जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? (उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) (150 words) [UPSC 2020]
नदियों को जोड़ने के लाभ और पर्यावरण पर प्रभाव **1. नदियों को जोड़ने के लाभ: **1. जल संसाधन प्रबंधन: जल उपलब्धता में वृद्धि: नदियों को जोड़ने से जल की अधिशेष क्षेत्रों से जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरण होता है, जिससे पीने का पानी, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता बढ़ती है। उदाहRead more
नदियों को जोड़ने के लाभ और पर्यावरण पर प्रभाव
**1. नदियों को जोड़ने के लाभ:
**1. जल संसाधन प्रबंधन:
- जल उपलब्धता में वृद्धि: नदियों को जोड़ने से जल की अधिशेष क्षेत्रों से जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरण होता है, जिससे पीने का पानी, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता बढ़ती है। उदाहरण के लिए, Ken-Betwa लिंक परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट को कम करने के लिए की जा रही है।
**2. कृषि में सुधार:
- सिंचाई में वृद्धि: नदियों को जोड़ने से सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होता है। गंगा-यमुना लिंक परियोजना के माध्यम से पूर्वी और केंद्रीय भारत में सिंचाई सुविधाओं में सुधार की उम्मीद है।
**3. बाढ़ नियंत्रण:
- बाढ़ की क्षति में कमी: नदियों को जोड़ने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अतिरिक्त जल को जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा सकता है, जिससे बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
**2. पर्यावरण पर संभावित प्रभाव:
**1. पारिस्थितिकीय विघटन:
- पर्यावरणीय बदलाव: नदियों की धारा में बदलाव से जलीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकते हैं, जैसे मछलियों की प्रवास और प्रजनन के चक्र में विघटन हो सकता है। Ken-Betwa लिंक परियोजना के लिए विस्तृत पर्यावरणीय आकलन की आवश्यकता है।
**2. मृदा कटाव और तलछट:
- मृदा कटाव: बदलती नदी धारा मृदा कटाव और तलछट की समस्याओं को बढ़ा सकती है, जिससे कृषि और प्राकृतिक आवास प्रभावित हो सकते हैं।
**3. स्थानीय समुदायों पर प्रभाव:
- स्थानांतरण की समस्याएँ: बड़े पैमाने पर नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं से स्थानीय समुदायों का विस्थापन और भूमि उपयोग में बदलाव हो सकता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
हालिया उदाहरण:
- Ken-Betwa लिंक परियोजना: यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हालांकि, इसके पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना और मूल्यांकन की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
- नदियों को जोड़ने से जल संसाधन प्रबंधन, कृषि और बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं। हालांकि, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उचित योजना और उपाय जरूरी हैं।
परिचय भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह अभियान जल संकट की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। प्रमुख विशेषताएँ जल-आवश्यक क्षेत्र पर ध्यान अभियान ने जल की कमी वाले जिलों और राज्यों को प्राथमिकताRead more
परिचय
भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह अभियान जल संकट की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है।
प्रमुख विशेषताएँ
अभियान ने जल की कमी वाले जिलों और राज्यों को प्राथमिकता दी है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में चेक डैम और जल पुनर्भरण पिट का निर्माण किया गया है, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
स्थानीय जल प्रबंधन समितियों के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित किया जाता है। मध्य प्रदेश में “नई खेती” पहल किसानों को सतत प्रथाओं के बारे में शिक्षित करती है।
वृष्टि जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा दिया गया है, जैसे गुजरात में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण।
जन जागरूकता अभियान के माध्यम से जल बचाने की संस्कृति को प्रोत्साहित किया गया है। जनसमूह को जल उपयोग में दक्षता और संरक्षण की दिशा में शिक्षित किया गया है।
निष्कर्ष
See lessजल शक्ति अभियान का समग्र दृष्टिकोण, जल-संकट वाले क्षेत्रों पर ध्यान, सामुदायिक भागीदारी, वृष्टि जल संचयन और जन जागरूकता, भारत के जल संकट को हल करने और दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक है।