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दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण सम्बन्धों के कारण सीमा प्रबन्धन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबन्धन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिए। (200 words) [UPSC 2016]
सभी देशों के लिए प्रभावशाली सीमा प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां दुर्गम स्थलाकृतियाँ और शत्रुतापूर्ण सम्बन्ध हों। इसके प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं: भौगोलिक चुनौतियाँ: दुर्गम इलाकों में सीमाओं की निगरानी और प्रबंधन कठिन होता है। पहाड़ी क्षेत्र, रेगिस्तान या dense जंगल जैRead more
सभी देशों के लिए प्रभावशाली सीमा प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां दुर्गम स्थलाकृतियाँ और शत्रुतापूर्ण सम्बन्ध हों। इसके प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं:
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए आधुनिक तकनीक, मजबूत सुरक्षा बल, और प्रभावशाली कूटनीतिक प्रयास आवश्यक हैं।
See lessचीन और पाकिस्तान ने एक आर्थिक गलियारे के विकास के लिए समझौता किया है। यह भारत की सुरक्षा के लिए क्या खतरा प्रस्तुत करता है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत की सुरक्षा पर इसके खतरे: 1. सामरिक और भौगोलिक प्रभाव: CPEC का अवलोकन: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक महत्वपूर्ण आधारभूत परियोजना है जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजियांग क्षेत्र से सड़क, पाइपलाइन, और रेलमार्गों के माध्यम से जोड़ती है।Read more
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत की सुरक्षा पर इसके खतरे:
1. सामरिक और भौगोलिक प्रभाव:
2. भारत के लिए सुरक्षा चिंताएँ:
3. क्षेत्रीय प्रभाव और चुनौतियाँ:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खतरे प्रस्तुत करता है, जैसे कि चीन की सामरिक उपस्थिति में वृद्धि, पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक क्षमताओं में सुधार, और आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता का बढ़ता जोखिम। भारत को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक रणनीतियाँ अपनानी चाहिए, जिसमें बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना, क्षेत्रीय गठबंधनों को सुदृढ़ करना और सीमा सुरक्षा में वृद्धि शामिल है।
See less2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के लिए देशांतरी (लॉगिट्यूडिनल) अंकन अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन द्वारा अरब सागर में 65 डिग्री पूर्व से 78 डिग्री पूर्व तक खिसका दिया गया था। भारत के समुद्री सुरक्षा सरोकारों पर इसका क्या परिणाम है? (200 words) [UPSC 2014]
2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के खिसकने का भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव: 1. समुद्री सुरक्षा पर बढ़ता ध्यान: अंकन का स्थानांतरण: 2012 में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के लिए longitudinal अंकन को अरब सागर में 65 डिग्री पूर्वRead more
2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के खिसकने का भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव:
1. समुद्री सुरक्षा पर बढ़ता ध्यान:
2. भारतीय समुद्री हितों के लिए बढ़ा जोखिम:
3. रणनीतिक और परिचालनात्मक प्रभाव:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: IMO द्वारा समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के स्थानांतरण का भारत की समुद्री सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। बढ़ते डकैती के जोखिमों के मद्देनजर, नौसैनिक तैनाती को बढ़ाना, क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना, और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पहलों में भागीदारी महत्वपूर्ण रणनीतियाँ हैं।
See lessभारत की सुरक्षा को गैर-कानूनी सीमापार प्रवसन किस प्रकार एक खतरा प्रस्तुत करता है? इसे बढ़ावा देने के कारणों को उजागर करते हुए ऐसे प्रवसन को रोकने की रणनीतियों का वर्णन कीजिए।
भारत की सुरक्षा को गैर-कानूनी सीमापार प्रवसन का खतरा: 1. राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: आतंकवाद और विद्रोह: गैर-कानूनी प्रवास से आतंकवादियों और चरमपंथियों का प्रवेश हो सकता है, जो सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। हाल के उदाहरणों में, असम और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आने वाले प्रवासियों द्वारRead more
भारत की सुरक्षा को गैर-कानूनी सीमापार प्रवसन का खतरा:
1. राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव:
2. सामाजिक और आर्थिक दबाव:
3. सीमा प्रबंधन की चुनौतियाँ:
गैर-कानूनी प्रवासन को रोकने की रणनीतियाँ:
1. सीमा सुरक्षा को मजबूत करना:
2. कानूनी और नीतिगत उपाय:
3. सामाजिक-आर्थिक विकास:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: गैर-कानूनी सीमापार प्रवसन भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे प्रस्तुत करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक स्थिरता, और संसाधन आवंटन को प्रभावित करता है। सीमा सुरक्षा को मजबूत करना, कानूनी उपायों को लागू करना, और सामाजिक-आर्थिक कारणों को संबोधित करना अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण रणनीतियाँ हैं।
See lessअन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन नियम सभी देशों को अपने भूभाग के ऊपर के आकाशी क्षेत्र (एयरस्पेस) पर पूर्ण और अनन्य प्रभुता प्रदान करते हैं। आप 'आकाशी क्षेत्र' से क्या समझते हैं? इस आकाशी क्षेत्र के ऊपर के आकाश के लिए इन नियमों के क्या निहितार्थ हैं? इससे प्रसूत चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और खतरे को नियंत्रण करने के तरीके सुझाइए। (200 words) [UPSC 2014]
आकाशी क्षेत्र (Airspace) की परिभाषा: आकाशी क्षेत्र: आकाशी क्षेत्र वह वायुमंडल होता है जो एक देश के भूभाग और उसके समुद्री क्षेत्रों के ऊपर स्थित होता है। अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन नियमों के तहत, सभी देशों को अपने क्षेत्र के ऊपर के आकाश पर पूर्ण और अनन्य प्रभुता प्राप्त होती है, जिससे वे अपने आकाशी कRead more
आकाशी क्षेत्र (Airspace) की परिभाषा:
आकाशी क्षेत्र: आकाशी क्षेत्र वह वायुमंडल होता है जो एक देश के भूभाग और उसके समुद्री क्षेत्रों के ऊपर स्थित होता है। अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन नियमों के तहत, सभी देशों को अपने क्षेत्र के ऊपर के आकाश पर पूर्ण और अनन्य प्रभुता प्राप्त होती है, जिससे वे अपने आकाशी क्षेत्र का नियंत्रण और प्रबंधन कर सकते हैं।
नियमों के निहितार्थ:
चुनौतियाँ:
खतरे को नियंत्रण करने के तरीके:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: आकाशी क्षेत्र पर पूर्ण प्रभुता देशों को अपनी सुरक्षा और वायु यातायात प्रबंधन का अधिकार देती है। अनधिकृत घुसपैठ, स्पेस डेब्री, और तकनीकी चुनौतियों के समाधान के लिए उन्नत निगरानी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, अद्यतन नियम, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता है। इन उपायों से आकाशी क्षेत्र और इसके ऊपर के स्थान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessउत्तर-पूर्वी भारत में उपप्लवियों की सीमा के आरपार आवाजाही, सीमा की पुलिसिंग के सामने अनेक सुरक्षा चुनौतियों में से केवल एक है। भारत-म्यांमार सीमा के आरपार वर्तमान में आरंभ होने वाली विभिन्न चुनौतियों का परीक्षण कीजिए। साथ ही चुनौतियों का प्रतिरोध करने के कदमों पर चर्चा कीजिए। (250 words) [UPSC 2019]
Challenges and Responses Along the India-Myanmar Border 1. Cross-Border Insurgency: Insurgent Movements: The India-Myanmar border is marked by significant cross-border insurgency issues. Insurgent groups, such as the United Liberation Front of Asom (ULFA) and the National Socialist Council of NagalaRead more
Challenges and Responses Along the India-Myanmar Border
1. Cross-Border Insurgency:
2. Illegal Drug Trafficking:
3. Refugee Influx and Border Security:
4. Lack of Effective Border Management:
5. Bilateral Cooperation and Border Management:
6. Community Engagement and Development:
7. Technological Integration:
These measures, combined with stronger bilateral ties and community engagement, are crucial in addressing the multifaceted challenges of the India-Myanmar border and ensuring long-term stability in the region.
See lessआन्तरिक सुरक्षा खतरों तथा नियन्त्रण रेखा सहित म्यांमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा-पार अपराधों का विश्लेषण कीजिए। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस सन्दर्भ में निभाई गई भूमिका की विवेचना भी कीजिए। (250 words) [UPSC 2020]
आन्तरिक सुरक्षा खतरों और सीमा-पार अपराधों का विश्लेषण 1. म्यांमार सीमा पर खतरों और अपराधों: आन्तरिक सुरक्षा खतरों: उग्रवाद और आतंकवाद: म्यांमार सीमा पर NSCN(K) और ULFA जैसी उग्रवादी समूहों की गतिविधियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए, NSCN(K) ने म्यांमार की सीमा का उपयोग भारत में हमलों के लिए किया है। सीमाRead more
आन्तरिक सुरक्षा खतरों और सीमा-पार अपराधों का विश्लेषण
1. म्यांमार सीमा पर खतरों और अपराधों:
आन्तरिक सुरक्षा खतरों:
सीमा-पार अपराध:
2. बांग्लादेश सीमा पर खतरों और अपराधों:
आन्तरिक सुरक्षा खतरों:
सीमा-पार अपराध:
3. पाकिस्तान सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) पर खतरों और अपराधों:
आन्तरिक सुरक्षा खतरों:
सीमा-पार अपराध:
सुरक्षा बलों की भूमिका:
1. सीमा सुरक्षा बल (BSF):
2. असाम राइफल्स:
3. भारतीय सेना:
4. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA):
इन उपायों और सुरक्षा बलों की सक्रियता के माध्यम से, भारत सीमा-पार अपराधों और आन्तरिक सुरक्षा खतरों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है।
See lessप्रभावी सीमावर्ती क्षेत्र प्रबन्धन हेतु हिंसावादियों को स्थानीय समर्थन से वंचित करने के आवश्यक उपायों की विवेचना कीजिए और स्थानीय लोगों में अनुकूल धारणा प्रबन्धन के तरीके भी सुझाइए। (150 words) [UPSC 2020]
हिंसावादियों को स्थानीय समर्थन से वंचित करने के उपाय सुरक्षा बलों की दक्षता: उदाहरण: "आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पॉवर्स) एक्ट (AFSPA)" का प्रभावी कार्यान्वयन और स्थानीय बलों के साथ बेहतर समन्वय। स्थानीय विकास परियोजनाएँ: उदाहरण: "प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना" और "सुविधा योजनाएँ" - जो बुनियादी ढाँचा औरRead more
हिंसावादियों को स्थानीय समर्थन से वंचित करने के उपाय
स्थानीय लोगों में अनुकूल धारणा प्रबंधन के तरीके
इन उपायों के माध्यम से स्थानीय समर्थन को कम किया जा सकता है और स्थानीय समुदायों के बीच सकारात्मक धारणा को बढ़ावा दिया जा सकता है।
See lessभारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए की गई संगठनात्मक, तकनीकी और प्रक्रियात्मक पहलों की विवेचना कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ **1. संगठनात्मक चुनौतियाँ: समन्वय की कमी: विभिन्न एजेंसियों जैसे भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड, और कस्टम्स के बीच समन्वय की कमी सुरक्षा में बाधा डालती है। 2019 के मुंबई हमले ने इस कमी को उजागर किया। **2. तकनीकी चुनौतियाँ: निगरानी की सीमाएँ: वास्तविक समय में समुद्री निRead more
भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ
**1. संगठनात्मक चुनौतियाँ:
**2. तकनीकी चुनौतियाँ:
**3. प्रक्रियात्मक चुनौतियाँ:
समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए पहलों की विवेचना
**1. संगठनात्मक पहल:
**2. तकनीकी पहल:
**3. प्रक्रियात्मक पहल:
ये पहलों सुरक्षा चुनौतियों को संबोधित करने और भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक हैं।
See lessसमुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत के रणनीतिक गौर आर्थिक हितों की सुरक्षा का मूलभूत आधार क्यों माना जाता है? इस संदर्भ में समुद्री जलदस्युता रोधी अधिनियम (मेरीटाइम एंटी-पायरेसी एक्ट) का क्या महत्व है? (150 शब्दों में उत्तर दें)
समुद्री सुरक्षा भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा का मूलभूत आधार है क्योंकि भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। भारतीय तटों और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि व्यापारिक मार्ग सुरक्षित रहें और समुद्री संसाधनों का संरक्षण हो सके। समुद्री जलदस्युता रोधीRead more
समुद्री सुरक्षा भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा का मूलभूत आधार है क्योंकि भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। भारतीय तटों और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि व्यापारिक मार्ग सुरक्षित रहें और समुद्री संसाधनों का संरक्षण हो सके।
समुद्री जलदस्युता रोधी अधिनियम (मेरीटाइम एंटी-पायरेसी एक्ट) इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समुद्री डकैती और अपराधों के खिलाफ कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, समुद्री जलदस्युओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत को कानूनी अधिकार और उपकरण मिलते हैं, जो समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ बनाते हैं। यह अधिनियम अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा मानकों के साथ मेल खाता है और व्यापारिक मार्गों को सुरक्षित रखने में मदद करता है, जिससे भारत के आर्थिक हित और सामरिक स्थिति की रक्षा होती है।
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