पर्यावरण से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना की परिभाषा दीजिए। स्पष्ट कीजिए कि किसी प्रदेश के दीर्घोपयोगी विकास (सस्टेनेबल डेवेलपमेंट) की योजना बनाते समय इस संकल्पना को समझना किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है। (250 words) [UPSC 2019]
परिचय: यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकत्वों (CDMs) का अनुसरण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, विशेषकर जब कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आई है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक संवृद्धि के संदर्भ में, इन यांत्रिकत्वों को जारी रखना महत्वपूर्ण हो सकRead more
परिचय: यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकत्वों (CDMs) का अनुसरण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, विशेषकर जब कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आई है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक संवृद्धि के संदर्भ में, इन यांत्रिकत्वों को जारी रखना महत्वपूर्ण हो सकता है।
कार्बन क्रेडिट और CDMs का महत्व:
- जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण: कार्बन क्रेडिट और CDMs का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है। इन यांत्रिकत्वों के तहत, भारत के जैसे विकासशील देशों में पर्यावरणीय परियोजनाओं को वित्तीय सहायता मिलती है। उदाहरण के लिए, भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को CDM के तहत समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसने उत्सर्जन में कमी करने में मदद की है।
- सतत विकास: CDMs विकासशील देशों में परियोजनाओं को समर्थन देते हैं जो सतत विकास को बढ़ावा देती हैं। उदाहरणस्वरूप, भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं ने ऊर्जा की पहुंच में सुधार किया है और स्थानीय रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं।
कार्बन क्रेडिट के मूल्य में गिरावट की चुनौतियाँ:
- बाजार की अस्थिरता: कार्बन क्रेडिट के मूल्य में गिरावट ने कई परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता को प्रभावित किया है। जैसे, हाल ही में कार्बन क्रेडिट की कीमतों में गिरावट के कारण कई भारतीय CDM परियोजनाएँ विलम्बित या रद्द हो गई हैं।
- नियामक अनिश्चितता: अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नीतियों और बाजार नियमों में बदलाव ने निवेशकों के लिए अनिश्चितता उत्पन्न की है, जो CDM परियोजनाओं को प्रभावित करता है।
भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की दृष्टि से प्रासंगिकता:
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता में निवेश आवश्यक है। CDMs ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- आर्थिक संवृद्धि: CDMs ने भारत में अवसंरचना विकास, प्रौद्योगिकी स्थानांतरण, और रोजगार सृजन में योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, कचरे के प्रबंधन में CDM परियोजनाओं ने स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया है और आर्थिक लाभ प्रदान किए हैं।
सुझाव:
- CDM ढांचे में सुधार: CDM ढांचे को पुनःसमीक्षा करके बाजार की समस्याओं और नियामक अनिश्चितताओं को दूर किया जाना चाहिए। इससे निवेशकों का विश्वास बहाल किया जा सकता है और परियोजनाओं की व्यवहार्यता बढ़ाई जा सकती है।
- वैकल्पिक वित्तीय तंत्र: कार्बन क्रेडिट से परे वैकल्पिक वित्तीय तंत्र, जैसे जलवायु वित्त और सार्वजनिक-निजी साझेदारियाँ, का अन्वेषण करना चाहिए, ताकि अस्थिर कार्बन बाजार पर निर्भरता कम हो सके और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष: कार्बन क्रेडिट और CDMs का अनुसरण भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक संवृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, भले ही कार्बन क्रेडिट के मूल्य में गिरावट आई हो। इन यांत्रिकत्वों का सुधार और वैकल्पिक वित्तीय स्रोतों की खोज भारत को विकास और जलवायु परिवर्तन नियंत्रण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकती है।
See less
पर्यावरण से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना 1. पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता (Carrying Capacity): परिभाषा: पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता से तात्पर्य उस अधिकतम सीमा से है, जिस तक एक पारिस्थितिक तंत्र प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरणीय सेवाओं का स्थिर और स्वस्थ तरीके से उपयोग करRead more
पर्यावरण से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना
1. पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता (Carrying Capacity):
2. सस्टेनेबल डेवेलपमेंट में वहन क्षमता का महत्व:
3. हाल के उदाहरण:
4. विकास योजनाओं में वहन क्षमता को ध्यान में रखना:
निष्कर्ष: पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना को समझना और उसे विकास योजनाओं में शामिल करना, पर्यावरणीय स्थिरता और संसाधन प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल विकास को सतत बनाता है, बल्कि पर्यावरणीय दबाव को भी कम करता है।
See less