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असम राइफल्स को पूर्वोत्तर भारत में सीमा प्रबंधन और उग्रवाद से निपटने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? चर्चा कीजिए कि कैसे इन चुनौतियों के समाधान हेतु इस बल के फोकस में बदलाव की आवश्यकता है। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
असम राइफल्स को पूर्वोत्तर भारत में सीमा प्रबंधन और उग्रवाद से निपटने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है: भौगोलिक कठिनाइयाँ: पर्वतीय और घने जंगलों से भरे इलाकों में गश्त और निगरानी कठिन होती है। उग्रवाद: क्षेत्र में विभिन्न उग्रवादी समूह सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ सामरिक और प्रशासनिक दृषRead more
असम राइफल्स को पूर्वोत्तर भारत में सीमा प्रबंधन और उग्रवाद से निपटने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
भौगोलिक कठिनाइयाँ: पर्वतीय और घने जंगलों से भरे इलाकों में गश्त और निगरानी कठिन होती है।
उग्रवाद: क्षेत्र में विभिन्न उग्रवादी समूह सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ सामरिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से संघर्ष करना चुनौतीपूर्ण है।
स्थानीय जनसंख्या का सहयोग: स्थानीय समुदायों के साथ संबंधों का प्रबंधन और उनके सहयोग की प्राप्ति कठिन होती है।
इन चुनौतियों के समाधान हेतु असम राइफल्स को अपने फोकस में बदलाव की आवश्यकता है:
सामुदायिक सगाई: स्थानीय समुदायों के साथ बेहतर संवाद और सहयोग स्थापित कर उग्रवादियों की गतिविधियों की रोकथाम की जा सकती है।
See lessप्रौद्योगिकी का उपयोग: आधुनिक निगरानी और संचार उपकरणों का उपयोग करके सीमा प्रबंधन को प्रभावी बनाया जा सकता है।
समन्वय और प्रशिक्षण: उग्रवाद से निपटने के लिए व्यापक प्रशिक्षण और बेहतर समन्वय की आवश्यकता है, जिससे बल की दक्षता में सुधार हो सके।
भारत ने अपनी भू-स्थानिक क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपाय किए हैं। इस संदर्भ में, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में भू-स्थानिक डेटा और संबद्ध तकनीकों के महत्व पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए भू-स्थानिक क्षमताओं को बढ़ावा देने के कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं। भू-स्थानिक डेटा और संबंधित तकनीकों का महत्व राष्ट्रीय सुरक्षा में अनिवार्य भूमिका निभाता है: सटीक निगरानी और खुफिया संग्रहण: भू-स्थानिक डेटा, जैसे उपग्रह इमेजरी और रिमोट सेंसिंग, सुरकRead more
भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए भू-स्थानिक क्षमताओं को बढ़ावा देने के कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं। भू-स्थानिक डेटा और संबंधित तकनीकों का महत्व राष्ट्रीय सुरक्षा में अनिवार्य भूमिका निभाता है:
भू-स्थानिक तकनीकों की चुनौतियाँ:
इन उपायों के साथ, भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और उभरते खतरों का प्रभावी ढंग से सामना करने में सक्षम है। भू-स्थानिक तकनीकों के सही उपयोग से, सुरक्षा बल बेहतर योजना, निगरानी, और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित कर सकते हैं।
See lessभारत की लंबी तटरेखा तटीय सुरक्षा को भारत की सुरक्षा संरचना का एक अनिवार्य हिस्सा बनाती है। चर्चा कीजिए। साथ ही, भारत की वर्तमान तटीय सुरक्षा संरचना में विद्यमान कमियों को भी उजागर कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत की लंबी तटरेखा—लगभग 7,517 किलोमीटर—देश की सुरक्षा संरचना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी विस्तृत तटीय सीमा विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करती है, जैसे कि समुद्री आतंकवाद, तस्करी, अवैध प्रवासन, और अन्य सुरक्षा खतरों। तटीय सुरक्षा का महत्व: समुद्री आतंकवाद और सुरक्षा खतरे: भारतीय तटRead more
भारत की लंबी तटरेखा—लगभग 7,517 किलोमीटर—देश की सुरक्षा संरचना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी विस्तृत तटीय सीमा विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करती है, जैसे कि समुद्री आतंकवाद, तस्करी, अवैध प्रवासन, और अन्य सुरक्षा खतरों।
तटीय सुरक्षा का महत्व:
वर्तमान तटीय सुरक्षा संरचना की कमियाँ:
इन कमियों को दूर करने के लिए, भारत को तटीय सुरक्षा को एकीकृत दृष्टिकोण से देखना होगा, जिसमें बेहतर तकनीकी उपकरण, समन्वयात्मक प्रयास, और संसाधनों की वृद्धि शामिल है। तटीय निगरानी, समन्वय और सूचना साझा करने की प्रक्रियाओं को सुधारने से भारत अपनी तटरेखा को अधिक सुरक्षित और प्रभावी तरीके से संरक्षित कर सकेगा।
See lessसीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास न केवल सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु अपितु राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए। साथ ही, इस संबंध में सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका की पहचान कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन क्षेत्रों में सड़कें, पुल, और संचार सुविधाओं का विकास न केवल स्थानीय आबादी के जीवन स्तर को सुधारता है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है। यह विकास सीमावरRead more
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन क्षेत्रों में सड़कें, पुल, और संचार सुविधाओं का विकास न केवल स्थानीय आबादी के जीवन स्तर को सुधारता है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है। यह विकास सीमावर्ती इलाकों के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ता है, जिससे उनकी अलगाव की भावना कम होती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से, सीमावर्ती बुनियादी ढांचे का विकास रणनीतिक महत्व रखता है। यह सुरक्षा बलों को त्वरित और प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बनाता है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया दी जा सकती है। विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, मजबूत और सुदृढ़ बुनियादी ढांचा सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस संबंध में, सीमा सड़क संगठन (BRO) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। BRO ने कठिन भूगोल और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी सड़कों, पुलों, और सुरंगों का निर्माण किया है। यह संगठन सीमावर्ती इलाकों में सड़कों के विकास और रखरखाव के अलावा, सैनिकों और उपकरणों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाता है। BRO का कार्य न केवल सुरक्षा बलों के लिए बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी वरदान साबित हुआ है, जो अब बेहतर परिवहन और संपर्क सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
BRO का योगदान देश की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित करता है कि भारत की सीमाएं सुरक्षित और मजबूत बनी रहें।
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