विसर्प की अवधारणा की व्याख्या करते हुए, बाढ़ के मैदानों से जुड़ी विभिन्न भू-आकृतियों को वर्णित कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
प्रवाहित जल भू-आकृतियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब पानी नदियों, धाराओं और झीलों के रूप में प्रवाहित होता है, तो यह चट्टानों और मिट्टी को कटाव करता है और गहरे घाटियों और कण्ठों का निर्माण करता है। निरंतर कटाव के माध्यम से, नदी अपने मार्ग को धीरे-धीरे गहरी और चौड़ी करती है, जिससे घाटRead more
प्रवाहित जल भू-आकृतियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब पानी नदियों, धाराओं और झीलों के रूप में प्रवाहित होता है, तो यह चट्टानों और मिट्टी को कटाव करता है और गहरे घाटियों और कण्ठों का निर्माण करता है। निरंतर कटाव के माध्यम से, नदी अपने मार्ग को धीरे-धीरे गहरी और चौड़ी करती है, जिससे घाटियाँ और कण्ठ निर्मित होते हैं।
प्रवाहित जल की निक्षेपण विशेषताएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं:
- किसी नदी के शिखर पर निक्षेपण: यहाँ जल की गति कम होती है, जिससे बड़े कण जैसे बजरी और सिल्ट नदी के किनारे पर जमा होते हैं, जो ‘कन’ (चूना) और ‘फ्लडप्लेन’ का निर्माण करते हैं।
- मध्य और निचले भागों में निक्षेपण: जैसे-जैसे नदी की गति कम होती है, महीन कण जैसे मिट्टी और सिल्ट जमा होते हैं। यहाँ, ‘डेल्टा’ का निर्माण होता है, जहाँ नदी समुद्र में मिलती है।
- वाढी धारा में निक्षेपण: वृष्टि और बर्फ के पिघलने से जमा हुए कण ‘पैदल’, ‘मोराइन’ और ‘आइस’ द्वारा निक्षेपित होते हैं।
ये निक्षेपण प्रक्रियाएँ भूमि की सतह को आकार देती हैं और नई भू-आकृतियों का निर्माण करती हैं, जैसे ‘तलाब’, ‘डेल्टा’ और ‘मोराइन’।
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विसर्प (Meandering) एक नदी की प्रवृत्ति को दर्शाता है जिसमें नदी के प्रवाह की दिशा लगातार बदलती रहती है, जिससे नदी की धारा में जिग-जैग मोड़ बनते हैं। यह प्रक्रिया बाढ़ के मैदानों में सामान्य रूप से देखी जाती है, जहाँ नदी अपने द्वारा छोड़े गए अवसादों पर निर्भर करती है और चपटी भूमि पर बहती है। बाढ़ केRead more
विसर्प (Meandering) एक नदी की प्रवृत्ति को दर्शाता है जिसमें नदी के प्रवाह की दिशा लगातार बदलती रहती है, जिससे नदी की धारा में जिग-जैग मोड़ बनते हैं। यह प्रक्रिया बाढ़ के मैदानों में सामान्य रूप से देखी जाती है, जहाँ नदी अपने द्वारा छोड़े गए अवसादों पर निर्भर करती है और चपटी भूमि पर बहती है।
बाढ़ के मैदानों से जुड़ी विभिन्न भू-आकृतियाँ निम्नलिखित हैं:
स्लीक: बाढ़ के मैदानों में नदी द्वारा छोड़े गए नर्म अवसाद से निर्मित यह वाणिज्यिक क्षेत्र होते हैं। ये समतल और उपजाऊ होते हैं।
लूप्स: नदी के चक्रीय मोड़, जो विसर्प के कारण बनते हैं। समय के साथ, ये मोड़ बड़ा होकर अलग-थलग जलाशयों में बदल सकते हैं।
ऑक्सबो: पुराने लूप्स या मोड़ों की प्रक्रिया से बनते हैं, जब एक लूप भर जाता है और नदी एक सीधी धारा बनाती है, जिससे पुराना लूप बंद हो जाता है।
फ्लडप्लेन: नदी की नियमित बाढ़ से बनने वाला समतल क्षेत्र, जहाँ अवसाद जमा होते हैं और उपजाऊ मिट्टी का निर्माण होता है।
ये भू-आकृतियाँ नदी के विसर्प की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं और बाढ़ के मैदानों की अद्वितीय विशेषताओं को दर्शाती हैं।
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