‘एक्ट फार इंस्ट’ पॉलिसी को अपनाना भारत के लिए सुदूर पूर्व क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। विवंचना कीजिए। साथ ही, सुदूर पूर्व में भारत के हितों के समक्ष विद्यमान बाधाओं को भी रेखांकित कीजिए। (250 शब्दों में ...
भारत में सीमापारीय आतंकी हमलों और पाकिस्तान के हस्तक्षेप का सार्क के भविष्य पर प्रभाव परिचय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का उद्देश्य दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और विकास को बढ़ावा देना है। हालांकि, भारत में बढ़ते सीमापारीय आतंकी हमले और पाकिस्तान द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलRead more
भारत में सीमापारीय आतंकी हमलों और पाकिस्तान के हस्तक्षेप का सार्क के भविष्य पर प्रभाव
परिचय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का उद्देश्य दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और विकास को बढ़ावा देना है। हालांकि, भारत में बढ़ते सीमापारीय आतंकी हमले और पाकिस्तान द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ने सार्क की प्रभावशीलता को प्रभावित किया है।
सीमापारीय आतंकी हमले
- मुंबई हमले (2008): पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए इस हमले ने भारतीय सुरक्षा स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया। इस हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया, जिससे सार्क की क्षेत्रीय सुरक्षा की पहल बाधित हुई।
- उरी हमला (2016): पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा उरी (जम्मू-कश्मीर) में किए गए हमले ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को और तनावपूर्ण कर दिया। इस प्रकार के हमलों ने सार्क की क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कमजोर किया।
पाकिस्तान का आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप
- कश्मीर मुद्दा: पाकिस्तान का आरोपित समर्थन कश्मीरी अलगाववादियों और आतंकवादी समूहों को भारत में हिंसा को प्रोत्साहित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। यह हस्तक्षेप भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ाता है और सार्क की बैठकें और संवाद बाधित करता है।
- अफगानिस्तान में भूमिका: पाकिस्तान की तालिबान और अन्य उग्रवादी समूहों को समर्थन की खबरें अफगानिस्तान में अशांति को बढ़ावा देती हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में स्थिरता और विकास की संभावना प्रभावित होती है।
सार्क पर प्रभाव
- सार्क सम्मेलन का बहिष्कार: 2016 सार्क सम्मेलन में भारत और अन्य सदस्य देशों ने पाकिस्तान में होने वाले सम्मेलन का बहिष्कार किया, जो कि आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा की चिंताओं के कारण था। यह घटना सार्क की प्रभावशीलता और सदस्य राज्यों के बीच सहयोग को कमजोर करती है।
- क्षेत्रीय विकास की बाधाएँ: आतंकवाद और आंतरिक हस्तक्षेप के कारण सार्क अपने विकासात्मक लक्ष्यों, जैसे कि गरीबी उन्मूलन और आर्थिक एकीकरण, को प्रभावी ढंग से पूरा नहीं कर पा रही है।
निष्कर्ष भारत में बढ़ते सीमापारीय आतंकी हमले और पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ने सार्क के भविष्य के लिए गंभीर चुनौतियाँ पेश की हैं। इन समस्याओं ने क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा को प्रभावित किया है, जिससे सार्क की प्रभावशीलता और विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं।
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'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमाRead more
‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, और अन्य देशों शामिल हैं, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी का एक प्रमुख भाग है।
भारत के सुदूर पूर्व क्षेत्र के प्रति महत्व:
विद्यमान बाधाएँ:
इन बाधाओं को पार करने और अपने रणनीतिक लक्ष्यों को साकार करने के लिए, भारत को सुदूर पूर्व एशिया के साथ कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को लगातार मजबूत करना होगा। ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी के तहत की गई पहलें, इस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने और उसकी समग्र रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक होंगी।
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