101 वें संविधान संशोधन अधिनियम का महत्व समझाइए। यह किस हद तक संघवाद के समावेशी भावना को दर्शाता है ? (250 words) [UPSC 2023]
संघीय सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति: विधिक और राजनीतिक कारक 1. "विधिक कारक": "सुप्रीम कोर्ट की नीतिगत सीमाएँ": 1990 के दशक के मध्य से सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 356 के प्रयोग पर सख्त निगरानी रखी है। "S.R. Bommai v. Union of India (1994)" के निर्णय में, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 35Read more
संघीय सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति: विधिक और राजनीतिक कारक
1. “विधिक कारक”:
- “सुप्रीम कोर्ट की नीतिगत सीमाएँ”: 1990 के दशक के मध्य से सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 356 के प्रयोग पर सख्त निगरानी रखी है। “S.R. Bommai v. Union of India (1994)” के निर्णय में, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 356 का उपयोग केवल अत्यावश्यक परिस्थितियों में किया जा सकता है और इसका प्रयोग राजनीतिक उद्देश्य से नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया कि राज्य सरकार को निलंबित करने से पहले राष्ट्रपति को संसद में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करना होगा।
- “राज्यपाल की भूमिका और रिपोर्टिंग”: राज्यपाल की रिपोर्ट पर अनुच्छेद 356 के लागू होने की प्रक्रिया में भी कानूनी अनुशासन आया है। राज्यपाल की रिपोर्ट की सच्चाई की जांच के लिए एक प्रणाली विकसित की गई है, जिससे अनुच्छेद 356 का उपयोग सीमित हुआ है।
2. “राजनीतिक कारक”:
- “सर्वदलीय सहमति की आवश्यकता”: 1990 के दशक में, केंद्रीय और राज्य स्तर पर राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता महसूस की गई। विभिन्न राजनीतिक दलों ने राज्य सरकारों को निलंबित करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने की ओर ध्यान दिया। इसके परिणामस्वरूप, अनुच्छेद 356 का उपयोग सीमित हुआ।
- “राजनीतिक अस्थिरता से बचाव”: राजनीतिक अस्थिरता और चुनावी राजनीति से बचने के लिए, केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रयोग को सावधानीपूर्वक और कम आवृत्ति के साथ अपनाया। राजनीतिक दलों ने यह महसूस किया कि बार-बार अनुच्छेद 356 का उपयोग संघीय सौहार्द और राज्य केंद्र संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
- “संवैधानिक सुधार और लोक दबाव”: संवैधानिक सुधारों और जनमत के दबाव ने अनुच्छेद 356 के उपयोग को नियंत्रित किया। सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव के चलते, सरकारों ने अनुच्छेद 356 का उपयोग न के बराबर किया और इसे अंतिम विकल्प के रूप में रखा।
निष्कर्ष:
संघीय सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की आवृत्ति में कमी के पीछे विधिक और राजनीतिक दोनों ही कारक हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों ने इस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने में योगदान किया, जबकि राजनीतिक कारकों ने संघीय संबंधों को स्थिर रखने की दिशा में कदम उठाए।
See less
101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो मुख्यतः निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन और अनुसूचित जातियों (SCs) तथा अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए आरक्षित सीटों से संबंधित है। इसके महत्व और संघवाद की समावेशी भावना को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकतRead more
101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो मुख्यतः निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन और अनुसूचित जातियों (SCs) तथा अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए आरक्षित सीटों से संबंधित है। इसके महत्व और संघवाद की समावेशी भावना को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
महत्व
संघवाद की समावेशी भावना
इस प्रकार, 101वें संविधान संशोधन अधिनियम का महत्व राजनीतिक प्रतिनिधित्व की स्थिरता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में है, और यह संघवाद की समावेशी भावना को प्रकट करता है।
See less