धान-गेहूँ प्रणाली को सफल बनाने के लिए कौन-से प्रमुख कारक उत्तरदायी हैं? इस सफलता के बावजूद यह प्रणाली भारत में अभिशाप कैसे बन गई है? (250 words) [UPSC 2020]
फ़सल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ 1. एकल फसल पर निर्भरता: भारत के कई क्षेत्रों में एकल फसल की निर्भरता, जैसे धान या गेंहू, पारंपरिक प्रथाओं और बाज़ार प्रोत्साहनों के कारण है। इस पर निर्भरता विविध फसलों को अपनाने में बाधक है। 2. अवसंरचना की कमी: सभी क्षेत्रों में पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं, बाज़ारRead more
फ़सल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ
1. एकल फसल पर निर्भरता: भारत के कई क्षेत्रों में एकल फसल की निर्भरता, जैसे धान या गेंहू, पारंपरिक प्रथाओं और बाज़ार प्रोत्साहनों के कारण है। इस पर निर्भरता विविध फसलों को अपनाने में बाधक है।
2. अवसंरचना की कमी: सभी क्षेत्रों में पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं, बाज़ार पहुँच और भंडारण सुविधाओं की कमी से किसानों को नई या विविध फसलों की खेती में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए, पानी की कमी वाले क्षेत्रों में किसान पानी की अधिक माँग वाली फसलों पर ध्यान देते हैं।
3. आर्थिक जोखिम: नई फसलों की आर्थिक जोखिम जैसे मूल्य अनिश्चितता और उत्पादकता की समस्याएँ किसान को विविधता अपनाने से रोकती हैं। जैसे, फलों और सब्जियों की खेती में अधिक निवेश और जोखिम होता है।
4. ज्ञान और विस्तार सेवाओं की कमी: फसल विविधता के लाभ और तकनीकों के बारे में अक्सर ज्ञान की कमी होती है। कृषि विस्तार सेवाएँ नई फसलों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करने में असमर्थ हो सकती हैं।
उभरती प्रौद्योगिकियाँ फ़सल विविधता के लिए अवसर
1. सटीक कृषि: ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और मिट सेंसर जैसी प्रौद्योगिकियाँ मिट्टी की स्थिति का मूल्यांकन करने में मदद करती हैं और उचित फसलों का चयन करती हैं। उदाहरण के लिए, सटीक कृषि किसानों को बेहतर फसल चयन में सहायता करती है।
2. आनुवंशिक सुधार: फसल आनुवंशिकी में उन्नति से सूखा सहनशील और उच्च उत्पादकता वाली प्रजातियाँ विकसित हुई हैं। Bt कपास और बायोफोर्टिफाइड फसलों की शुरुआत विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलन में मदद करती है।
3. जलवायु-स्मार्ट कृषि: जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाएँ, जैसे ड्रिप सिंचाई और वृष्टि जल संचयन, किसानों को प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के बावजूद विविध फसलों की खेती में मदद करती हैं।
4. डिजिटल प्लेटफॉर्म: कृषि-टेक प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स जैसे किसान सुविधा वास्तविक समय की बाज़ार जानकारी, मौसम पूर्वानुमान, और विशेषज्ञ सलाह प्रदान करते हैं, जिससे किसानों को फसल विविधता के निर्णय में सहायता मिलती है।
5. आपूर्ति श्रृंखला नवाचार: कोल्ड स्टोरेज समाधान और प्रभावी लॉजिस्टिक्स उच्च मूल्य वाली फसलों जैसे फलों और सब्जियों की बाज़ार में पहुँच और शेल्फ-लाइफ को सुधारते हैं, जिससे किसानों को विविध फसलों की खेती के लिए प्रेरणा मिलती है।
निष्कर्ष: फ़सल विविधता को अपनाने में चुनौतियाँ जैसे एकल फसल पर निर्भरता और अवसंरचना की कमी मौजूद हैं, लेकिन उभरती प्रौद्योगिकियाँ जैसे सटीक कृषि, आनुवंशिक सुधार, जलवायु-स्मार्ट प्रथाएँ, और डिजिटल प्लेटफॉर्म इन बाधाओं को पार करने में महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती हैं। इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किसानों को अधिक लचीले और सतत कृषि प्रणालियों की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है।
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धान-गेहूँ प्रणाली की सफलता के प्रमुख कारक धान-गेहूँ प्रणाली भारत की कृषि में अत्यधिक सफल रही है, विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद। इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं: उन्नत बीज और उर्वरक: हरित क्रांति के दौरान उन्नत किस्म के बीजों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग ने धान-गेहूँ उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धRead more
धान-गेहूँ प्रणाली की सफलता के प्रमुख कारक
धान-गेहूँ प्रणाली भारत की कृषि में अत्यधिक सफल रही है, विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद। इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
धान-गेहूँ प्रणाली: एक अभिशाप कैसे बनी?
इस प्रणाली की सफलता के बावजूद, इसके दीर्घकालिक प्रभाव नकारात्मक रहे हैं:
निष्कर्ष: धान-गेहूँ प्रणाली ने भारत की खाद्यान्न सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों ने पर्यावरण, मृदा स्वास्थ्य और जल संसाधनों पर गंभीर दबाव डाला है। अब आवश्यकता है कि इस प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए वैकल्पिक फसल प्रणाली, जल-संरक्षण तकनीकों, और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
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