“भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों को कार्यात्मक एवं वित्तीय दोनों ही रूप से सशक्त बनाने के प्रति अनिच्छुक प्रतीत होते हैं।” टिप्पणी कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका विधायी कार्यों की व्यवस्था: "संचालन की निगरानी": पीठासीन अधिकारी, जैसे विधानसभा अध्यक्ष या सभापति, विधायी सत्रों की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। वे सदन की बैठकें संचालित करते हैं, और कार्यवाही को सुचारू और प्रभावी बनाए रखते हैं। "निर्देशन और समन्वय":Read more
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका
विधायी कार्यों की व्यवस्था:
- “संचालन की निगरानी”: पीठासीन अधिकारी, जैसे विधानसभा अध्यक्ष या सभापति, विधायी सत्रों की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। वे सदन की बैठकें संचालित करते हैं, और कार्यवाही को सुचारू और प्रभावी बनाए रखते हैं।
- “निर्देशन और समन्वय”: वे विधायी कार्यों के संचालन में दिशा-निर्देशन प्रदान करते हैं, जैसे कि प्रश्नकाल, चर्चा और मतदान प्रक्रियाओं का संचालन। यह सुनिश्चित करता है कि सभी विधायी कार्य नियमित और अनुशासित तरीके से संपन्न हों।
निष्पक्षता बनाए रखना:
- “निर्दलीय भूमिका”: पीठासीन अधिकारी अपनी निष्पक्षता बनाए रखते हैं और सभी पक्षों को समान अवसर प्रदान करते हैं। वे सदन में विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाते हैं और पक्षपातपूर्ण व्यवहार से बचते हैं।
- “लोकतांत्रिक परम्पराओं का पालन”: वे लोकतांत्रिक परम्पराओं और नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं, जैसे कि सदन के नियमों और संविधान के प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही करना। यह परंपराओं की अखंडता को बनाए रखता है और विधायिका की पारदर्शिता को बढ़ाता है।
निष्कर्ष: राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारी विधायी कार्यों में व्यवस्था और निष्पक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी कार्यक्षमता और निष्पक्षता लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने में सहायक होती है।
See less
भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सशक्त बनाने में अनिच्छा कार्यात्मक सशक्तिकरण में कमी: "केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति": भारतीय राज्यों में प्रशासनिक शक्ति का केंद्रीकरण अधिक होता है, जिससे शहरी स्थानीय निकायों की स्वायत्तता सीमित रहती है। उदाहरण के लिए, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पानी की आपूरRead more
भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सशक्त बनाने में अनिच्छा
कार्यात्मक सशक्तिकरण में कमी:
वित्तीय सशक्तिकरण में कमी:
निष्कर्ष: राज्यों की शहरी स्थानीय निकायों को कार्यात्मक और वित्तीय सशक्त बनाने में अनिच्छा स्थानीय शासन की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है। स्थानीय निकायों को अधिक स्वायत्तता और वित्तीय संसाधन प्रदान करना आवश्यक है ताकि वे शहरी विकास की चुनौतियों का बेहतर ढंग से समाधान कर सकें।
See less