चीन और पाकिस्तान ने एक आर्थिक गलियारे के विकास के लिए समझौता किया है। यह भारत की सुरक्षा के लिए क्या खतरा प्रस्तुत करता है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के खिसकने का भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव: 1. समुद्री सुरक्षा पर बढ़ता ध्यान: अंकन का स्थानांतरण: 2012 में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के लिए longitudinal अंकन को अरब सागर में 65 डिग्री पूर्वRead more
2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के खिसकने का भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव:
1. समुद्री सुरक्षा पर बढ़ता ध्यान:
- अंकन का स्थानांतरण: 2012 में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के लिए longitudinal अंकन को अरब सागर में 65 डिग्री पूर्व से 78 डिग्री पूर्व तक खिसका दिया। यह स्थानांतरण भारत के पश्चिमी तट के समीप अधिक क्षेत्रों को शामिल करता है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य हो गया है।
- वigilance में वृद्धि: नए अंकन के अनुसार, भारत को अपनी समुद्री सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है, जिसमें निगरानी और नौसैनिक गश्ती शामिल है, ताकि अपने शिपिंग मार्गों की सुरक्षा की जा सके।
2. भारतीय समुद्री हितों के लिए बढ़ा जोखिम:
- डकैती की संभावना: नया अंकन अरब सागर के उन हिस्सों को कवर करता है जो भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। इससे भारतीय जहाजों को डकैती और समुद्री लूट के बढ़ते जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, 2013 में एमवी सिमन गार्ड ओहायो के सोमाली समुद्री लुटेरों द्वारा कब्जे के मामले ने इस क्षेत्र में बढ़ते खतरों को उजागर किया।
- वाणिज्यिक मार्गों पर प्रभाव: अरब सागर एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक मार्ग है और बढ़ते डकैती जोखिम समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स को बाधित कर सकते हैं। इससे भारत की व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
3. रणनीतिक और परिचालनात्मक प्रभाव:
- नौसैनिक तैनाती में वृद्धि: इस स्थानांतरण के कारण, भारत को समुद्री सुरक्षा ऑपरेशनों के लिए अतिरिक्त संसाधन आवंटित करने और अपने नौसैनिक परिचालन को बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। भारत ने ऑपरेशन शील्ड जैसे ऑपरेशनों के तहत समुद्री सुरक्षा बढ़ाई है।
- क्षेत्रीय सहयोग: समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए पड़ोसी देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग को मजबूत करना आवश्यक है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा पहलों में भाग लिया है, जैसे कि संयुक्त समुद्री बल (CMF), ताकि समुद्री डकैती से निपटा जा सके।
हाल के उदाहरण:
- ऑपरेशन शील्ड: बढ़ते डकैती जोखिमों का जवाब देने के लिए भारत ने ऑपरेशन शील्ड जैसे ऑपरेशनों को अंजाम दिया, जिसमें वाणिज्यिक शिपिंग की सुरक्षा के लिए नौसैनिक बलों को तैनात किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा पहलों में भागीदारी: भारत ने भारतीय महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहलों में सक्रिय भागीदारी की है।
निष्कर्ष: IMO द्वारा समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के स्थानांतरण का भारत की समुद्री सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। बढ़ते डकैती के जोखिमों के मद्देनजर, नौसैनिक तैनाती को बढ़ाना, क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना, और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पहलों में भागीदारी महत्वपूर्ण रणनीतियाँ हैं।
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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत की सुरक्षा पर इसके खतरे: 1. सामरिक और भौगोलिक प्रभाव: CPEC का अवलोकन: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक महत्वपूर्ण आधारभूत परियोजना है जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजियांग क्षेत्र से सड़क, पाइपलाइन, और रेलमार्गों के माध्यम से जोड़ती है।Read more
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत की सुरक्षा पर इसके खतरे:
1. सामरिक और भौगोलिक प्रभाव:
2. भारत के लिए सुरक्षा चिंताएँ:
3. क्षेत्रीय प्रभाव और चुनौतियाँ:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खतरे प्रस्तुत करता है, जैसे कि चीन की सामरिक उपस्थिति में वृद्धि, पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक क्षमताओं में सुधार, और आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता का बढ़ता जोखिम। भारत को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक रणनीतियाँ अपनानी चाहिए, जिसमें बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना, क्षेत्रीय गठबंधनों को सुदृढ़ करना और सीमा सुरक्षा में वृद्धि शामिल है।
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