चर्चा कीजिए कि किस प्रकार अनाज की वास्तविक कमी की तुलना में खराब खाद्यान्न प्रबंधन भारत में खाद्य सुरक्षा के समक्ष एक बड़ी चुनौती रहा है। (150 शब्दों में उत्तर दें)
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) की भूमिका और किसान आय पर प्रभाव परिचय राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम), जिसे 2005 में शुरू किया गया था, का उद्देश्य भारत में बागवानी के उत्पादन, उत्पादकता, और किसानों की आय को बढ़ाना है। यह फल, सब्जियाँ, फूल और मसालों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करता है। उत्पादन और उतRead more
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) की भूमिका और किसान आय पर प्रभाव
परिचय
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम), जिसे 2005 में शुरू किया गया था, का उद्देश्य भारत में बागवानी के उत्पादन, उत्पादकता, और किसानों की आय को बढ़ाना है। यह फल, सब्जियाँ, फूल और मसालों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करता है।
उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि
- अवसंरचना विकास
एनएचएम ने अवसंरचना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जैसे कि ठंडा भंडारण, पैकहाउस और प्रसंस्करण इकाइयाँ। उदाहरण के लिए, ठंडा भंडारण सुविधाओं के विकास ने फलों और सब्जियों के पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान को कम किया है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है। - वित्तीय सहायता
मिशन विभिन्न बागवानी गतिविधियों के लिए सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जैसे कि आधुनिक प्रौद्योगिकी और प्रथाओं को अपनाना। इससे ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उच्च-उपज वाली किस्में, और ग्रीनहाउस का उपयोग बढ़ा है, जिससे उत्पादकता में सुधार हुआ है। - अनुसंधान और विकास
एनएचएम अनुसंधान और विकास गतिविधियों को समर्थन करता है, जिससे सुधारित किस्में और कीट प्रबंधन प्रथाएँ विकसित हुई हैं। बीमारी-प्रतिरोधी किस्मों के विकास से फसल की उपज और गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
किसान आय में वृद्धि
- बाजार लिंकिज़
एनएचएम बाजार लिंकिज़ को बढ़ावा देता है, जैसे कि किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), जो किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, किसान कॉल सेंटर्स और ऑनलाइन विपणन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से बिक्री का लाभ मिला है। - विविधीकरण और मूल्य संवर्धन
एनएचएम विविधीकरण और मूल्य संवर्धन गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। ऑर्गेनिक खेती और उत्पाद प्रसंस्करण जैसी पहलों ने किसानों को उच्च मूल्य वाले बाजारों में प्रवेश करने में मदद की है। राजस्थान सरकार के समर्थन से फल और सब्जियों के प्रसंस्करण इकाइयों ने किसान की आय को बढ़ाया है।
आय में वृद्धि की सफलता
- मात्रात्मक प्रभाव
आंकड़ों के अनुसार, एनएचएम ने बागवानी उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि की है, बागवानी फसलों के तहत क्षेत्र पिछले दशक में लगभग 20% बढ़ा है। उदाहरण के लिए, आमों और सिट्रस फलों का उत्पादन उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। - आय सुधार
रिपोर्टों के अनुसार, एनएचएम-सहायित गतिविधियों में शामिल किसानों ने 20-30% आय वृद्धि देखी है, बेहतर उपज और बाजार पहुंच के कारण। हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों ने बेहतर भंडारण और विपणन सुविधाओं के कारण बढ़ी हुई आय देखी है।
हालिया उदाहरण
- महाराष्ट्र सरकार का एनएचएम-समर्थित परियोजना पomegranate की उत्पादकता में सुधार ने स्थानीय किसानों की आय को बढ़ाया है।
- केरल के एनएचएम पहल में मसाला खेती ने बेहतर प्रसंस्करण और विपणन समर्थन के माध्यम से मसाला किसानों की लाभप्रदता को बढ़ाया है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय बागवानी मिशन ने बागवानी उत्पादन, उत्पादकता, और किसान आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके प्रयासों ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है, हालांकि किसानों की आय को स्थिर रखने और बढ़ाने के लिए बाजार पहुंच और तकनीकी अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौती का एक बड़ा हिस्सा खाद्यान्न प्रबंधन की खराबी से संबंधित है, जो वास्तविक अनाज की कमी की तुलना में अधिक गंभीर साबित हो सकता है। खराब खाद्यान्न प्रबंधन: बहुतायत में अनाज का उत्पादन होने के बावजूद, वितरण में कमी, भंडारण की असुविधाएँ, और लॉजिस्टिक्स की समस्याएँ खाद्यान्नRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौती का एक बड़ा हिस्सा खाद्यान्न प्रबंधन की खराबी से संबंधित है, जो वास्तविक अनाज की कमी की तुलना में अधिक गंभीर साबित हो सकता है।
खराब खाद्यान्न प्रबंधन: बहुतायत में अनाज का उत्पादन होने के बावजूद, वितरण में कमी, भंडारण की असुविधाएँ, और लॉजिस्टिक्स की समस्याएँ खाद्यान्न को बेकार कर देती हैं। गोदामों में खराब प्रबंधन, जैसे कि अपर्याप्त सुरक्षा और आद्रता, से अनाज की गुणवत्ता बिगड़ती है। इसके अलावा, बिचौलियों और भ्रष्टाचार की वजह से खाद्यान्न का सही स्थान पर वितरण नहीं हो पाता है।
वास्तविक कमी की तुलना में: इस खराब प्रबंधन के कारण, खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों को अनाज की वास्तविक कमी का अनुभव होता है, जबकि वास्तविकता में अनाज की कोई कमी नहीं होती।
इस चुनौती से निपटने के लिए प्रभावी प्रबंधन प्रणालियों, बेहतर भंडारण उपायों, और पारदर्शिता में सुधार की आवश्यकता है।
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