भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार की समीक्षा कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ संकल्प और संशोधन प्रस्ताव: राज्य सभा केवल संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर प्रस्तावना और सहमति देने में सक्रिय भूमिका निभाती है। लोकसभा इस प्रक्रिया में स्वतंत्र होती है, लेकिन राज्य सभा के बिना संशोधन लागू नहीं हो सकता। नियुक्ति की शक्ति: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सदस्योंRead more
राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ
- संकल्प और संशोधन प्रस्ताव: राज्य सभा केवल संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर प्रस्तावना और सहमति देने में सक्रिय भूमिका निभाती है। लोकसभा इस प्रक्रिया में स्वतंत्र होती है, लेकिन राज्य सभा के बिना संशोधन लागू नहीं हो सकता।
- नियुक्ति की शक्ति: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सदस्यों (जैसे न्यायाधीश, उपराष्ट्रपति) की नियुक्ति पर राज्य सभा की सहमति आवश्यक होती है। लोकसभा इस पर प्रभावी नहीं होती।
- वित्तीय बिलों की भूमिका: वित्तीय बिलों की प्रस्तुति और चर्चा की अधिकारिता केवल लोकसभा को है, लेकिन राज्य सभा केवल सुझाव दे सकती है और इसे वापसी या संशोधन के लिए लोकसभा के पास भेज सकती है।
- राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर संकल्प: राज्य सभा राष्ट्र के महत्वपूर्ण मामलों पर संकल्प कर सकती है जो विशेषतः संसदीय पद्धतियों से संबंधित होते हैं, जैसे विशेष राज्य क्षेत्र के निर्माण के प्रस्ताव।
निष्कर्ष: राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ संविधान संशोधन, नियुक्तियाँ, और वित्तीय बिलों पर सीमित भूमिका निभाती हैं, जो लोकसभा के अधिकारों से भिन्न हैं।
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भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार अनुभाग 14 से 18 के अंतर्गत आते हैं और ये नागरिकों को समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान करते हैं: अनुभाग 14: समानता का अधिकार - यह संविधान का एक मूल अधिकार है जो हर व्यक्ति को कानूनी समानता और समान सुरकRead more
भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार
भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार अनुभाग 14 से 18 के अंतर्गत आते हैं और ये नागरिकों को समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान करते हैं:
निष्कर्ष: भारतीय संविधान के समानता के मूलाधिकार सभी नागरिकों को कानूनी सुरक्षा और समान अवसर की गारंटी प्रदान करते हैं। ये अधिकार भेदभाव, सामाजिक असमानता, और अभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देते हैं।
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