चारे की खराब गुणवत्ता और उसकी अपर्याप्त उपलब्धता भारत में पशुधन की कम उत्पादकता के पीछे प्रमुख कारण हैं। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारतीय कृषि में 'तकनीकी मिशन' का तात्पर्य परिचय तकनीकी मिशन भारतीय कृषि में उन्नत तकनीकों और नवाचारों के माध्यम से उत्पादकता और सततता को बढ़ाने के लिए चलाए गए कार्यक्रमों को संदर्भित करता है। प्रमुख तकनीकी मिशनों में राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी परियोजना (NATP) और राष्ट्रीय तेलसीड्स और तेल पाम मिशन (Read more
भारतीय कृषि में ‘तकनीकी मिशन’ का तात्पर्य
परिचय
तकनीकी मिशन भारतीय कृषि में उन्नत तकनीकों और नवाचारों के माध्यम से उत्पादकता और सततता को बढ़ाने के लिए चलाए गए कार्यक्रमों को संदर्भित करता है। प्रमुख तकनीकी मिशनों में राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी परियोजना (NATP) और राष्ट्रीय तेलसीड्स और तेल पाम मिशन (NMOOP) शामिल हैं।
उद्देश्य
- उत्पादकता में वृद्धि: फसल की उपज और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों और उच्च उपज देने वाली किस्मों को लागू करना।
- सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना: सतत कृषि प्रथाओं और संसाधन उपयोग में सुधार करना।
- अनुसंधान और विकास का समर्थन: कृषि अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना, और कृषि विस्तार सेवाओं को मजबूत करना।
हालिया उदाहरण
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत सिंचाई इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं।
- e-NAM प्लेटफार्म द्वारा कृषि विपणन में सुधार और किसान कॉल सेंटर के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
भारत में पशुधन की कम उत्पादकता के प्रमुख कारणों में चारे की खराब गुणवत्ता और उसकी अपर्याप्त उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं। चारे की खराब गुणवत्ता: भारतीय चारे में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की कमी होती है, जिससे पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति और दूध, मांस, और अन्य उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अपर्यापRead more
भारत में पशुधन की कम उत्पादकता के प्रमुख कारणों में चारे की खराब गुणवत्ता और उसकी अपर्याप्त उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं।
चारे की खराब गुणवत्ता: भारतीय चारे में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की कमी होती है, जिससे पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति और दूध, मांस, और अन्य उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अपर्याप्त उपलब्धता: चारे की उपलब्धता की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है, खासकर सूखा या अनियमित मौसमी परिस्थितियों में। इसका कारण अक्सर फसल उत्पादन में कमी, भूमि उपयोग की समस्याएँ, और परिवहन की असुविधाएँ होती हैं।
इन समस्याओं के कारण, पशुधन को पोषण की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी उत्पादकता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चारे की खेती, बेहतर प्रबंधन प्रथाएँ, और चारे के उपयोग की तकनीकियों में सुधार आवश्यक है।
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