असम राइफल्स को पूर्वोत्तर भारत में सीमा प्रबंधन और उग्रवाद से निपटने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? चर्चा कीजिए कि कैसे इन चुनौतियों के समाधान हेतु इस बल के फोकस में बदलाव की आवश्यकता है। (150 शब्दों ...
भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ **1. संगठनात्मक चुनौतियाँ: समन्वय की कमी: विभिन्न एजेंसियों जैसे भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड, और कस्टम्स के बीच समन्वय की कमी सुरक्षा में बाधा डालती है। 2019 के मुंबई हमले ने इस कमी को उजागर किया। **2. तकनीकी चुनौतियाँ: निगरानी की सीमाएँ: वास्तविक समय में समुद्री निRead more
भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ
**1. संगठनात्मक चुनौतियाँ:
- समन्वय की कमी: विभिन्न एजेंसियों जैसे भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड, और कस्टम्स के बीच समन्वय की कमी सुरक्षा में बाधा डालती है। 2019 के मुंबई हमले ने इस कमी को उजागर किया।
**2. तकनीकी चुनौतियाँ:
- निगरानी की सीमाएँ: वास्तविक समय में समुद्री निगरानी के लिए सीमित रडार कवरेज और सैटेलाइट ट्रैकिंग क्षमताएँ समस्या बनती हैं। 2018 में तमिलनाडु के मछली पकड़ने वाली नाव के घुसपैठ ने तकनीकी खामियों को दिखाया।
**3. प्रक्रियात्मक चुनौतियाँ:
- नियामक कमी: समुद्री कानूनों और नाव निगरानी नियमों का अपर्याप्त प्रवर्तन सुरक्षा में खामियाँ पैदा करता है। 2008 के मुंबई हमले ने पोर्ट सुरक्षा और नाव ट्रैकिंग के कड़े नियमों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए पहलों की विवेचना
**1. संगठनात्मक पहल:
- नेशनल मारिटाइम डोमेन अवेयरनेस (NMDA): NMDA की स्थापना से समुद्री निगरानी और एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार हुआ है। नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क (NC3I) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
**2. तकनीकी पहल:
- इंटीग्रेटेड कोस्टल सर्विलांस नेटवर्क (ICSN): ICSN के अंतर्गत रडार स्टेशन, ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS), और सैटेलाइट निगरानी प्रणाली स्थापित की गई हैं।
**3. प्रक्रियात्मक पहल:
- मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs): कोस्ट गार्ड और नौसेना ने नाव पंजीकरण, पोर्ट सुरक्षा प्रोटोकॉल, और नियमित अभ्यास के लिए SOPs विकसित किए हैं।
ये पहलों सुरक्षा चुनौतियों को संबोधित करने और भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक हैं।
See less
असम राइफल्स को पूर्वोत्तर भारत में सीमा प्रबंधन और उग्रवाद से निपटने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है: भौगोलिक कठिनाइयाँ: पर्वतीय और घने जंगलों से भरे इलाकों में गश्त और निगरानी कठिन होती है। उग्रवाद: क्षेत्र में विभिन्न उग्रवादी समूह सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ सामरिक और प्रशासनिक दृषRead more
असम राइफल्स को पूर्वोत्तर भारत में सीमा प्रबंधन और उग्रवाद से निपटने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
भौगोलिक कठिनाइयाँ: पर्वतीय और घने जंगलों से भरे इलाकों में गश्त और निगरानी कठिन होती है।
उग्रवाद: क्षेत्र में विभिन्न उग्रवादी समूह सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ सामरिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से संघर्ष करना चुनौतीपूर्ण है।
स्थानीय जनसंख्या का सहयोग: स्थानीय समुदायों के साथ संबंधों का प्रबंधन और उनके सहयोग की प्राप्ति कठिन होती है।
इन चुनौतियों के समाधान हेतु असम राइफल्स को अपने फोकस में बदलाव की आवश्यकता है:
सामुदायिक सगाई: स्थानीय समुदायों के साथ बेहतर संवाद और सहयोग स्थापित कर उग्रवादियों की गतिविधियों की रोकथाम की जा सकती है।
See lessप्रौद्योगिकी का उपयोग: आधुनिक निगरानी और संचार उपकरणों का उपयोग करके सीमा प्रबंधन को प्रभावी बनाया जा सकता है।
समन्वय और प्रशिक्षण: उग्रवाद से निपटने के लिए व्यापक प्रशिक्षण और बेहतर समन्वय की आवश्यकता है, जिससे बल की दक्षता में सुधार हो सके।