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आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय का विश्वास बहाल करने में 'दिल और दिमाग' जीतना एक आवश्यक कदम है। इस संबंध में जम्मू और कश्मीर में संघर्ष समाधान के भाग के रूप में सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों पर चर्चा कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
परिचय आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय का विश्वास बहाल करने के लिए 'दिल और दिमाग' जीतना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। जम्मू और कश्मीर में, सरकार ने विकास, संवाद और युवाओं के सशक्तिकरण पर आधारित विभिन्न उपाय अपनाए हैं ताकि लोगों का विश्वास जीता जा सके और शांति स्थापित हो सके। विकासात्मक पहल सरकार नRead more
परिचय
आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय का विश्वास बहाल करने के लिए ‘दिल और दिमाग’ जीतना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। जम्मू और कश्मीर में, सरकार ने विकास, संवाद और युवाओं के सशक्तिकरण पर आधारित विभिन्न उपाय अपनाए हैं ताकि लोगों का विश्वास जीता जा सके और शांति स्थापित हो सके।
विकासात्मक पहल
सरकार ने जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) के तहत बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। हाल के वर्षों में नए मेडिकल कॉलेजों और सड़क संपर्क परियोजनाओं की शुरुआत से क्षेत्र में जीवन स्तर और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है, जिससे आतंकवाद का समर्थन कम हुआ है।
युवाओं के साथ जुड़ाव
युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए “मिशन यूथ” जैसी योजनाओं के माध्यम से कौशल विकास, छात्रवृत्ति और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इसके अलावा, उड़ान योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर दिए जा रहे हैं, जिससे उनकी आकांक्षाओं को एक सकारात्मक दिशा मिल रही है।
संवाद और सामान्य स्थिति बहाल करना
सरकार ने स्थानीय नेताओं और समुदायों के साथ बैक-चैनल वार्ता शुरू की है, जिससे विश्वास बहाली हो सके। इसके अलावा, “स्पोर्ट्स फॉर पीस” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया गया है, जो सामान्य स्थिति और एकता की भावना को पुनः स्थापित कर रहे हैं।
निष्कर्ष
See lessजम्मू-कश्मीर में जनसमुदाय का विश्वास जीतने के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए विकास, संवाद और सशक्तिकरण के उपाय शांति और स्थिरता लाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
डिजिटल मीडिया के माध्यम से धार्मिक मतारोपण का परिणाम भारतीय युवकों का आई.एस.आई.एस. में शामिल हो जाना रहा है। आई.एस.आई.एस. क्या है और उसका ध्येय (लक्ष्य) क्या है ? आई.एस.आई.एस. हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किस प्रकार ख़तरनाक हो सकता है ? (200 words) [UPSC 2015]
आई.एस.आई.एस. और इसका ध्येय 1. आई.एस.आई.एस. क्या है? आई.एस.आई.एस. (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया): यह एक कट्टरपंथी सुन्नी आतंकवादी संगठन है, जिसे इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) या दाेश भी कहा जाता है। यह संगठन 2014 में अबू बक्र अल-बगदादी के नेतृत्व में एक स्वयं-घोषित खलीफत की स्थापना की घोषणा की थी। 2.Read more
आई.एस.आई.एस. और इसका ध्येय
1. आई.एस.आई.एस. क्या है?
2. आई.एस.आई.एस. का ध्येय:
आई.एस.आई.एस. के द्वारा उत्पन्न आंतरिक सुरक्षा के ख़तरे
1. युवा आतंकवाद में शामिल होना:
2. आतंकी हमलों की संभावना:
3. सामाजिक अशांति:
4. सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियाँ:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: आई.एस.आई.एस. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है, इसके कट्टरपंथी प्रचार, संभावित आतंकवादी हमलों, और सुरक्षा उपायों की चुनौती के माध्यम से। इस खतरे से निपटने के लिए सख्त निगरानी, उग्रवाद-विरोधी रणनीतियाँ, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक हैं।
See less"पिछले कुछ दशकों से आतंकवाद एक प्रतिस्पर्द्धात्गक उद्योग के रूप में उभर रहा है।" उपर्युक्त कथन का विश्लेषण कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
आतंकवाद को प्रतिस्पर्धात्मक उद्योग के रूप में देखना: विश्लेषण 1. आतंकवाद का विकास: पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद ने एक प्रतिस्पर्धात्मक उद्योग के रूप में रूप बदल लिया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं: वैश्विक नेटवर्क और वित्तीय स्रोत: आतंकवादी संगठन वैश्विक नेटवर्क का निर्माण कर चुके हैं और वितRead more
आतंकवाद को प्रतिस्पर्धात्मक उद्योग के रूप में देखना: विश्लेषण
1. आतंकवाद का विकास: पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद ने एक प्रतिस्पर्धात्मक उद्योग के रूप में रूप बदल लिया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं:
2. रणनीतिक अनुकूलन:
3. प्रभाव:
इस प्रकार, आतंकवाद का प्रतिस्पर्धात्मक उद्योग के रूप में उभरना इसकी जटिलता और वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव को दर्शाता है, जिससे सुरक्षा उपायों को चुनौती मिलती है।
See lessसंसार के दो सबसे बड़े अवैध अफ्रीम उगाने वाले राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, ग्रुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिए। इन गतिविधियों को रोकने के लिए क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किए जाने चाहिए? (250 words) [UPSC 2018]
भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं और अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियाँ अफीम उगाने वाले राज्यों की निकटता: भारत की अफगानिस्तान और म्यांमार से निकटता, जो दुनिया के दो प्रमुख अफीम उगाने वाले क्षेत्र हैं, ने आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। इन क्षेत्रों से प्राप्त हेरोइन और अन्य नशीली दवाएं भारत में अवRead more
भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं और अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियाँ
अफीम उगाने वाले राज्यों की निकटता:
भारत की अफगानिस्तान और म्यांमार से निकटता, जो दुनिया के दो प्रमुख अफीम उगाने वाले क्षेत्र हैं, ने आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। इन क्षेत्रों से प्राप्त हेरोइन और अन्य नशीली दवाएं भारत में अवैध व्यापार के प्रमुख स्रोत हैं।
नशीली दवाओं और बंदूक बेचने की कड़ी:
नशीली दवाओं और धन विदेश भेजने की कड़ी:
नशीली दवाओं और मानव तस्करी की कड़ी:
प्रतिरोधी उपाय
सिमित सीमा निगरानी:
वित्तीय नियमन में सख्ती:
आतंकवाद और बंदूक बेचने के खिलाफ कार्रवाई:
मानव तस्करी से निपटना:
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
इन उपायों के माध्यम से भारत अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत कर सकता है और अवैध गतिविधियों के नेटवर्क को प्रभावी ढंग से तोड़ सकता है।
See lessआतंकवाद की जटिलता और तीव्रता, इसके कारणों, सम्बन्धों तथा अप्रिय गठजोड़ का विश्लेषण कीजिए । आतंकवाद के खतरे के उन्मूलन के लिए उठाए जाने वाले उपायों का भी सुझाव दीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता आतंकवाद की जटिलता: बहुपरकारी दृष्टिकोण: आतंकवाद एक जटिल सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक समस्या है, जो विभिन्न कारकों द्वारा उत्पन्न होती है। यह न केवल उग्रवादी विचारधाराओं का परिणाम है बल्कि राजनीतिक असंतोष, आर्थिक असमानता, और सामाजिक अस्थिरता भी इसका कारण बनती हैं। उदाहरणसRead more
आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता
आतंकवाद की जटिलता:
आतंकवाद के कारण और अप्रिय गठजोड़:
आतंकवाद के खतरे के उन्मूलन के लिए उठाए जाने वाले उपाय:
इन उपायों को लागू करके आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता को नियंत्रित किया जा सकता है और दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessजम्मू और कश्मीर में 'जमात-ए-इस्लामी' पर पाबंदी लगाने से आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं (ओ० जी० डब्ल्यू०) की भूमिका ध्यान का केंद्र बन गई है। उपप्लव (बगावत) प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं द्वारा निभाई जा रही भूमिका का परीक्षण कीजिए। भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं के प्रभाव को निष्प्रभावित करने के उपायों की चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं की भूमिका और प्रभाव **1. भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं (OGWs) की भूमिका: सहायता और नेटवर्किंग: जम्मू और कश्मीर में 'जमात-ए-इस्लामी' पर पाबंदी के बाद, भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं ने आतंकवादी संगठनों को संगठनात्मक सहायता और साधन प्रदान किए हैं। ये कार्यकर्ता जासूसी, संपर्क स्थापित करना, औरRead more
भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं की भूमिका और प्रभाव
**1. भूमि-उपरि कार्यकर्ताओं (OGWs) की भूमिका:
**2. प्रभाव और स्थिति:
**3. निष्प्रभावित करने के उपाय:
इन उपायों के माध्यम से OGWs के प्रभाव को कम किया जा सकता है और आतंकवाद के निग्रह में सुधार लाया जा सकता है।
See lessसंगठित अपराधों के प्रकारों की चर्चा कीजिए । राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद संगठित अपराध और आतंकवादियों के बीच संबंधों का वर्णन कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
संगठित अपराधों के प्रकार **1. नशीली दवाओं की तस्करी: नशीली दवाओं की तस्करी में अवैध पदार्थों का व्यापार शामिल होता है। कार्टेल्स और सिंडिकेट्स जैसे संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर संचालित होते हैं। हाल के वर्षों में, पश्चिमी भारत में नशीली दवाओं की तस्करी के मामले बढ़े हैं। **2. मानव तस्करी: मानव तस्कRead more
संगठित अपराधों के प्रकार
**1. नशीली दवाओं की तस्करी:
**2. मानव तस्करी:
**3. हथियारों की तस्करी:
**4. मनी लॉन्डरिंग:
संगठित अपराध और आतंकवादियों के बीच संबंध
**1. राष्ट्रीय स्तर:
**2. अंतर्राष्ट्रीय स्तर:
संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच के ये संबंध वैश्विक सुरक्षा प्रयासों को जटिल बनाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessभारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत और इन स्रोतों की कटौती के लिए किए गए प्रयासों को बताइए। इस आलोक में, हाल ही में नयी दिल्ली में नवंबर 2022 में हुई 'आतंकवाद के लिए धन नहीं (एन० एम० एफ० टी०)' संगोष्ठी के लक्ष्य एवं उद्देश्य की भी विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत और कटौती के प्रयास 1. आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत: सीमा पार वित्तपोषण: भारत में आतंकवाद का एक प्रमुख स्रोत सीमा पार से प्राप्त वित्तपोषण है। विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों को पाकिस्तान से समर्थन मिलता है। उदाहरण के तौर पRead more
भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत और कटौती के प्रयास
1. आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत:
2. स्रोतों की कटौती के लिए किए गए प्रयास:
3. ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं (NMFT)’ संगोष्ठी के लक्ष्य और उद्देश्य:
लक्ष्य और उद्देश्य:
संक्षेप में, भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोतों में सीमा पार वित्तपोषण, हवाला लेन-देन, चैरिटेबल संस्थाएँ और अवैध गतिविधियाँ शामिल हैं। इन स्रोतों की कटौती के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं, और ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं (NMFT)’ संगोष्ठी ने वैश्विक सहयोग और प्रभावी ढाँचों को मजबूत करने के प्रयास किए हैं।
See lessसीमा पार से शत्रुओं द्वारा हथियार /गोला-बारूद, ड्रग्स आदि मानवरहित हवाई वाहनों (यू० ए० वी०) की मदद से पहुँचाया जाना हमारी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इस खतरे से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों पर टिप्पणी कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
यूवी (मानवरहित हवाई वाहन) द्वारा खतरा: मानवरहित हवाई वाहन (यूवी), या ड्रोन, सीमा पार से शत्रुओं द्वारा हथियार, गोला-बारूद, और ड्रग्स की तस्करी के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं। ये ड्रोन पारंपरिक सुरक्षा उपायों को обход कर सकते हैं और तस्करी के लिए प्रभावी उपकरण साबित हो रहे हैं। खतरे से निपटने के उपायRead more
यूवी (मानवरहित हवाई वाहन) द्वारा खतरा:
खतरे से निपटने के उपाय:
निष्कर्ष: यूवी द्वारा अवैध गतिविधियों का उपयोग आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। उन्नत सर्विलांस, सुरक्षा प्रोटोकॉल का उन्नयन, सख्त नियम, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसे उपाय इस खतरे को संबोधित करने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
See lessआतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने हेतु किए गए अनेक प्रयासों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह एक मुख्य चुनौती बना हुआ है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, चाहे इसके लिए कितने भी प्रयास किए गए हों। आतंकवाद को आर्थिक सहायता मिलना, आतंकवादी संगठनों के लिए जीवन रेखा के समान है। यह उन्हें हथियार खरीदने, नई भर्ती करने और प्रचार-प्रसार करने में सक्षम बनाता है। पहला बRead more
आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, चाहे इसके लिए कितने भी प्रयास किए गए हों। आतंकवाद को आर्थिक सहायता मिलना, आतंकवादी संगठनों के लिए जीवन रेखा के समान है। यह उन्हें हथियार खरीदने, नई भर्ती करने और प्रचार-प्रसार करने में सक्षम बनाता है।
पहला बड़ा प्रयास संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की निगरानी और सुधार हेतु कई संधियाँ और समझौते किए गए। इनमें FATF (Financial Action Task Force) जैसी संस्थाओं का गठन हुआ, जो देशों को आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित करती हैं। इन संगठनों ने नियमों को लागू करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कड़े निर्देश दिए हैं।
हालांकि, इसके बावजूद आतंकवाद का वित्तपोषण जारी है, और इसका प्रमुख कारण आतंकवादियों के लिए उपलब्ध कई वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोत हैं। अवैध व्यापार, जबरन वसूली, अपहरण, और ड्रग्स की तस्करी जैसे अवैध तरीकों से भी आतंकवादी संगठनों को धन मिलता है। इसके अलावा, कुछ देश या संगठन भी अपने राजनीतिक या धार्मिक एजेंडा के तहत इन्हें गुप्त रूप से समर्थन प्रदान करते हैं।
तकनीकी और डिजिटल वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग भी एक बड़ी चुनौती है। क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल माध्यमों के माध्यम से आतंकवादी संगठन धन हस्तांतरित कर सकते हैं, जिससे वित्तीय निगरानी और भी कठिन हो जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक सहयोग, तकनीकी नवाचार, और सख्त निगरानी की आवश्यकता है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयास और कानूनों का कठोर क्रियान्वयन ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
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