आणविक प्रसार के मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण क्या है ? स्पष्ट कीजिये । (125 Words) [UPPSC 2023]
अमरीका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद और भारत के राष्ट्रीय हित अमरीका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद (JCPOA) भारत के राष्ट्रीय हितों को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है: 1. ऊर्जा सुरक्षा: भारत, जो एक प्रमुख ऊर्जा आयातक है, ईरान से तेल और गैस के आपूर्तिकर्ता पर निर्भर है। ईरान पर प्रतिबंधों की स्थिति में ऊर्जाRead more
अमरीका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद और भारत के राष्ट्रीय हित
अमरीका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद (JCPOA) भारत के राष्ट्रीय हितों को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है:
1. ऊर्जा सुरक्षा: भारत, जो एक प्रमुख ऊर्जा आयातक है, ईरान से तेल और गैस के आपूर्तिकर्ता पर निर्भर है। ईरान पर प्रतिबंधों की स्थिति में ऊर्जा कीमतें बढ़ सकती हैं, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर असर डाल सकती है।
2. व्यापार और निवेश: ईरान के साथ वाणिज्यिक संबंधों और निवेश में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इससे भारतीय कंपनियों की व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं, विशेषकर उद्योगों और बुनियादी ढांचे में।
3. क्षेत्रीय स्थिरता: ईरान और अमरीका के बीच तनाव क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है, जिससे भारत की सुरक्षा और भूराजनीतिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर पड़ोसी देशों में।
भारत को अपनाने योग्य रवैया:
1. संतुलित दृष्टिकोण: भारत को संतुलित और तटस्थ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जो न केवल अमेरिका और ईरान के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखे, बल्कि भारत की आर्थिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखे।
2. ऊर्जा विविधता: भारत को ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण करना चाहिए, ताकि किसी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता कम हो और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
3. कूटनीतिक सक्रियता: भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रहकर, कूटनीतिक संवाद को बढ़ावा देना चाहिए और वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने में योगदान देना चाहिए।
इस प्रकार, भारत को एक सवेंदनशील और समाधान-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाते हुए अपनी आर्थिक और सुरक्षा प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए।
See less
भारत का दृष्टिकोण आणविक प्रसार के मुद्दों पर स्पष्ट रूप से सुरक्षा, असैन्य और व्यापक निरस्त्रीकरण पर आधारित है। भारत ने आणविक अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किया है, क्योंकि इसे भेदभावपूर्ण मानता है, जो वर्तमान परमाणु शक्ति संपन्न देशों को मान्यता देता है जबकि नए देशों को परमाणु हथियार विकसितRead more
भारत का दृष्टिकोण आणविक प्रसार के मुद्दों पर स्पष्ट रूप से सुरक्षा, असैन्य और व्यापक निरस्त्रीकरण पर आधारित है। भारत ने आणविक अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किया है, क्योंकि इसे भेदभावपूर्ण मानता है, जो वर्तमान परमाणु शक्ति संपन्न देशों को मान्यता देता है जबकि नए देशों को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकता है। भारत का मानना है कि परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक समावेशी और गैर-भेदभावपूर्ण ढांचा आवश्यक है।
भारत ने “नो-फर्स्ट-यूज़” (NFU) की नीति अपनाई है, जिसका मतलब है कि वह केवल परमाणु हमले के प्रतिशोध में परमाणु हथियार का उपयोग करेगा। इसके अतिरिक्त, भारत ने व्यापक परमाणु परीक्षण संधि (CTBT) पर एक स्वैच्छिक मोराटोरियम की नीति अपनाई है और विश्व स्तर पर परमाणु हथियारों के पूर्ण निरस्तीकरण की दिशा में काम कर रहा है।
See less