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भारत में कृषि उत्पादों के विपणन की ऊर्ध्वमुखी और अधोमुखी प्रक्रिया में मुख्य बाधाएँ क्या हैं ? (250 words) [UPSC 2022]
भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ **1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ: **a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच: किसान अक्सर उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों तक सीमित पहुँच का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में छोटे और सीमांत किसान प्रमाणित बीजों की कमी से प्रभावित होते हRead more
भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ
**1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच:
**b. अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा:
**c. असंगठित विस्तार सेवाएँ:
**2. अधोमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. टुकड़ों में आपूर्ति श्रृंखला:
**b. बाजार पहुँच की समस्याएँ:
**c. मूल्य अस्थिरता:
**3. हाल की पहलें और समाधान:
**a. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म:
**b. कोल्ड स्टोरेज निवेश:
**c. विस्तार सेवाओं में सुधार:
निष्कर्ष: इन बाधाओं को दूर करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढाँचा विकास, बेहतर बाजार पहुँच, प्रभावी विस्तार सेवाएँ, और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है। eNAM जैसी पहलें और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में सुधार सही दिशा में कदम हैं, लेकिन उपयुक्त और स्थायी प्रयासों की आवश्यकता है।
See lessभारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व का सविस्तार वर्णन कीजिए । (150 words)[UPSC 2022]
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व **1. कार्यक्षेत्र: विविध उत्पाद: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग फल, सब्जियाँ, डेयरी, मांस, और अनाज उत्पादों की प्रसंस्करण में संलग्न है। इसमें पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, तैयार भोजन, और पेय पदार्थ भी शामिल हैं। विस्तारशीलता: भारत में इस उद्योग की वृद्धिRead more
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व
**1. कार्यक्षेत्र:
**2. आर्थिक महत्त्व:
**3. खाद्य सुरक्षा और पोषण:
**4. हालिया विकास:
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत की आर्थिक वृद्धि, खाद्य सुरक्षा, और पोषण में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके विकास से देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त किया जा सकता है।
See lessभारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इसे किस प्रकार प्रभावी तथा पारदर्शी बनाया जा सकता है ? (150 words)[UPSC 2022]
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ **1. लीकेज और वितरण में गड़बड़ी: पी.डी.एस. में सार्वजनिक वितरण के अंतर्गत सहायता प्राप्त खाद्यान्न का बाजार में विक्रय हो रहा है, जिससे गरीबों तक उचित खाद्य सामग्री नहीं पहुँचती। उदाहरण के लिए, 2023 में कई राज्यों में गेहूं और चावल केRead more
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ
**1. लीकेज और वितरण में गड़बड़ी: पी.डी.एस. में सार्वजनिक वितरण के अंतर्गत सहायता प्राप्त खाद्यान्न का बाजार में विक्रय हो रहा है, जिससे गरीबों तक उचित खाद्य सामग्री नहीं पहुँचती। उदाहरण के लिए, 2023 में कई राज्यों में गेहूं और चावल के काला बाजारी की खबरें आईं।
**2. भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा: भ्रष्टाचार और फर्जी लाभार्थी जैसे मुद्दे भी प्रमुख समस्याएं हैं। 2023 में, कुछ राज्यों में राशन कार्ड के फर्जी लाभार्थियों की पहचान की गई।
**3. अप्रभावी वितरण तंत्र: डिलीवरी और भंडारण की समस्याएँ जैसे असुविधाजनक बुनियादी ढांचा और खराब लॉजिस्टिक्स की वजह से खाद्यान्न की बर्बादी और विलंब हो रहा है।
**4. लक्षित वितरण की कमी: लाभार्थी पहचान में गड़बड़ी के कारण योग्य परिवार छूट जाते हैं या अयोग्य लाभार्थियों को शामिल कर लिया जाता है।
पी.डी.एस. को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उपाय
**1. प्रौद्योगिकी का उपयोग: आधार आधारित प्रमाणीकरण और इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल (ePOS) का उपयोग कर लीकेज को कम किया जा सकता है और सही वितरण सुनिश्चित किया जा सकता है।
**2. निगरानी तंत्र को मजबूत करना: मॉनिटरिंग और ऑडिटिंग सिस्टम को बेहतर बनाकर वितरण प्रक्रिया की ट्रैकिंग और भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है।
**3. पारदर्शिता बढ़ाना: लाभार्थी सूचियों की सार्वजनिक घोषणा और वास्तविक समय की ट्रैकिंग से जवाबदेही और सार्वजनिक विश्वास बढ़ाया जा सकता है।
**4. क्षमता निर्माण: पी.डी.एस. कर्मियों की प्रशिक्षण और भंडारण सुविधाओं में निवेश से प्रभावशीलता और वितरण की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
इन सुधारात्मक उपायों के माध्यम से पी.डी.एस. को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जा सकता है।
See lessभारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सब्सिडी क्या हैं? विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० टी० ओ०) द्वारा उठाए गए कृषि सब्सिडी संबंधित मुद्दों की विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सब्सिडी प्रत्यक्ष सब्सिडी: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): MSP एक महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष सब्सिडी है जिसमें सरकार कुछ फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देती है। उदाहरण के लिए, 2023 में गेहूं का MSP ₹2,125 प्रति क्विंटल था। सब्सिडी वालRead more
भारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सब्सिडी
प्रत्यक्ष सब्सिडी:
अप्रत्यक्ष सब्सिडी:
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० टी० ओ०) द्वारा उठाए गए मुद्दे:
संक्षेप में, जबकि सब्सिडी भारतीय कृषि क्षेत्र को समर्थन प्रदान करती हैं, ये डब्ल्यू० टी० ओ० के नियमों के तहत महत्वपूर्ण समस्याएँ भी उत्पन्न करती हैं, विशेषकर व्यापार विकृति और स्थिरता के मुद्दों के संदर्भ में।
See lessखपत पैटर्न एवं विपणन दशाओं में परिवर्तन के संदर्भ में, भारत में फसल प्रारूप (क्रॉपिंग पैटर्न) में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में फसल प्रारूप (क्रॉपिंग पैटर्न) में परिवर्तन: 1. खपत पैटर्न में परिवर्तन: उदाहरण: भारतीय उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएं, जैसे कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और अधिक प्रोटीन युक्त आहार की मांग, ने फसल प्रारूप में बदलाव को प्रेरित किया है। उदाहरण के लिए, दलहन और ताजे फल-सब्जियों की मांग में वRead more
भारत में फसल प्रारूप (क्रॉपिंग पैटर्न) में परिवर्तन:
1. खपत पैटर्न में परिवर्तन:
2. विपणन दशाओं में परिवर्तन:
3. सरकारी नीतियों का प्रभाव:
4. जलवायु परिवर्तन:
इन कारकों के कारण, भारत में फसल प्रारूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो खपत पैटर्न और विपणन दशाओं में बदलाव के अनुरूप हैं।
See lessभारत में भूमि सुधार के उद्देश्यों एवं उपायों को बताइए। आर्थिक मापदंडों के अंतर्गत, भूमि जोत पर भूमि सीमा नीति को कैसे एक प्रभावी सुधार माना जा सकता है, विवेचना कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
भूमि सुधार के उद्देश्यों एवं उपायों: 1. उद्देश्यों: सामाजिक समानता: भूमि का पुनर्वितरण कर भूमि असमानता को कम करना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना। कृषि उत्पादकता में सुधार: भूमि मालिकाना प्रणाली को बेहतर बनाकर कृषि उत्पादन को बढ़ाना। भूमि अधिकारों की सुरक्षा: किसानों को सुरक्षित भूमि अधिकार प्रदान कRead more
भूमि सुधार के उद्देश्यों एवं उपायों:
1. उद्देश्यों:
2. उपाय:
भूमि सीमा नीति और आर्थिक मापदंड:
1. प्रभावी सुधार: भूमि सीमा नीति आर्थिक मापदंडों के अंतर्गत प्रभावी मानी जाती है क्योंकि:
इस प्रकार, भूमि सीमा नीति आर्थिक दृष्टिकोण से प्रभावी सुधार है जो भूमि वितरण को समान बनाती है और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देती है।
See lessकृषि उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन में ई-तकनीक किसानों की किस प्रकार मदद करती है? इसे समझाइए। (150 words)[UPSC 2023]
ई-तकनीक से कृषि उत्पादन और विपणन में सहायता 1. उत्पादन में सुधार: ई-तकनीक ने कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। प्रेसिजन फार्मिंग तकनीकें, जैसे ड्रोन और रिमोट सेंसिंग, मिट्टी की स्थिति, फसल की दशा और कीटों के प्रकोप की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, ICAR द्वारा ड्रोRead more
ई-तकनीक से कृषि उत्पादन और विपणन में सहायता
1. उत्पादन में सुधार: ई-तकनीक ने कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। प्रेसिजन फार्मिंग तकनीकें, जैसे ड्रोन और रिमोट सेंसिंग, मिट्टी की स्थिति, फसल की दशा और कीटों के प्रकोप की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, ICAR द्वारा ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी के लिए किया जाता है, जिससे उपज की भविष्यवाणी और संसाधन प्रबंधन में सुधार होता है। मोबाइल ऐप्स जैसे किसान सुविधा मौसम पूर्वानुमान, कृषि सलाह और कीट प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध कराते हैं, जिससे किसान बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
2. विपणन में सुधार: विपणन में, ई-तकनीक eNAM (इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से सीधे बाजार से जोड़ती है। eNAM किसानों को खरीदारों से सीधे जोड़ता है, बिचौलियों को समाप्त करता है और बेहतर मूल्य सुनिश्चित करता है। ऑनलाइन कृषि बाजार, जैसे Ninjacart और BigHaat, किसानों को व्यापक बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे उचित मूल्य मिलता है और मंडियों पर निर्भरता कम होती है।
निष्कर्ष: ई-तकनीक कृषि उत्पादन और विपणन को बेहतर जानकारी और बाजार पहुंच प्रदान करके दक्षता और लाभप्रदता में सुधार करती है।
See lessसार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन और विपणन को बेहतर बनाने में कितनी सहायक हो सकती है?(250 शब्दों में उत्तर दें)
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। यह साझेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की नीति निर्माण और आधारभूत ढांचा विकास के साथ निजी क्षेत्र की दक्षता, निवेश और नवाचार को जोड़ती है, जिससे कृषि क्षेत्र को कई लाभ प्राप्त होते हैं। 1Read more
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। यह साझेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की नीति निर्माण और आधारभूत ढांचा विकास के साथ निजी क्षेत्र की दक्षता, निवेश और नवाचार को जोड़ती है, जिससे कृषि क्षेत्र को कई लाभ प्राप्त होते हैं।
1. भंडारण क्षमता और प्रबंधन: PPPs के माध्यम से निजी कंपनियों को भंडारण अवसंरचना, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और साइलो निर्माण में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के संसाधनों और निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का संगम है, जो भंडारण क्षमता को बढ़ाता है और भंडारण की गुणवत्ता में सुधार करता है। इससे कृषि उपज की बर्बादी में कमी आती है और किसानों को उच्च मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है।
2. परिवहन नेटवर्क: निजी क्षेत्र की भागीदारी से परिवहन नेटवर्क में सुधार हो सकता है, जैसे कि बेहतर सड़कों, कंटेनर ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेवाओं के माध्यम से। सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत, आधुनिक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और संचालन में निवेश किया जा सकता है, जिससे कृषि उपज की डिलीवरी समय पर और सुरक्षित रूप से की जा सके।
3. विपणन और वितरण: PPPs विपणन चैनलों के विकास में भी योगदान कर सकते हैं। निजी क्षेत्र के खिलाड़ी एग्री-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म और ई-मार्केटिंग चैनल्स को स्थापित और संचालित कर सकते हैं, जो किसानों को सीधे बाजार से जोड़ते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होती है और किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त होता है।
4. नवाचार और तकनीकी सुधार: निजी क्षेत्र की सहभागिता नई तकनीकों और इनोवेटिव समाधानों के लागू करने में सहायक होती है। इससे कृषि क्षेत्र में स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग बढ़ता है, जो भंडारण, परिवहन, और विपणन की प्रक्रियाओं को और अधिक कुशल बनाता है।
5. जोखिम प्रबंधन और वित्तीय प्रबंधन: PPPs की सहायता से वित्तीय प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन तंत्र भी मजबूत किए जा सकते हैं। निजी क्षेत्र के अनुभव और संसाधनों का उपयोग कर सार्वजनिक परियोजनाओं को लागत-कुशल और जोखिम-प्रबंधित बनाया जा सकता है।
इस प्रकार, सार्वजनिक-निजी भागीदारी भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन में सुधार करने के लिए एक प्रभावी मॉडल प्रदान करती है, जिससे कृषि क्षेत्र को अधिक समृद्ध और स्थिर बनाया जा सकता है।
See lessब्लॉकचेन तकनीक भारत में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण की दिशा में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है?(250 शब्दों में उत्तर दें)
ब्लॉकचेन तकनीक भारत में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि यह पारदर्शिता, सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करने में सहायक है। 1. पारदर्शिता और विश्वसनीयता: ब्लॉकचेन तकनीक एक विकेंद्रीकृत डिजिटल लेजर है, जो सभी लेन-देन को एक सुरक्षित और अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड के रूप में संRead more
ब्लॉकचेन तकनीक भारत में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि यह पारदर्शिता, सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करने में सहायक है।
1. पारदर्शिता और विश्वसनीयता: ब्लॉकचेन तकनीक एक विकेंद्रीकृत डिजिटल लेजर है, जो सभी लेन-देन को एक सुरक्षित और अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड के रूप में संग्रहीत करता है। भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में इसका उपयोग पारदर्शिता को बढ़ाता है क्योंकि प्रत्येक लेन-देन और संपत्ति की जानकारी को ब्लॉकचेन पर सुरक्षित तरीके से दर्ज किया जाता है। इससे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा की संभावना कम होती है, और जमीन के मालिकाना हक और लेन-देन की सटीकता सुनिश्चित होती है।
2. सुरक्षा: ब्लॉकचेन की सुरक्षा विशेषताएँ, जैसे कि क्रिप्टोग्राफिक एन्क्रिप्शन और विकेंद्रीकरण, डेटा की सुरक्षा को बढ़ाती हैं। यह तकनीक भूमि रिकॉर्ड को हैकिंग और अनधिकृत परिवर्तनों से बचाती है, जिससे भूमि के मालिक और लेन-देन की जानकारी सुरक्षित रहती है।
3. प्रक्रिया की दक्षता: पारंपरिक भूमि रिकॉर्ड सिस्टम में दस्तावेज़ों की गिनती, सत्यापन और अद्यतन की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है। ब्लॉकचेन तकनीक स्वचालित स्मार्ट कांट्रैक्ट्स का उपयोग करके लेन-देन की प्रक्रिया को त्वरित और दक्ष बनाती है। इससे लेन-देन की प्रक्रिया सरल हो जाती है, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है।
4. विवाद समाधान: ब्लॉकचेन पर दर्ज जानकारी के अद्यतन और ट्रैकिंग की सहजता विवाद समाधान में मदद करती है। किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में, ब्लॉकचेन के अभिलेख अद्यतन इतिहास को सत्यापित करके विवादों को आसानी से सुलझाया जा सकता है।
5. समय और लागत की बचत: भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और ब्लॉकचेन के माध्यम से भूमि लेन-देन के रिकॉर्ड को ऑनलाइन और सुरक्षित रूप से प्रबंधित किया जा सकता है, जिससे कागजी कार्रवाई की आवश्यकता कम होती है और प्रशासनिक लागत में कमी आती है।
इन विशेषताओं के माध्यम से, ब्लॉकचेन तकनीक भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित, और कुशल बनाने में सहायक हो सकती है, जो भारत के भूमि प्रशासन को एक नई दिशा प्रदान कर सकती है।
See lessकृषि में प्रौद्योगिकी मिशन क्या है? इसकी उपयोगिता बताइए। (125 Words) [UPPSC 2021]
कृषि में प्रौद्योगिकी मिशन भारत सरकार की एक पहल है जो कृषि क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को लागू करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाना है। उपयोगिता: उत्पादकता वृद्धि: उन्नत तकनीकों जैसे सटीक कृषि, ड्रोन, और सेंसर्स से फसल की उपज बढ़ती है। सतत कृषि: नईRead more
कृषि में प्रौद्योगिकी मिशन भारत सरकार की एक पहल है जो कृषि क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को लागू करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाना है।
उपयोगिता:
इस प्रकार, कृषि में प्रौद्योगिकी मिशन खेती को अधिक कुशल, टिकाऊ, और लाभकारी बनाने में सहायक है।
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