।
**2. संसदीय शक्तियों की सीमा
इस सिद्धांत के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने संसदीय शक्तियों का संतुलन बनाए रखा है और सुनिश्चित किया है कि संविधान में कोई भी संशोधन मूलभूत तत्वों को कमजोर नहीं कर सकता। इससे संसदीय शक्ति की पूर्णता को सीमित किया गया है, जैसे कि एस.आर. बोम्मई मामला (1994) में संघीयता की सुरक्षा की गई।
**3. न्यायिक स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा
यह सिद्धांत न्यायिक स्वतंत्रता और मूल अधिकारों की रक्षा करता है। के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार (2017) मामले में, कोर्ट ने यह माना कि गोपनीयता का अधिकार भी संविधान के आधारभूत ढाँचे का हिस्सा है, जिससे मूल अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया।
निष्कर्ष
‘आधारभूत ढाँचे का सिद्धांत’ भारतीय संविधान की मौलिक मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह संविधान की संरचना और लोकतांत्रिक संस्थाओं को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और संविधान के मूलभूत तत्वों को किसी भी संभावित संशोधन से सुरक्षित करता है।
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