‘उद्देशिका (प्रस्तावना)’ में शब्द ‘गणराज्य’ के साथ जुड़े प्रत्येक विशेषण पर चर्चा कीजिए । क्या वर्तमान परिस्थितियों में वे प्रतिरक्षणीय हैं ? (200 words) [UPSC 2016]
भारत के संघीय ढांचे के विशेष संदर्भ में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति और इसके क्षेत्राधिकार पर उठते प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। संविधानिक प्रावधान: सहयोग और सहमति: भारतीय संविधान के तहत, कानून और व्यवस्था का मामला राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। CBI को केंद्रीयRead more
भारत के संघीय ढांचे के विशेष संदर्भ में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति और इसके क्षेत्राधिकार पर उठते प्रश्न महत्वपूर्ण हैं।
संविधानिक प्रावधान:
सहयोग और सहमति: भारतीय संविधान के तहत, कानून और व्यवस्था का मामला राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। CBI को केंद्रीय जांच एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है, लेकिन इसके कार्यक्षेत्र और जाँच की शक्ति पर राज्य सरकारों की सहमति आवश्यक है।
संविधानिक ढाँचा: अनुच्छेद 245 के तहत, राज्य की अधिकारिता राज्य के अधिकार क्षेत्र तक सीमित होती है, और किसी भी केंद्रीय एजेंसी को राज्य के अधिकार क्षेत्र में बिना सहमति के जाँच करने का अधिकार नहीं होता।
CBI का क्षेत्राधिकार:
सहमति की आवश्यकता: CBI की जाँच शुरू करने के लिए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारों को किसी भी मामले की जाँच के लिए CBI को अधिकृत करने की शक्ति होती है। यदि राज्य सरकार सहमति नहीं देती, तो CBI जाँच नहीं कर सकती है।
आत्यंतिक शक्ति: हालांकि, CBI को “स्वतंत्र” माना जाता है, लेकिन राज्यों द्वारा दी गई सहमति को रोकना उसकी आत्यंतिक शक्ति को सीमित करता है। यह केंद्रीय एजेंसी की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर उन मामलों में जहाँ भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध शामिल हैं और राज्यों की राजनीति से प्रभावित हो सकते हैं।
संघीय ढाँचा और न्यायिक समीक्षा:
संघीय संतुलन: भारत का संघीय ढाँचा राज्यों और केंद्र के बीच शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। CBI की जाँच की प्रक्रिया में राज्यों की सहमति की आवश्यकता इस संघीय संतुलन को बनाए रखती है, लेकिन यह केंद्रीय एजेंसी की स्वतंत्रता को भी सीमित कर देती है।
न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका इस मुद्दे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य सरकारें अपनी सहमति का उपयोग अनुचित तरीके से न करें और CBI की जाँच को अवरुद्ध न करें।
इस प्रकार, CBI की जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति और इसके क्षेत्राधिकार पर उठते प्रश्न भारत के संघीय ढांचे के मूल्यों और प्रावधानों को चुनौती देते हैं, जो राज्यों और केंद्र के बीच शक्ति के संतुलन को बनाए रखते हैं।
See less
भारतीय संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) में 'गणराज्य' के साथ जुड़े विशेषण हैं: "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य।" प्रत्येक विशेषण की चर्चा और उनकी वर्तमान परिस्थितियों में प्रतिरक्षणीयता निम्नलिखित है: 1. संप्रभु (Sovereign) अर्थ: 'संप्रभु' का मतलब है कि भारत पूर्ण स्वतंत्रता औरRead more
भारतीय संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) में ‘गणराज्य’ के साथ जुड़े विशेषण हैं: “संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य।” प्रत्येक विशेषण की चर्चा और उनकी वर्तमान परिस्थितियों में प्रतिरक्षणीयता निम्नलिखित है:
1. संप्रभु (Sovereign)
See lessअर्थ: ‘संप्रभु’ का मतलब है कि भारत पूर्ण स्वतंत्रता और अधिकार के साथ अपने आंतरिक और बाहरी मामलों का प्रबंधन करता है।
प्रतिरक्षणीयता: यह सिद्धांत आज भी मजबूत है। भारत अपनी संप्रभुता को बनाए हुए है, और अंतर्राष्ट्रीय संधियों और संबंधों के बावजूद, देश के आंतरिक मामलों में पूरी स्वतंत्रता रखता है।
2. समाजवादी (Socialist)
अर्थ: ‘समाजवादी’ का तात्पर्य है आर्थिक समानता और संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करना।
प्रतिरक्षणीयता: यह आदर्श आज भी प्रासंगिक है, हालांकि इसकी कार्यान्वयन में चुनौतियाँ हैं। सरकार सामाजिक कल्याण योजनाओं और आर्थिक सुधारों के माध्यम से असमानता को कम करने का प्रयास कर रही है, परन्तु पूर्णता की दिशा में अभी भी कार्य होना बाकी है।
3. धर्मनिरपेक्ष (Secular)
अर्थ: ‘धर्मनिरपेक्ष’ का मतलब है कि राज्य सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण रखता है और किसी भी धर्म को विशेष लाभ या हानि नहीं पहुँचाता।
प्रतिरक्षणीयता: संविधान में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा कायम है, लेकिन व्यवहार में धार्मिक तनाव और विवाद होते रहते हैं। इसके बावजूद, संविधान और राज्य नीति धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित करने का प्रयास करती हैं।
4. लोकतंत्रात्मक (Democratic)
अर्थ: ‘लोकतंत्रात्मक’ का तात्पर्य है कि सरकार जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनता द्वारा चुनी जाती है और जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
प्रतिरक्षणीयता: भारत का लोकतांत्रिक ढाँचा सक्रिय और सशक्त है। नियमित चुनाव, प्रतिनिधि संस्थाएँ और नागरिक स्वतंत्रताएँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करती हैं, हालांकि राजनीतिक चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता बनी रहती है।
निष्कर्ष
उद्देशिका में वर्णित विशेषण भारत के गणराज्य के मूलभूत आदर्शों को दर्शाते हैं। ये विशेषण वर्तमान परिस्थितियों में भी सामान्यतः प्रतिरक्षणीय हैं, यद्यपि उनके कार्यान्वयन में चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएँ बनी रहती हैं।