एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने से भारत के घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में काफी वृद्धि होगी। भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
सार्वजनिक ऋण वह कर्ज है जिसे सरकार अपने विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए लेती है। इसमें घरेलू और विदेशी उधारी शामिल होती है, जो बांड्स, सरकारी सिक्योरिटीज और अन्य वित्तीय उपकरणों के रूप में होती है। उच्च सार्वजनिक ऋण को चिंता का विषय इसलिए माना जाता है क्योंकि यह कई नकारात्मक आर्थिक प्रभाव डाल सकतRead more
सार्वजनिक ऋण वह कर्ज है जिसे सरकार अपने विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए लेती है। इसमें घरेलू और विदेशी उधारी शामिल होती है, जो बांड्स, सरकारी सिक्योरिटीज और अन्य वित्तीय उपकरणों के रूप में होती है।
उच्च सार्वजनिक ऋण को चिंता का विषय इसलिए माना जाता है क्योंकि यह कई नकारात्मक आर्थिक प्रभाव डाल सकता है। पहले, अत्यधिक ऋण चुकाने के लिए सरकार को उच्च ब्याज दरों का भुगतान करना पड़ता है, जिससे बजट पर दबाव बढ़ता है और विकासात्मक खर्चों की कमी हो सकती है। दूसरे, ऋण का बोझ देश की मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है, जिससे महंगाई और ब्याज दरों में अस्थिरता आ सकती है। तीसरे, उच्च सार्वजनिक ऋण विदेशी निवेशकों की विश्वास को प्रभावित कर सकता है, जिससे विनिमय दर और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ सकता है।
भारत के संदर्भ में, उच्च सार्वजनिक ऋण एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि यह सामाजिक कल्याण योजनाओं और विकासात्मक परियोजनाओं के लिए संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करता है। इसके अलावा, भारत को अंतर्राष्ट्रीय ऋण एजेंसियों से निगरानी और निर्देश मिलते हैं, जो ऋण प्रबंधन को और चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। इसलिए, सार्वजनिक ऋण को नियंत्रित करना और उसके प्रभावी प्रबंधन की दिशा में कदम उठाना महत्वपूर्ण है।
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भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं: जलवायु अनुकूल योजनाएँ: भारत ने बजट योजनाओं में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विशेषRead more
भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:
इन पहलुओं के माध्यम से भारत ने एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने में सफलता प्राप्त की है, जिससे सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता और जलवायु परिवर्तन के प्रति देश की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है।
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