‘चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) वर्तमान समय में स्वयं को सैनिक गठबंधन से एक व्यापारिक गुट में रूपान्तरित कर रहा है विवेचना कीजिये ।(250 words) [UPSC 2020]
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथार्थवादी और प्रभावी सहयोग के लिए विभिन्न देशों के प्रमुख हितों को स्वीकार करना और उनकी पहचान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शक्तियां और क्षेत्रीय खिलाड़ी शामिल हैं, जिनके भू-राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी हित विभिन्न और कभी-कभी विरोधाभासी हो सकRead more
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथार्थवादी और प्रभावी सहयोग के लिए विभिन्न देशों के प्रमुख हितों को स्वीकार करना और उनकी पहचान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शक्तियां और क्षेत्रीय खिलाड़ी शामिल हैं, जिनके भू-राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी हित विभिन्न और कभी-कभी विरोधाभासी हो सकते हैं।
आर्थिक हित: हिंद-प्रशांत क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें प्रमुख व्यापार मार्ग और समुद्री रास्ते शामिल हैं। चीन, जापान, भारत, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश आर्थिक वृद्धि और व्यापार के अवसरों के लिए इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। व्यापारिक साझेदारियां, निवेश और आपूर्ति श्रृंखलाएं इन देशों के लिए प्रमुख हितों में शामिल हैं।
सुरक्षा और रणनीतिक हित: क्षेत्रीय सुरक्षा की दृष्टि से, चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और समुद्री क्षेत्र में विस्तार की प्रवृत्ति ने चिंताओं को जन्म दिया है। अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसी शक्तियों के लिए, समुद्री स्वतंत्रता, सुलभ व्यापार मार्गों की रक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा की गारंटी महत्वपूर्ण हैं। भारत के लिए, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा, और क्षेत्रीय अस्थिरता पर नियंत्रण प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।
भू-राजनीतिक और सामरिक हित: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विभिन्न देशों की भू-राजनीतिक प्राथमिकताएं भी भिन्न होती हैं। चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और अमेरिका का इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजी इस क्षेत्र की भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करते हैं। भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसी देशों ने सामरिक साझेदारियों को मजबूत करने और चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
सहयोग की दिशा: प्रभावी सहयोग के लिए, यह आवश्यक है कि सभी प्रमुख हितधारक एक साझा दृष्टिकोण पर सहमत हों जो सभी पक्षों के हितों का सम्मान करे। एक बहुपरकारी मंच, जैसे कि क्वाड (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) जैसे समूह, क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सभी देशों को आपसी संवाद और विश्वास निर्माण के लिए प्रयास करने होंगे ताकि विवादों को सुलझाया जा सके और साझा हितों को आगे बढ़ाया जा सके।
इस प्रकार, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथार्थवादी और प्रभावी सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए, विभिन्न देशों के प्रमुख हितों की पहचान और स्वीकार्यता आवश्यक है। यह क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास, और सामरिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक होगा।
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चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड), जिसमें अमेरिका, भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, प्रारंभ में एक सैन्य गठबंधन के रूप में विचारित किया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में, यह समूह स्वयं को एक अधिक व्यापारिक और सामरिक गुट में रूपांतरित करता प्रतीत हो रहा है। इस रूपांतरण की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओRead more
चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड), जिसमें अमेरिका, भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, प्रारंभ में एक सैन्य गठबंधन के रूप में विचारित किया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में, यह समूह स्वयं को एक अधिक व्यापारिक और सामरिक गुट में रूपांतरित करता प्रतीत हो रहा है। इस रूपांतरण की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं पर की जा सकती है:
1. सामरिक सहयोग से व्यापारिक पहल की ओर:
सामरिक सहयोग: प्रारंभ में, क्वाड का गठन मुख्य रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ एक सामरिक गठबंधन के रूप में हुआ था। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करना था, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग शामिल था।
व्यापारिक पहल: हाल के वर्षों में, क्वाड ने व्यापारिक और आर्थिक सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। 2021 में, समूह ने “क्वाड वैक्सीन डिप्लोमेसी” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य COVID-19 वैक्सीनेशन की आपूर्ति और वितरण में मदद करना था। इसके अलावा, क्वाड ने “सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर” और “टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप” पर भी जोर दिया है।
2. सामरिक और आर्थिक लाभ:
सामरिक लाभ: क्वाड का सामरिक पहलू अब भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका प्राथमिक ध्यान क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्थिरता के साथ-साथ व्यापारिक हितों पर भी केंद्रित है। यह अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक अवसर प्रदान करता है कि वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने आर्थिक और सामरिक प्रभाव को बढ़ा सकें।
आर्थिक लाभ: व्यापारिक गुट के रूप में क्वाड ने “इकोनॉमिक रिसिलिएंस” और “विपणन और आपूर्ति श्रृंखला” को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। इसने चीन पर निर्भरता को कम करने के प्रयास किए हैं और क्षेत्रीय व्यापारिक नेटवर्क को सशक्त किया है।
3. सदस्य देशों के दृष्टिकोण:
भारत: भारत ने क्वाड को एक व्यापक रणनीतिक और आर्थिक मंच के रूप में देखा है। यह भारत के लिए व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने का एक माध्यम है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया: जापान और ऑस्ट्रेलिया भी व्यापारिक और आर्थिक पहल पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे वे अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित रख सकें और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ा सकें।
निष्कर्ष:
See lessक्वाड का रूपांतरण एक सैन्य गठबंधन से एक व्यापारिक गुट में हो रहा है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को भी बढ़ावा देता है। इस बदलाव से समूह के सदस्य देशों को सामरिक स्थिरता के साथ-साथ आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहे हैं, जिससे वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को व्यापक रूप से सशक्त कर रहे हैं।