ऋण-जाल कूटनीति क्या है? चीन की ऋण-जाल कूटनीति भारत के पड़ोस में भारतीय हितों को कैसे प्रभावित करती है? (150 शब्दों में उत्तर दें)
अफ्रीका में भारत की बढ़ती हुई रुचि: सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष सकारात्मक पक्ष: आर्थिक अवसर: भारत की अफ्रीका में बढ़ती रुचि ने कई आर्थिक अवसर प्रदान किए हैं। उदाहरण के लिए, भारत ने 2023 में नाइजीरिया और केन्या के ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश किए हैं। भारत-अफ्रीका व्यापार मंच और द्विपक्षीय व्यापार मेRead more
अफ्रीका में भारत की बढ़ती हुई रुचि: सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष
सकारात्मक पक्ष:
- आर्थिक अवसर: भारत की अफ्रीका में बढ़ती रुचि ने कई आर्थिक अवसर प्रदान किए हैं। उदाहरण के लिए, भारत ने 2023 में नाइजीरिया और केन्या के ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश किए हैं। भारत-अफ्रीका व्यापार मंच और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि ने व्यापारिक रिश्तों को सुदृढ़ किया है।
- रणनीतिक साझेदारी: अफ्रीका के साथ संबंधों में मजबूती ने भारत को रणनीतिक साझेदारी की दिशा में अवसर प्रदान किए हैं। भारत की शांति-रक्षा अभियानों में भागीदारी, जैसे कि दक्षिण सूडान और सोमालिया में, ने क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा दिया है और भारत के कूटनीतिक प्रभाव को सशक्त किया है।
- शैक्षिक और तकनीकी आदान-प्रदान: भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के माध्यम से अफ्रीका में शिक्षा और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा दिया है। अफ्रीकी छात्रों और पेशेवरों के लिए स्कॉलरशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रम दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करते हैं।
नकारात्मक पक्ष:
- भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: भारत की बढ़ती हुई उपस्थिति ने भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया है, विशेषकर चीन के साथ। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने अफ्रीका में बुनियादी ढांचे के विकास पर प्रमुख ध्यान केंद्रित किया है, जो भारतीय प्रयासों को पिछड़ा कर देता है। उदाहरण के लिए, चीन की अफ्रीकी बंदरगाहों और रेलवे में व्यापक निवेश ने भारत की स्थिति को चुनौती दी है।
- संसाधनों पर निर्भरता: भारत का अफ्रीका के संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करना, जैसे कि तेल और खनिज, संसाधन आयात पर अत्यधिक निर्भरता का कारण बन सकता है। हाल की वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव ने भारत के व्यापार संतुलन में समस्याएँ उत्पन्न की हैं, जिससे ऊर्जा सुरक्षा पर असर पड़ा है।
- स्थानीय विरोध: भारतीय निवेश कभी-कभी स्थानीय व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, ज़ाम्बिया में, भारतीय खुदरा और निर्माण निवेशों को स्थानीय उद्यमों और रोजगार बाजारों पर प्रभाव डालने को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।
निष्कर्ष: अफ्रीका में भारत की बढ़ती रुचि के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं। आर्थिक, रणनीतिक और शैक्षिक लाभ के साथ-साथ भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, संसाधन निर्भरता और स्थानीय विरोध के जोखिम भी जुड़े हैं। इन पहलुओं को संतुलित करना भारत की अफ्रीका के साथ बढ़ती हुई साझेदारी की सफलता के लिए आवश्यक है।
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ऋण-जाल कूटनीति (Debt-Trap Diplomacy) एक रणनीति है जिसका उपयोग देश ऋण देने वाले देश करते हैं ताकि उधार लेने वाले देश को आर्थिक रूप से निर्भर और कमजोर किया जा सके। इसमें, देश बड़े पैमाने पर ऋण प्रदान करते हैं, लेकिन जब उधारकर्ता ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाता है, तो वह अपनी संसाधन या सम्पत्ति के बदले ऋणRead more
ऋण-जाल कूटनीति (Debt-Trap Diplomacy) एक रणनीति है जिसका उपयोग देश ऋण देने वाले देश करते हैं ताकि उधार लेने वाले देश को आर्थिक रूप से निर्भर और कमजोर किया जा सके। इसमें, देश बड़े पैमाने पर ऋण प्रदान करते हैं, लेकिन जब उधारकर्ता ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाता है, तो वह अपनी संसाधन या सम्पत्ति के बदले ऋण देने वाले देश के नियंत्रण में चला जाता है।
चीन की ऋण-जाल कूटनीति भारत के पड़ोसी देशों में भारतीय हितों को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में चीन द्वारा बड़े पैमाने पर ऋण दिए गए हैं। जब ये देश ऋण चुकाने में विफल रहते हैं, तो चीन को प्रमुख सामरिक और आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण मिल जाता है। इससे भारत के पड़ोसी देशों में चीन का प्रभाव बढ़ता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन पर असर पड़ता है।
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