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भारत सरकार द्वारा आरम्भ किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एन० सी० ए० पी०) की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? (250 words) [UPSC 2020]
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की प्रमुख विशेषताएँ परिचय भारत सरकार ने जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में वायु प्रदूषण की समस्या को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। प्रमुख विशेषताएँ उद्देश्य और दायरा NCAP का मुख्य उद्देश्यRead more
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की प्रमुख विशेषताएँ
परिचय
भारत सरकार ने जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में वायु प्रदूषण की समस्या को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
प्रमुख विशेषताएँ
NCAP का मुख्य उद्देश्य 2017 की तुलना में 2024 तक वायु प्रदूषण स्तर को 20-30% तक कम करना है। यह कार्यक्रम 132 शहरों को लक्षित करता है, जिन्हें वायु गुणवत्ता के मामले में खराब माना गया है।
प्रत्येक शहर के लिए शहर-विशिष्ट कार्य योजनाएँ तैयार की जाती हैं, जो स्थानीय प्रदूषण स्रोतों को संबोधित करती हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में वायु गुणवत्ता की निगरानी बढ़ाने, सख्त वाहन उत्सर्जन मानकों को लागू करने, और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के कदम उठाए गए हैं।
NCAP सांठ-गांठ और सहयोग को प्रोत्साहित करता है, जिसमें राज्य सरकारें, नगर निगम, और नागरिक समाज शामिल हैं। विभिन्न स्तरों पर सरकार के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम पर जोर दिया गया है।
वायु गुणवत्ता की निगरानी और डेटा संग्रह पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क जैसे वास्तविक समय पर्यावरण वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (RAQMS) की स्थापना इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
NCAP जन जागरूकता अभियानों को शामिल करता है, जिससे नागरिकों को वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव और व्यवहार परिवर्तन के महत्व के बारे में जानकारी मिलती है। स्वच्छ हवा सप्ताह जैसी पहलों के माध्यम से समुदायों को शामिल किया जाता है।
कार्यक्रम के तहत राज्य और शहर स्तर की पहलों को समर्थन देने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण आवंटित किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य निकायों को फंड वितरण और संसाधनों के प्रभावी उपयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हालिया उदाहरण
NCAP के तहत हाल ही में दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया गया, जो उच्च प्रदूषण स्तरों के दौरान आपातकालीन उपायों को लागू करता है। इसके अतिरिक्त, मुंबई ने अपने वायु गुणवत्ता निगरानी सिस्टम को सुदृढ़ किया और सख्त वाहन उत्सर्जन मानकों को लागू किया है।
निष्कर्ष
See lessNCAP भारत में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एक संरचित और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। शहर-विशिष्ट योजनाएँ, सांठ-गांठ, निगरानी, और जन जागरूकता के माध्यम से, यह कार्यक्रम वायु प्रदूषण को प्रभावी और स्थायी रूप से संबोधित करने का प्रयास करता है।
जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? (उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) (150 words) [UPSC 2020]
परिचय भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह अभियान जल संकट की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। प्रमुख विशेषताएँ जल-आवश्यक क्षेत्र पर ध्यान अभियान ने जल की कमी वाले जिलों और राज्यों को प्राथमिकताRead more
परिचय
भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह अभियान जल संकट की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है।
प्रमुख विशेषताएँ
अभियान ने जल की कमी वाले जिलों और राज्यों को प्राथमिकता दी है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में चेक डैम और जल पुनर्भरण पिट का निर्माण किया गया है, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
स्थानीय जल प्रबंधन समितियों के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित किया जाता है। मध्य प्रदेश में “नई खेती” पहल किसानों को सतत प्रथाओं के बारे में शिक्षित करती है।
वृष्टि जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा दिया गया है, जैसे गुजरात में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण।
जन जागरूकता अभियान के माध्यम से जल बचाने की संस्कृति को प्रोत्साहित किया गया है। जनसमूह को जल उपयोग में दक्षता और संरक्षण की दिशा में शिक्षित किया गया है।
निष्कर्ष
See lessजल शक्ति अभियान का समग्र दृष्टिकोण, जल-संकट वाले क्षेत्रों पर ध्यान, सामुदायिक भागीदारी, वृष्टि जल संचयन और जन जागरूकता, भारत के जल संकट को हल करने और दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक है।
सिक्किम भारत में प्रथम 'जैविक राज्य' है। जैविक राज्य के पारिस्थितिक एवं आर्थिक लाभ क्या-क्या होते हैं? (150 words) [UPSC 2018]
प्रस्तावना सिक्किम, जिसे भारत का पहला 'जैविक राज्य' माना जाता है, ने जैविक खेती को अपनाकर पारिस्थितिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है। पारिस्थितिक लाभ जैव विविधता का संरक्षण: जैविक खेती प्रथाएँ जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय पौधों और जीवों की प्रजातियाँ सुरक्षित रहती हैं। सिक्किम की विRead more
प्रस्तावना
सिक्किम, जिसे भारत का पहला ‘जैविक राज्य’ माना जाता है, ने जैविक खेती को अपनाकर पारिस्थितिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है।
पारिस्थितिक लाभ
आर्थिक लाभ
निष्कर्ष
See lessइस प्रकार, सिक्किम की जैविक खेती न केवल पारिस्थितिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाती है, जिससे यह भारत में सतत विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनता है।
क्या यू० एन० एफ० सी० सी० सी० के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकत्वों का अनुसरण जारी रखा जाना चाहिए, यद्यपि कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आयी है? आर्थिक संवृद्धि के लिए भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की दृष्टि से चर्चा कीजिए।
परिचय: यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकत्वों (CDMs) का अनुसरण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, विशेषकर जब कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आई है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक संवृद्धि के संदर्भ में, इन यांत्रिकत्वों को जारी रखना महत्वपूर्ण हो सकRead more
परिचय: यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) के अधीन स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास यांत्रिकत्वों (CDMs) का अनुसरण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, विशेषकर जब कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट आई है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक संवृद्धि के संदर्भ में, इन यांत्रिकत्वों को जारी रखना महत्वपूर्ण हो सकता है।
कार्बन क्रेडिट और CDMs का महत्व:
कार्बन क्रेडिट के मूल्य में गिरावट की चुनौतियाँ:
भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की दृष्टि से प्रासंगिकता:
सुझाव:
निष्कर्ष: कार्बन क्रेडिट और CDMs का अनुसरण भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक संवृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, भले ही कार्बन क्रेडिट के मूल्य में गिरावट आई हो। इन यांत्रिकत्वों का सुधार और वैकल्पिक वित्तीय स्रोतों की खोज भारत को विकास और जलवायु परिवर्तन नियंत्रण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकती है।
See lessयह बहुत वर्षों पहले की बात नहीं है ज़ब नदियों को जोड़ना एक संकल्पना थी, परन्तु अब यह देश में एक वास्तविकता बनती जा रही है। नदियों को जोड़ने से होने वाले लाभों पर एवं पर्यावरण पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
नदियों को जोड़ने के लाभ और पर्यावरण पर प्रभाव **1. नदियों को जोड़ने के लाभ: **1. जल संसाधन प्रबंधन: जल उपलब्धता में वृद्धि: नदियों को जोड़ने से जल की अधिशेष क्षेत्रों से जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरण होता है, जिससे पीने का पानी, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता बढ़ती है। उदाहRead more
नदियों को जोड़ने के लाभ और पर्यावरण पर प्रभाव
**1. नदियों को जोड़ने के लाभ:
**1. जल संसाधन प्रबंधन:
**2. कृषि में सुधार:
**3. बाढ़ नियंत्रण:
**2. पर्यावरण पर संभावित प्रभाव:
**1. पारिस्थितिकीय विघटन:
**2. मृदा कटाव और तलछट:
**3. स्थानीय समुदायों पर प्रभाव:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष:
भारत में जैव विविधता किस प्रकार अलग-अलग पाई जाती है? बनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण में जैव विविधता अधिनियम, 2002 किस प्रकार सहायक है? (250 words) [UPSC 2018]
भारत में जैव विविधता का प्रकार भौगोलिक विविधता: भारत में जैव विविधता अपने विशाल भौगोलिक और जलवायु विविधताओं के कारण अत्यधिक भिन्न होती है। देश की विविधता में हिमालयी क्षेत्र, गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान, पश्चिमी घाट, और दकन पठार शामिल हैं। उदाहरण के लिए, हिमालय में 7,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाRead more
भारत में जैव विविधता का प्रकार
भौगोलिक विविधता:
भारत में जैव विविधता अपने विशाल भौगोलिक और जलवायु विविधताओं के कारण अत्यधिक भिन्न होती है। देश की विविधता में हिमालयी क्षेत्र, गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान, पश्चिमी घाट, और दकन पठार शामिल हैं। उदाहरण के लिए, हिमालय में 7,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जबकि पश्चिमी घाट में 139 विभिन्न प्रकार के अभयारण्य हैं।
वन्यजीव विविधता:
भारत में वन्यजीवों की विविधता भी उल्लेखनीय है, जिसमें बाघ, सिंह, साल्ट-डॉक्स और गंगा डॉल्फिन शामिल हैं। किराट और रेनफॉरेस्ट जैसे अनूठे पारिस्थितिक तंत्र इन प्रजातियों का समर्थन करते हैं।
जैव विविधता अधिनियम, 2002 के योगदान
संरक्षण और प्रबंधन:
जैव विविधता अधिनियम, 2002 का उद्देश्य बनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण को सुनिश्चित करना है। इस अधिनियम के तहत, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) और राज्य जैव विविधता प्राधिकरण (SBA) की स्थापना की गई है, जो जैव विविधता संरक्षण की दिशा में नीतिगत और प्रशासनिक समर्थन प्रदान करते हैं।
पेटेंट और बौद्धिक संपदा संरक्षण:
अधिनियम पारंपरिक ज्ञान और आयुर्वेदिक पौधों की रक्षा करता है। इससे भारत ने हाल ही में तुलसी, अश्वगंधा जैसी पारंपरिक जड़ी-बूटियों के पेटेंट को सुरक्षित किया है। यह पेटेंट अधिकार भारतीय समुदायों को उनके ज्ञान और संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करते हैं और विदेशी कंपनियों द्वारा इनका दुरुपयोग रोकते हैं।
स्वदेशी समुदायों के अधिकार:
जैव विविधता अधिनियम ने स्वदेशी समुदायों के सांस्कृतिक और पारंपरिक अधिकारों की रक्षा की है। इसके माध्यम से, ये समुदाय अपने पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों के उचित उपयोग और लाभांश के अधिकार प्राप्त करते हैं।
संरक्षण प्रयासों में योगदान:
अधिनियम ने विविध प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण में नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया है। उदाहरण स्वरूप, साइबर ट्री और सपारी जैसे महत्वपूर्ण वनस्पतियों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका को बढ़ाया गया है।
निष्कर्ष
See lessजैव विविधता अधिनियम, 2002 ने भारत की जैव विविधता को संरक्षित करने और प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह पारंपरिक ज्ञान की रक्षा, स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की रक्षा, और विविध प्रजातियों के संरक्षण को सुनिश्चित करता है। इससे जैव विविधता की रक्षा और उसके सतत उपयोग को बढ़ावा मिला है।
आईभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर संकल्पना को स्पष्ट कीजिए। भारत से रामसर स्थलों के दो उदाहरणों का उद्धरण दीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
आईभूमि (Wetland) क्या है? आईभूमि वे क्षेत्र हैं जहाँ पानी पर्यावरण और संबंधित पौधों एवं जानवरों की जीवनशैली को नियंत्रित करता है। इनमें दलदल, स्वंप, बोग और बाढ़ की ज़मीनें शामिल हैं। आईभूमियाँ जल निस्पंदन, बाढ़ नियंत्रण और जैव विविधता का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 'बुद्धिमत्तापूर्Read more
आईभूमि (Wetland) क्या है?
‘बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग’ की रामसर संकल्पना:
भारत से रामसर स्थलों के दो उदाहरण:
इन स्थलों के माध्यम से ‘बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग’ की रामसर संकल्पना का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा रहा है, जो आर्द्रभूमि के संरक्षण और सतत प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
See lessपर्यावरण से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना की परिभाषा दीजिए। स्पष्ट कीजिए कि किसी प्रदेश के दीर्घोपयोगी विकास (सस्टेनेबल डेवेलपमेंट) की योजना बनाते समय इस संकल्पना को समझना किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है। (250 words) [UPSC 2019]
पर्यावरण से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना 1. पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता (Carrying Capacity): परिभाषा: पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता से तात्पर्य उस अधिकतम सीमा से है, जिस तक एक पारिस्थितिक तंत्र प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरणीय सेवाओं का स्थिर और स्वस्थ तरीके से उपयोग करRead more
पर्यावरण से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना
1. पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता (Carrying Capacity):
2. सस्टेनेबल डेवेलपमेंट में वहन क्षमता का महत्व:
3. हाल के उदाहरण:
4. विकास योजनाओं में वहन क्षमता को ध्यान में रखना:
निष्कर्ष: पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता की संकल्पना को समझना और उसे विकास योजनाओं में शामिल करना, पर्यावरणीय स्थिरता और संसाधन प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल विकास को सतत बनाता है, बल्कि पर्यावरणीय दबाव को भी कम करता है।
See lessतटीय बालू खनन, चाहे वह वैध हो या अवैध हो, हमारे पर्यावरण के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है। भारतीय तटों पर हो रहे बालू खनन के प्रभाव का, विशिष्ट उदाहरणों का हवाला देते हुए, विश्लेषण कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
तटीय बालू खनन के प्रभाव 1. पर्यावरणीय क्षति: बालू कटाव और आवास हानि: तटीय बालू खनन के कारण बालू कटाव और कोस्टल हैबिटेट की हानि होती है। केरल के कोल्लम में बालू खनन से तटीय क्षति और पर्यावरणीय असंतुलन देखा गया है। 2. मरीन जीवन पर प्रभाव: मरीन पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश: बालू खनन से मरीन पारिस्थितिकीRead more
तटीय बालू खनन के प्रभाव
1. पर्यावरणीय क्षति:
2. मरीन जीवन पर प्रभाव:
3. जल गुणवत्ता में गिरावट:
4. वैध और अवैध खनन:
5. सुधारात्मक उपाय:
इन प्रभावों से सभी तटीय क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और स्थायी प्रबंधन की आवश्यकता स्पष्ट होती है।
See lessभारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी कीजिए और रामसर स्थलों में शामिल अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की भारत की कुछ आर्द्रभूमियों के नाम लिखिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP): भारत सरकार ने 1985 में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में आर्द्रभूमियों की सुरक्षा और संरक्षण करना है। यह कार्यक्रम आर्द्रभRead more
भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी
राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP):
भारत सरकार ने 1985 में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में आर्द्रभूमियों की सुरक्षा और संरक्षण करना है। यह कार्यक्रम आर्द्रभूमियों के महत्व को मान्यता देते हुए उनकी रक्षा और प्रबंधन के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
मुख्य उद्देश्य:
रामसर स्थलों में शामिल भारत की आर्द्रभूमियाँ:
भारत ने कई आर्द्रभूमियों को रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी है, जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व की होती हैं। इनमें शामिल हैं:
हाल की पहल:
हाल ही में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय आर्द्रभूमि सूची और मूल्यांकन परियोजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों की सूची को अद्यतन और सुधारना है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्ययोजना आर्द्रभूमि प्रबंधन को व्यापक पर्यावरणीय नीतियों और कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
संक्षेप में, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम भारत की आर्द्रभूमियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और रामसर स्थलों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियाँ भारत के प्राकृतिक संसाधनों की अमूल्य धरोहर हैं।
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