विगत कुछ दशकों में राज्य सभा एक ‘उपयोगहीन स्टैपनी टायर’ से सर्वाधिक उपयोगी सहायक अंग में रूपांतरित हुआ है। उन कारकों तथा क्षेत्रों को आलोकित कीजिये जहाँ यह रूपांतरण दृष्टिगत हो सकता है। (250 words) [UPSC 2020]
समितियों की उपयोगिता: समितियाँ संसदीय कार्यों की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियाँ विस्तृत विचार-विमर्श, विश्लेषण, और विशेषज्ञों से साक्षात्कार के माध्यम से जटिल मुद्दों की गहराई से जांच करती हैं, जिससे निर्णय प्रक्रिया अधिक सूचित और संतुलित होती है। उदाहरRead more
समितियों की उपयोगिता: समितियाँ संसदीय कार्यों की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियाँ विस्तृत विचार-विमर्श, विश्लेषण, और विशेषज्ञों से साक्षात्कार के माध्यम से जटिल मुद्दों की गहराई से जांच करती हैं, जिससे निर्णय प्रक्रिया अधिक सूचित और संतुलित होती है। उदाहरण के लिए, लोकसभा की सार्वजनिक क्षेत्र समिति ने 2023 में कई सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति की समीक्षा की और सुधार सुझाव दिए, जो उनके प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार को बढ़ावा देते हैं।
प्राक्कलन समिति की भूमिका:
- प्राक्कलन की समीक्षा: प्राक्कलन समिति, जो संसद के सदस्यों द्वारा गठित होती है, बजट प्रस्तावों और अनुमानित खर्चों की गहन समीक्षा करती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बजट आवंटन वास्तविक और आवश्यकतों के अनुरूप हो। उदाहरण के लिए, 2023-24 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन पर समिति ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिससे स्वास्थ्य बजट में वृद्धि की गई।
- आर्थिक दक्षता: समिति खर्च की दक्षता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करती है। नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के लिए आवंटित बजट की समीक्षा के दौरान, प्राक्कलन समिति ने उपयोग में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं।
- सिफारिशें और सुधार: यह सरकार को बजट और योजनाओं में सुधार के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करती है। इसके माध्यम से, कृषि विकास योजनाओं के लिए वित्तीय प्रबंधन में सुधार हुआ है।
निष्कर्ष: समितियाँ संसदीय कार्यों के लिए अत्यधिक उपयोगी होती हैं, और प्राक्कलन समिति का बजट समीक्षा और सुधार में केंद्रीय योगदान है, जो संसदीय प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाती है।
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