हाल के समय में भारत और यू.के, की न्यायिक व्यवस्थाएं अभिसरणीय एवं अपसरणीय होती प्रतीत हो रही हैं। दोनों राष्ट्रों की न्यायिक कार्यप्रणालियों के आलोक में अभिसरण तथा अपसरण के मुख्य बिदुओं को आलोकित कीजिये ।(150 words) [UPSC 2020]
"संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है" इस कथन की विवेचना करते हुए: सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण: आर्थिक शक्ति: चीन की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और उसकी वैश्विक व्यापारिक उपस्थिति ने अमेरिका के लिएRead more
“संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है” इस कथन की विवेचना करते हुए:
सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण:
आर्थिक शक्ति: चीन की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और उसकी वैश्विक व्यापारिक उपस्थिति ने अमेरिका के लिए एक प्रमुख चुनौती उत्पन्न की है। चीन की आर्थिक वृद्धि और उसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पकड़ अमेरिका के वैश्विक आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती देती है।
सैन्य और तकनीकी विकास: चीन का सैन्य विस्तार और तकनीकी उन्नति, जैसे कि साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रगति, अमेरिका के लिए गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा कर रही है। सोवियत संघ की तुलना में, चीन की आधुनिक तकनीकी क्षमताएँ और उसके क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्र में व्यापकता अमेरिकी सुरक्षा नीति के लिए अधिक जटिलता उत्पन्न करती हैं।
भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टिकोण:
वैश्विक प्रभाव: चीन की बेल्ट और रोड इनिशिएटिव और वैश्विक संस्थानों में बढ़ती भूमिका, अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को चुनौती देती है। सोवियत संघ का प्रभाव मुख्यतः यूरोप और मध्य एशिया तक सीमित था, जबकि चीन का प्रभाव व्यापक और रणनीतिक है।
इस प्रकार, चीन के उदय ने अमेरिका के लिए एक नई और जटिल चुनौती उत्पन्न की है, जो सोवियत संघ की तुलना में अधिक व्यापक और बहुपरकारी है।
भारत और यू.के. की न्यायिक व्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है, क्योंकि भारत की न्यायिक प्रणाली ब्रिटिश कानूनी परंपराओं पर आधारित है। हाल के समय में, दोनों देशों की न्यायिक प्रणालियों में अभिसरण (convergence) और अपसरण (divergence) दोनों देखे जा सकते हैं। अभिसरण: विधि की सर्वोच्चता: दोनोंRead more
भारत और यू.के. की न्यायिक व्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है, क्योंकि भारत की न्यायिक प्रणाली ब्रिटिश कानूनी परंपराओं पर आधारित है। हाल के समय में, दोनों देशों की न्यायिक प्रणालियों में अभिसरण (convergence) और अपसरण (divergence) दोनों देखे जा सकते हैं।
अभिसरण:
See lessविधि की सर्वोच्चता: दोनों देशों में विधि का शासन (Rule of Law) महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र बनाता है।
न्यायिक समीक्षा: भारत और यू.के. दोनों में न्यायालयों को संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की समीक्षा करने और असंवैधानिक विधानों को निरस्त करने का अधिकार है।
अपसरण:
संविधानिक संरचना: यू.के. का कोई लिखित संविधान नहीं है, जबकि भारत का एक विस्तृत लिखित संविधान है, जो न्यायालयों को व्यापक अधिकार प्रदान करता है।
न्यायिक सक्रियता: भारत में न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) अधिक है, जहां अदालतें सामाजिक और आर्थिक मुद्दों में भी हस्तक्षेप करती हैं, जबकि यू.के. में न्यायालय आमतौर पर विधायिका के फैसलों का सम्मान करते हैं और सीमित हस्तक्षेप करते हैं।
मानवाधिकार: यू.के. में यूरोपीय मानवाधिकार अधिनियम 1998 के तहत न्यायालय मानवाधिकार मामलों में फैसले लेते हैं, जबकि भारत में संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत न्यायालय मानवाधिकार की रक्षा करते हैं।
इन अभिसरण और अपसरण के बिंदुओं ने दोनों न्यायिक प्रणालियों को समय के साथ अनोखा और गतिशील बनाया है।