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भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों की व्याख्या कीजिये। उन्हें कैसे दूर किया जा सकता हैं? समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान चुनौतियाँ: जनसंख्या वृद्धि: तेजी से बढ़ती जनसंख्या खाद्य मांग को बढ़ा रही है। 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जो खाद्य सुरक्षा पर दबाव डालती है। जलवायु परिवर्तन: चरम मौसम घटनाएँ जैसे बाढ़ और सूखा फसल उत्पादन को प्रभावित करतRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान
चुनौतियाँ:
समाधान:
निष्कर्ष: भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने के लिए तकनीकी नवाचार, जलवायु अनुकूलन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और प्रभावी सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इन उपायों को लागू करके खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है और सभी नागरिकों को पर्याप्त और पोषक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessलघु एवं सीमान्त किसानों पर हरित क्रांति के प्रभावों की व्याख्या करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
लघु एवं सीमान्त किसानों पर हरित क्रांति के प्रभाव **1. सकारात्मक प्रभाव: उत्पादकता में वृद्धि: हरित क्रांति ने उच्च-उपज वाली फसलों और आधुनिक कृषि तकनीकों को पेश किया, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ी। इससे कुछ लघु किसान भी लाभान्वित हुए, जिन्होंने नई किस्मों और बेहतर सिंचाई सुविधाओं का उपयोग किया। आर्थिकRead more
लघु एवं सीमान्त किसानों पर हरित क्रांति के प्रभाव
**1. सकारात्मक प्रभाव:
**2. नकारात्मक प्रभाव:
**3. हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: हरित क्रांति ने कुछ लघु किसानों के लिए लाभकारी परिणाम दिए, लेकिन असमान संसाधनों के कारण कई सीमान्त किसान पर्यावरणीय और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
See lessभारत में कृषि उत्पादकता में कमी के क्या कारण हैं? (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत में कृषि उत्पादकता की कमी के कारण 1. सिंचाई की कमी: असंतुलित सिंचाई सुविधाएं और मॉनसून पर निर्भरता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, Vidarbha में सूखा की समस्याएं कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं। 2. प्रौद्योगिकी की कमी: पुरानी कृषि तकनीकें और मशीनरी की कमी से उत्पादकता में कRead more
भारत में कृषि उत्पादकता की कमी के कारण
1. सिंचाई की कमी: असंतुलित सिंचाई सुविधाएं और मॉनसून पर निर्भरता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, Vidarbha में सूखा की समस्याएं कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं।
2. प्रौद्योगिकी की कमी: पुरानी कृषि तकनीकें और मशीनरी की कमी से उत्पादकता में कमी होती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सुधार प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी का प्रयोग कम है।
3. मिट्टी की गुणवत्ता: अधिक उर्वरक उपयोग और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के कारण, उत्पादकता में गिरावट आती है। स्वस्थ मिट्टी प्रबंधन योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कृष्ण सिंचाई योजना का ध्यान इस पर है।
4. छोटे और बंटे हुए खेत: छोटे खेत और भूमि का विभाजन फसलों के मात्रात्मक लाभ और प्रबंधन में कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है।
सारांश: सिंचाई की कमी, प्रौद्योगिकी की कमी, मिट्टी की गुणवत्ता और भूमि का विभाजन मुख्य कारण हैं जो भारत में कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।
See less"भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित देशों की गति के साथ नहीं बढ़ा है।" इसकी व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें 1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी। 2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है,Read more
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें
1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी।
2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है, जो उद्योग के आधुनिकीकरण और विस्तार में बाधक है।
3. नियामक चुनौतियाँ: जटिल नियामक ढाँचा और लंबी प्रक्रिया व्यापार में लचीलापन की कमी और प्रभावशीलता की कमी का कारण बनती है।
हालिया उदाहरण: हाल ही में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) जैसे सरकारी प्रयास खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को संवृद्धि देने की दिशा में प्रयासरत हैं। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को पीछे रहना पड़ रहा है।
सारांश: भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में संरचनात्मक, निवेश सम्बंधी, और नियामक चुनौतियाँ प्रमुख बाधाएँ हैं।
See lessरिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिए जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइए। (250 words) [UPSC 2020]
जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय **1. जल भंडारण में सुधार a. वर्षा जल संचयन: वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ, जैसे की जल संचयन टैंक और गड्ढे, जल की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश ने “जल शक्ति अभियान” के अंतर्गत घर-घर वर्षा जल संचयन के प्रयास किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधRead more
जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय
**1. जल भंडारण में सुधार
a. वर्षा जल संचयन:
वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ, जैसे की जल संचयन टैंक और गड्ढे, जल की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश ने “जल शक्ति अभियान” के अंतर्गत घर-घर वर्षा जल संचयन के प्रयास किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
b. चेक डेम और परकोलेशन पिट्स:
छोटे चेक डेम और परकोलेशन पिट्स जल के संचयन और भूजल पुनर्भरण में सहायक होते हैं। राजस्थान में, “सुजलाम सुफलाम योजना” के अंतर्गत ऐसे ढाँचों का निर्माण किया गया है, जिससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जलस्तर में वृद्धि हुई है।
c. पारंपरिक जल स्रोतों की पुनरावृत्ति:
प्राचीन जल स्रोतों जैसे तालाबों और झीलों का पुनरुद्धार जल की उपलब्धता को बढ़ा सकता है। मध्य प्रदेश में, भोपल की झीलों का पुनरुद्धार किया गया है, जिससे क्षेत्रीय जल संसाधनों में सुधार हुआ है।
**2. सिंचाई प्रणालियों में सुधार
a. ड्रिप सिंचाई:
ड्रिप सिंचाई प्रणाली सीधे पौधों की जड़ों को पानी प्रदान करती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है। महाराष्ट्र में प्याज की खेती में ड्रिप सिंचाई के उपयोग से पानी की खपत में कमी आई है और उपज में वृद्धि हुई है।
b. स्प्रिंकलर सिस्टम:
स्प्रिंकलर प्रणाली विशेष रूप से असमान भूभाग वाले क्षेत्रों में पानी की प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करती है। कर्नाटका में, गन्ने की फसलों के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग किया गया है, जिससे पानी की उपयोगिता में सुधार हुआ है।
c. मिट्टी की नमी प्रबंधन:
मिट्टी की नमी सेंसरों का उपयोग करके सिंचाई अनुसूचियों का प्रबंधन सटीक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। पंजाब में, इन सेंसरों के उपयोग से सिंचाई में सुधार और फसल की उत्पादकता में वृद्धि देखी गई है।
**3. नीति और प्रशासनिक उपाय
a. जल-संरक्षण तकनीकों के लिए प्रोत्साहन:
जल-संरक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करना महत्वपूर्ण है। “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)” के तहत ऐसे तकनीकी सुधारों को समर्थन दिया जाता है।
b. एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM):
IWRM दृष्टिकोण जल संसाधनों के प्रबंधन में समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। राष्ट्रीय जल नीति, 2012, इस एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिससे जल उपयोग और प्रबंधन में सुधार होता है।
निष्कर्ष:
See lessजल भंडारण और सिंचाई प्रणालियों में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक विधियों का सम्मिलित उपयोग, साथ ही समर्थक नीतियों की आवश्यकता है, ताकि जल उपयोग की दक्षता और स्थिरता में सुधार हो सके।
धान-गेहूँ प्रणाली को सफल बनाने के लिए कौन-से प्रमुख कारक उत्तरदायी हैं? इस सफलता के बावजूद यह प्रणाली भारत में अभिशाप कैसे बन गई है? (250 words) [UPSC 2020]
धान-गेहूँ प्रणाली की सफलता के प्रमुख कारक धान-गेहूँ प्रणाली भारत की कृषि में अत्यधिक सफल रही है, विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद। इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं: उन्नत बीज और उर्वरक: हरित क्रांति के दौरान उन्नत किस्म के बीजों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग ने धान-गेहूँ उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धRead more
धान-गेहूँ प्रणाली की सफलता के प्रमुख कारक
धान-गेहूँ प्रणाली भारत की कृषि में अत्यधिक सफल रही है, विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद। इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
धान-गेहूँ प्रणाली: एक अभिशाप कैसे बनी?
इस प्रणाली की सफलता के बावजूद, इसके दीर्घकालिक प्रभाव नकारात्मक रहे हैं:
निष्कर्ष: धान-गेहूँ प्रणाली ने भारत की खाद्यान्न सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों ने पर्यावरण, मृदा स्वास्थ्य और जल संसाधनों पर गंभीर दबाव डाला है। अब आवश्यकता है कि इस प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए वैकल्पिक फसल प्रणाली, जल-संरक्षण तकनीकों, और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
See lessभारत में कृषिभूमि धारणों के पतनोन्मुखी औसत आकार को देखते हुए, जिसके कारण अधिकांश किसानों के लिए कृषि अलाभकारी बन गई है, क्या संविदा कृषि को और भूमि को पट्टे पर देने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ? इसके पक्ष-विपक्ष का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए । (200 words) [UPSC 2015]
संविदा कृषि और भूमि पट्टे पर देने की संभावनाएँ: पक्ष और विपक्ष भारत में कृषिभूमि धारणाओं का पतनोन्मुख औसत आकार और अल्प लाभकारी कृषि के कारण, संविदा कृषि और भूमि पट्टे पर देने को बढ़ावा देने की संभावना पर विचार किया जा सकता है। संविदा कृषि के पक्ष निवेश और आधुनिक तकनीक: संविदा कृषि में निजी कंपनियाँRead more
संविदा कृषि और भूमि पट्टे पर देने की संभावनाएँ: पक्ष और विपक्ष
भारत में कृषिभूमि धारणाओं का पतनोन्मुख औसत आकार और अल्प लाभकारी कृषि के कारण, संविदा कृषि और भूमि पट्टे पर देने को बढ़ावा देने की संभावना पर विचार किया जा सकता है।
संविदा कृषि के पक्ष
संविदा कृषि के विपक्ष
भूमि पट्टे पर देने के पक्ष
भूमि पट्टे पर देने के विपक्ष
निष्कर्ष
संविदा कृषि और भूमि पट्टे पर देने के दोनों दृष्टिकोणों में लाभ और हानि के पहलू हैं। इनकी प्रभावशीलता और दीर्घकालिक सफलता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि किसान हित और न्यायपूर्ण नीतियों को ध्यान में रखते हुए इन उपायों को लागू किया जाए।
See lessभारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विकास करने की राह में विपणन और पूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में क्या बाधाएँ हैं ? क्या इन बाधाओं पर काबू पाने में ई-वाणिज्य सहायक हो सकता है ? (200 words) [UPSC 2015]
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में विपणन और पूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की बाधाएँ विप fragmented आपूर्ति श्रृंखला: भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक अत्यंत फटे हुए आपूर्ति श्रृंखला का सामना करता है। किसानों को अक्सर कई मध्यस्थों से गुजरना पड़ता है, जिससे लागत बढ़ती है और अपशिष्ट बढ़ता है।Read more
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में विपणन और पूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की बाधाएँ
ई-वाणिज्य द्वारा बाधाओं का समाधान
ई-वाणिज्य इन चुनौतियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
इस प्रकार, जबकि कई महत्वपूर्ण बाधाएँ हैं, ई-वाणिज्य भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विपणन और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं को सुलझाने में सहायक हो सकता है।
See less'डिजिटल भारत' कार्यक्रम खेत उत्पादकता और आय को बढ़ाने में किसानों की किस प्रकार सहायता कर सकता है ? सरकार ने इस सम्बन्ध में क्या कदम उठाए हैं? (200 words) [UPSC 2015]
'डिजिटल भारत' कार्यक्रम से किसानों की सहायता परिचय 'डिजिटल भारत' कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को सुधारना है, जिसमें कृषि भी शामिल है। यह कार्यक्रम किसानों की खेत उत्पादकता और आय को डिजिटल साधनों के माध्यम से बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। खेत उत्पादRead more
‘डिजिटल भारत’ कार्यक्रम से किसानों की सहायता
परिचय
‘डिजिटल भारत’ कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को सुधारना है, जिसमें कृषि भी शामिल है। यह कार्यक्रम किसानों की खेत उत्पादकता और आय को डिजिटल साधनों के माध्यम से बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।
खेत उत्पादकता में सुधार
किसानों की आय में वृद्धि
सरकारी पहल
सारांश में, ‘डिजिटल भारत’ कार्यक्रम किसानों को उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए आवश्यक उपकरण और प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है, और सरकार इन डिजिटल पहलों को विस्तारित और सुधारने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
See lessग्रामीण क्षेत्रों में कृषीतर रोज़गार और आय का प्रबन्ध करने में पशुधन पालन की बड़ी संभाव्यता है। भारत में इस क्षेत्रक की प्रोन्नति करने के उपयुक्त उपाय सुझाते हुए चर्चा कीजिए । (200 words) [UPSC 2015]
पशुधन पालन ग्रामीण क्षेत्रों में कृषीतर रोज़गार और आय का प्रबन्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस क्षेत्र की प्रोन्नति के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं: प्रशिक्षण और शिक्षा: किसानों और पशुपालकों को आधुनिक पशुधन पालन तकनीकों, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, और बेहतर आहार प्रथाओं पर प्रशिक्षणRead more
पशुधन पालन ग्रामीण क्षेत्रों में कृषीतर रोज़गार और आय का प्रबन्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस क्षेत्र की प्रोन्नति के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
इन उपायों को अपनाकर भारत में पशुधन पालन क्षेत्र की संभावनाओं को साकार किया जा सकता है।
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