किन आधारों पर किसी लोक प्रतिनिधि को, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अधीन निरर्हित किया जा सकता है ? उन उपचारों का भी उल्लेख कीजिए जो ऐसे निरर्हित व्यक्ति को अपनी निरर्हता के विरुद्ध उपलब्ध हैं। (250 words) [UPSC 2019]
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act, 1951) के तहत भ्रष्ट आचरण के दोषी व्यक्तियों को अयोग्य ठहराने का प्रावधान लोकतंत्र को स्वच्छ और पारदर्शी बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। हालांकि, वर्तमान में इस प्रक्रिया में कई जटिलताएँ और कानूनी बाधाएँ हैं, जो इसे प्रभावी ढंग से लागूRead more
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act, 1951) के तहत भ्रष्ट आचरण के दोषी व्यक्तियों को अयोग्य ठहराने का प्रावधान लोकतंत्र को स्वच्छ और पारदर्शी बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। हालांकि, वर्तमान में इस प्रक्रिया में कई जटिलताएँ और कानूनी बाधाएँ हैं, जो इसे प्रभावी ढंग से लागू करने में रुकावट पैदा करती हैं।
पहली समस्या यह है कि दोष सिद्ध होने में लंबा समय लग सकता है, जिससे दोषी व्यक्ति चुनाव लड़ सकते हैं और सार्वजनिक पद पर बने रह सकते हैं। दूसरी समस्या यह है कि कानून की जटिलताओं के कारण दोषी ठहराए गए व्यक्ति कानूनी अपीलों के माध्यम से अपनी अयोग्यता को चुनौती देकर इसे टाल सकते हैं।
इसलिए, इस प्रक्रिया के सरलीकरण की आवश्यकता है ताकि भ्रष्ट आचरण में संलिप्त व्यक्ति शीघ्रता से अयोग्य घोषित किए जा सकें। इसके लिए, समयबद्ध सुनवाई, त्वरित न्यायिक प्रक्रिया, और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त प्रावधानों की आवश्यकता है। इससे न केवल लोकतंत्र की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।
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लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी लोक प्रतिनिधि को निरर्हित करने के आधार निम्नलिखित हैं: 1. अपराध और सजा: यदि कोई लोक प्रतिनिधि किसी गंभीर अपराध जैसे कि भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, या हिंसात्मक अपराध में दोषी पाया जाता है और उसे दो वर्ष या उससे अधिक की सजा मिलती है, तो उसे निरर्हित किया जा सकता हRead more
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी लोक प्रतिनिधि को निरर्हित करने के आधार निम्नलिखित हैं:
1. अपराध और सजा:
यदि कोई लोक प्रतिनिधि किसी गंभीर अपराध जैसे कि भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, या हिंसात्मक अपराध में दोषी पाया जाता है और उसे दो वर्ष या उससे अधिक की सजा मिलती है, तो उसे निरर्हित किया जा सकता है।
2. आय और संपत्ति की जानकारी में असत्यापन:
यदि लोक प्रतिनिधि अपनी आय और संपत्ति की जानकारी प्रस्तुत करने में असफल रहता है या गलत जानकारी देता है, तो उसे निरर्हित किया जा सकता है।
3. निर्वाचन आयोग के नियमों का उल्लंघन:
यदि कोई प्रतिनिधि निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नियमों और आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो उसे निरर्हित किया जा सकता है।
4. सदस्यता की अवमानना:
संसद या विधानमंडल की कार्यवाही में शामिल न होने या अनुपस्थित रहने के मामले में भी निरर्हता लगाई जा सकती है, यदि अनुपस्थिति की अवधि आवश्यक मानदंडों से अधिक हो।
उपचार:
1. अपील:
निरर्हता की स्थिति में व्यक्ति के पास उच्च न्यायालय में अपील करने का विकल्प होता है। व्यक्ति निरर्हता के आदेश को चुनौती देने के लिए कानूनी अपील कर सकता है।
2. पुनर्विचार याचिका:
विधानसभा या संसद के विशेष मामलों में, निरर्हता के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है।
3. दूसरी बार चुनाव:
निर्णायक निरर्हता के बाद, व्यक्ति अगले चुनाव में पुनः चुनाव के लिए खड़ा हो सकता है, यदि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हुए या उसने सजा का पालन कर लिया है।
इन उपचारों के माध्यम से निरर्हित व्यक्ति को अपनी निरर्हता के खिलाफ कानूनी उपाय उपलब्ध होते हैं।
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