Home/upsc: sarkari bajat & lok vitt
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भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए जेंडर बजटिंग अनिवार्य है। भारतीय प्रसंग में जेंडर बजटिंग की क्या आवश्यकताएँ एवं स्थिति हैं? (200 words) [UPSC 2016]
महिला सशक्तिकरण के लिए जेंडर बजटिंग की आवश्यकताएँ और स्थिति जेंडर बजटिंग की आवश्यकताएँ: समान अवसर: महिलाओं और लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए जेंडर बजटिंग अनिवार्य है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में लिंग समानता को प्राथमिकता दी जाए। महिला केंद्रित योजनाएँ: जेंडर बRead more
महिला सशक्तिकरण के लिए जेंडर बजटिंग की आवश्यकताएँ और स्थिति
जेंडर बजटिंग की आवश्यकताएँ:
वर्तमान स्थिति:
निष्कर्ष:
जेंडर बजटिंग भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लिंग समानता को बढ़ावा देता है और महिलाओं की स्थिति में सुधार करता है। हालाँकि, कार्यान्वयन और निगरानी में सुधार की आवश्यकता है, ताकि इसका प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन किया जा सके।
See lessकेन्द्रीय बजट, 2018-2019 में दीर्घकालिक पूँजी अभिलाभ कर (एल० सी० जी० टी०) तथा लाभांश वितरण कर (डी० डी० टी०) के संबंध में प्रारंभ किए गए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों पर टिप्पणी कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
केन्द्रीय बजट 2018-2019 में एलसीजीटी और डीवीटी के संबंध में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन 1. दीर्घकालिक पूँजी अभिलाभ कर (एलसीजीटी): कर की पुनः शुरूआत: 2018-2019 के बजट में ₹1 लाख से अधिक की दीर्घकालिक पूँजी अभिलाभ पर 10% कर लगाने की घोषणा की गई। यह कर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों, इक्विटी-उन्मुख म्यूचुअल फंड्स, औरRead more
केन्द्रीय बजट 2018-2019 में एलसीजीटी और डीवीटी के संबंध में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन
1. दीर्घकालिक पूँजी अभिलाभ कर (एलसीजीटी):
2. लाभांश वितरण कर (डीडीटी):
ये परिवर्तन कर प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम थे, और उन्होंने निवेशकों और कंपनियों दोनों पर प्रभाव डाला।
See lessउत्तर-उदारीकरण अवधि के दौरान, बजट निर्माण के संदर्भ में, लोक व्यय प्रबंधन भारत सरकार के समक्ष एक चुनौती है। इसको स्पष्ट कीजिए। (250 words) [UPSC 2019]
लोक व्यय प्रबंधन: उत्तर-उदारीकरण अवधि के दौरान भारत सरकार की चुनौती 1. बढ़ती सार्वजनिक व्यय: वृद्धि का दबाव: उत्तर-उदारीकरण के बाद, भारत सरकार को सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करने की आवश्यकता महसूस हुई। आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए संविधानिक खर्च और सामाजिक कल्याण योजनाएं जैसे महालक्ष्मी योजRead more
लोक व्यय प्रबंधन: उत्तर-उदारीकरण अवधि के दौरान भारत सरकार की चुनौती
1. बढ़ती सार्वजनिक व्यय:
2. राजकोषीय असंतुलन:
3. संसाधनों का असमान वितरण:
4. उच्च कर्ज और ब्याज भुगतान:
5. भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन:
उपसंहार: उत्तर-उदारीकरण के दौरान, बजट निर्माण के संदर्भ में लोक व्यय प्रबंधन एक जटिल चुनौती है। बढ़ते खर्च और राजकोषीय असंतुलन के बावजूद, संसाधन प्रबंधन, वित्तीय निगरानी, और संविधानिक सुधार के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
See lessपूँजी बजट तथा राजस्व बजट के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए। इन दोनों बजटों के संघटकों को समझाइए । (150 words) [UPSC 2021]
पूंजी बजट और राजस्व बजट के मध्य अंतर **1. मुख्य अंतर: पूंजी बजट: यह दीर्घकालिक पूंजीगत खर्चों और निवेश को दर्शाता है, जैसे विकास परियोजनाएँ और इन्फ्रास्ट्रक्चर। इसका उद्देश्य स्थायी संपत्तियों का निर्माण और मौजूदा संपत्तियों का नवीनीकरण करना है। राजस्व बजट: यह बजट रोज़मर्रा के संचालन और नियमित खर्चोRead more
पूंजी बजट और राजस्व बजट के मध्य अंतर
**1. मुख्य अंतर:
**2. पूंजी बजट के घटक:
**3. राजस्व बजट के घटक:
निष्कर्ष: पूंजी बजट दीर्घकालिक विकास और स्थायी परियोजनाओं के लिए आवंटित होता है, जबकि राजस्व बजट रोजमर्रा के प्रशासनिक खर्चों और सेवाओं को संचालित करने के लिए होता है।
See lessभारत में राज्यों की राजकोषीय स्थिरता से संबंधित मौजूदा मुद्दों पर चर्चा कीजिए। साथ ही, इन मुद्दों के समाधान हेतु आवश्यक उपायों का सुझाव दीजिए।
भारत में राज्यों की राजकोषीय स्थिरता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसपर गहरा ध्यान दिया जाना चाहिए। मौजूदा मुद्दों में शामिल हैं विभाजित धन व्यय, घोषित और अनुदान असंतुलन, लोकल उत्पादों के विकास में कमी, अदेशपूर्वक वित्तीय प्रबंधन, और लोकल उत्पादन को प्रोत्साहित करने की कमी। इन मुद्दों का समाधान करने के लRead more
भारत में राज्यों की राजकोषीय स्थिरता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसपर गहरा ध्यान दिया जाना चाहिए। मौजूदा मुद्दों में शामिल हैं विभाजित धन व्यय, घोषित और अनुदान असंतुलन, लोकल उत्पादों के विकास में कमी, अदेशपूर्वक वित्तीय प्रबंधन, और लोकल उत्पादन को प्रोत्साहित करने की कमी।
इन मुद्दों का समाधान करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। पहले, राज्य सरकारों को वित्तीय नियंत्रण में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी बढ़ाने की आवश्यकता है। दूसरे, राज्य सरकारों को लोकल उत्पादन को बढ़ावा देने, कृषि और सांख्यिकीय विकास को समर्थन प्रदान करने के लिए नीतियाँ बनानी चाहिए।
तीसरे, वित्तीय सुधारों के माध्यम से राज्य सरकारें अपने राजकोष की स्थिरता को मजबूत कर सकती हैं। चौथा, लोकल उत्पादन को बढ़ावा देने और राज्यों के आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए सरकारों को स्थानीय उद्यमिता को समर्थन प्रदान करने चाहिए।
इन उपायों के साथ, सरकारों को वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता, ज़िम्मेदारी, और सुधार करने के लिए नवाचारी और सामाजिक नीतियों का अनुसरण करना चाहिए। इससे न केवल राज्यों की राजकोषीय स्थिरता मजबूत होगी, बल्कि उनके विकास को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
See lessराजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रमुख विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है जिसका उद्देश्य वित्तीय अनुशासन और बजट प्रबंधन में सुधार लाना है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं: वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देना: FRBMA का उद्देश्य सरकारी वित्तीय प्रबंधन में अनुशासनRead more
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है जिसका उद्देश्य वित्तीय अनुशासन और बजट प्रबंधन में सुधार लाना है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
प्रमुख विशेषताएँ:
FRBMA का पालन करके सरकार ने आर्थिक स्थिरता, पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
See lessवस्तु एवं सेवा कर की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। लागू होने के बाद से इसकी उपलब्धियों और इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों का विवरण दीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जो 1 जुलाई 2017 से भारत में लागू हुई। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं: एकीकृत कर प्रणाली: GST सभी केंद्रीय और राज्य स्तर के अप्रत्यक्ष करों (जैसे, VAT, सेवा कर, एक्साइज ड्यूटी) को एकीकृत करता है, जिससे एक ही कर प्रणाली के तहत सभी वस्त्र और सेवाओं पRead more
वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जो 1 जुलाई 2017 से भारत में लागू हुई। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं:
उपलब्धियाँ:
चुनौतियाँ:
सम्पूर्ण रूप से, GST ने भारत की कर प्रणाली में सुधार किया है लेकिन इसके कार्यान्वयन में सुधार की आवश्यकता अभी भी है।
See lessसरकारी बजट के क्या उद्देश्य होते हैं? भारत में सरकारी बजट के विभिन्न घटकों को सूचीबद्ध कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
सरकारी बजट का उद्देश्य देश की आर्थिक और सामाजिक नीतियों को आकार देना और संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन करना है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं: आर्थिक स्थिरता: बजट के माध्यम से सरकार आर्थिक स्थिरता बनाए रखती है, जिसमें मुद्रास्फीति, बेरोज़गारी, और आर्थिक विकास की दर को संतुलित किया जाता है। सामाजिकRead more
सरकारी बजट का उद्देश्य देश की आर्थिक और सामाजिक नीतियों को आकार देना और संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन करना है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
भारत में सरकारी बजट के विभिन्न घटक:
सरकारी बजट की ये संरचनाएँ और घटक देश की आर्थिक नीतियों को कार्यान्वित करने और राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होती हैं।
See lessजेंडर बजटिंग क्या है? भारतीय संदर्भ में इससे संबद्ध चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
जेंडर बजटिंग एक वित्तीय और नीतिगत दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य बजट आवंटनों और नीतियों को महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन और विश्लेषण करना है। इसका लक्ष्य यह है कि बजट और सार्वजनिक खर्च महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखे, जिससे लिंग आधाRead more
जेंडर बजटिंग एक वित्तीय और नीतिगत दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य बजट आवंटनों और नीतियों को महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन और विश्लेषण करना है। इसका लक्ष्य यह है कि बजट और सार्वजनिक खर्च महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखे, जिससे लिंग आधारित असमानता को दूर किया जा सके और समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।
भारतीय संदर्भ में जेंडर बजटिंग से संबंधित चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, जेंडर बजटिंग का उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को बढ़ावा देना है, और इसके लिए सही नीतियों और संसाधनों की आवश्यकता है।
See lessराष्ट्रीय आय लेखांकन का क्या महत्व है? किसी देश की जी. डी. पी. को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों की विवेचना कीजिए। रने वाले ।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
राष्ट्रीय आय लेखांकन (National Income Accounting) अर्थव्यवस्था की संपूर्ण आर्थिक गतिविधियों का मापन और विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह देश की आर्थिक स्वास्थ्य, विकास की दर, और जीवनस्तर का आकलन करने में सहायक होता है। इसके माध्यम से, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और अन्य प्रमुख आर्थिक संकेतकोRead more
राष्ट्रीय आय लेखांकन (National Income Accounting) अर्थव्यवस्था की संपूर्ण आर्थिक गतिविधियों का मापन और विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह देश की आर्थिक स्वास्थ्य, विकास की दर, और जीवनस्तर का आकलन करने में सहायक होता है। इसके माध्यम से, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और अन्य प्रमुख आर्थिक संकेतकों की गणना की जाती है, जो नीति निर्माताओं, व्यवसायों, और निवेशकों के लिए आर्थिक निर्णय लेने में मदद करते हैं।
जीडीपी को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
इन कारकों का संगठित तरीके से विश्लेषण करने से अर्थव्यवस्था की स्थिति और विकास की संभावनाओं का बेहतर समझ प्राप्त होता है।
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