जेंडर बजटिंग क्या है? भारतीय संदर्भ में इससे संबद्ध चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
राष्ट्रीय आय लेखांकन (National Income Accounting) अर्थव्यवस्था की संपूर्ण आर्थिक गतिविधियों का मापन और विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह देश की आर्थिक स्वास्थ्य, विकास की दर, और जीवनस्तर का आकलन करने में सहायक होता है। इसके माध्यम से, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और अन्य प्रमुख आर्थिक संकेतकोRead more
राष्ट्रीय आय लेखांकन (National Income Accounting) अर्थव्यवस्था की संपूर्ण आर्थिक गतिविधियों का मापन और विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह देश की आर्थिक स्वास्थ्य, विकास की दर, और जीवनस्तर का आकलन करने में सहायक होता है। इसके माध्यम से, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और अन्य प्रमुख आर्थिक संकेतकों की गणना की जाती है, जो नीति निर्माताओं, व्यवसायों, और निवेशकों के लिए आर्थिक निर्णय लेने में मदद करते हैं।
जीडीपी को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- उपभोक्ता व्यय: जब उपभोक्ता खर्च बढ़ता है, तो वस्त्र और सेवाओं की मांग में वृद्धि होती है, जिससे जीडीपी बढ़ती है।
- सरकारी खर्च: सरकार द्वारा किए गए खर्च, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और सामाजिक योजनाएं, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं।
- निवेश: निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश आर्थिक उत्पादन और रोजगार सृजन को बढ़ावा देता है।
- निर्यात और आयात: निर्यात में वृद्धि और आयात में कमी से घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता है, जबकि इसके विपरीत स्थिति से जीडीपी पर दबाव पड़ सकता है।
- तकनीकी प्रगति: नई तकनीकों और नवाचारों से उत्पादन क्षमता बढ़ती है, जिससे जीडीपी में वृद्धि होती है।
इन कारकों का संगठित तरीके से विश्लेषण करने से अर्थव्यवस्था की स्थिति और विकास की संभावनाओं का बेहतर समझ प्राप्त होता है।
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जेंडर बजटिंग एक वित्तीय और नीतिगत दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य बजट आवंटनों और नीतियों को महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन और विश्लेषण करना है। इसका लक्ष्य यह है कि बजट और सार्वजनिक खर्च महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखे, जिससे लिंग आधाRead more
जेंडर बजटिंग एक वित्तीय और नीतिगत दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य बजट आवंटनों और नीतियों को महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन और विश्लेषण करना है। इसका लक्ष्य यह है कि बजट और सार्वजनिक खर्च महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखे, जिससे लिंग आधारित असमानता को दूर किया जा सके और समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।
भारतीय संदर्भ में जेंडर बजटिंग से संबंधित चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, जेंडर बजटिंग का उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को बढ़ावा देना है, और इसके लिए सही नीतियों और संसाधनों की आवश्यकता है।
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