निरंतर उत्पन्न किए जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे जहरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? ...
2040 तक आर्कटिक हिम-मुक्त होने के संभावित परिणामों में महासागरों पर भी गहरा प्रभाव हो सकता है। जब आर्कटिक के हिम घटने लगेंगे, तो समुद्र स्तर में वृद्धि होगी और महासागरों के जलवायु परिवर्तन में वृद्धि देखने की संभावना है। इससे जलवायु तंत्र और समुद्री जीवन पर असर पड़ सकता है। भारत इस स्थिति में भी प्रRead more
2040 तक आर्कटिक हिम-मुक्त होने के संभावित परिणामों में महासागरों पर भी गहरा प्रभाव हो सकता है। जब आर्कटिक के हिम घटने लगेंगे, तो समुद्र स्तर में वृद्धि होगी और महासागरों के जलवायु परिवर्तन में वृद्धि देखने की संभावना है। इससे जलवायु तंत्र और समुद्री जीवन पर असर पड़ सकता है।
भारत इस स्थिति में भी प्रभावित हो सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में मौसम परिवर्तन, बाढ़, सूखा, और चक्रवाती तूफानों में वृद्धि हो सकती है। समुद्र स्तर की वृद्धि से भारत के तटीय क्षेत्रों पर भूमिगत विपदाएं भी बढ़ सकती हैं। इसलिए, सावधानी बरतने और पर्यावरण संरक्षण के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
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फेंके गए ठोस कचरे का निस्तारण करने में बाधाएँ: **1. अपर्याप्त अवसंरचना: प्रबंधन सुविधाओं की कमी: कई क्षेत्रों में कचरा संग्रहण, पृथक्करण और निस्तारण के लिए आवश्यक अवसंरचना का अभाव है। उदाहरण के लिए, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में अपर्याप्त कचरा प्रबंधन प्रणाली के कारण कचरे का सही तरीके से निस्तारण नहRead more
फेंके गए ठोस कचरे का निस्तारण करने में बाधाएँ:
**1. अपर्याप्त अवसंरचना:
**2. कचरे का मिश्रण:
**3. बढ़ती कचरा उत्पादन:
जहरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से हटाने के उपाय:
**1. सही उपचार विधियाँ:
**2. कानूनी ढांचा:
**3. जन जागरूकता और भागीदारी:
इन बाधाओं को दूर करने और प्रभावी प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने से ठोस और जहरीले कचरे के पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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