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प्रस्तावना सिक्किम, जिसे भारत का पहला 'जैविक राज्य' माना जाता है, ने जैविक खेती को अपनाकर पारिस्थितिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है। पारिस्थितिक लाभ जैव विविधता का संरक्षण: जैविक खेती प्रथाएँ जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय पौधों और जीवों की प्रजातियाँ सुरक्षित रहती हैं। सिक्किम की विRead more
प्रस्तावना
सिक्किम, जिसे भारत का पहला ‘जैविक राज्य’ माना जाता है, ने जैविक खेती को अपनाकर पारिस्थितिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है।
पारिस्थितिक लाभ
- जैव विविधता का संरक्षण: जैविक खेती प्रथाएँ जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय पौधों और जीवों की प्रजातियाँ सुरक्षित रहती हैं। सिक्किम की विभिन्न जलवायु परिस्थितियाँ विभिन्न फसलों को बिना हानिकारक कीटनाशकों के उगाने में मदद करती हैं।
- मिट्टी की सेहत में सुधार: जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, जिससे मिट्टी का क्षय और कटाव कम होता है।
- जल संरक्षण: रासायनिक उपयोग में कमी से जल प्रदूषण कम होता है, जिससे कृषि और स्थानीय समुदायों के लिए जल स्रोत स्वच्छ रहते हैं।
आर्थिक लाभ
- बाजार की मांग: सिक्किम का जैविक उत्पादन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उच्च कीमतें प्राप्त करता है, जैसे कि जैविक चाय और इलायची।
- पर्यटन का प्रोत्साहन: राज्य की जैविक पहचान इको-टूरिज्म को आकर्षित करती है, जिससे स्थानीय व्यवसायों और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, सिक्किम की जैविक खेती न केवल पारिस्थितिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाती है, जिससे यह भारत में सतत विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनता है।
नदियों को जोड़ने के लाभ और पर्यावरण पर प्रभाव **1. नदियों को जोड़ने के लाभ: **1. जल संसाधन प्रबंधन: जल उपलब्धता में वृद्धि: नदियों को जोड़ने से जल की अधिशेष क्षेत्रों से जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरण होता है, जिससे पीने का पानी, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता बढ़ती है। उदाहRead more
नदियों को जोड़ने के लाभ और पर्यावरण पर प्रभाव
**1. नदियों को जोड़ने के लाभ:
**1. जल संसाधन प्रबंधन:
**2. कृषि में सुधार:
**3. बाढ़ नियंत्रण:
**2. पर्यावरण पर संभावित प्रभाव:
**1. पारिस्थितिकीय विघटन:
**2. मृदा कटाव और तलछट:
**3. स्थानीय समुदायों पर प्रभाव:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष: