महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत क्या है? इसका समर्थन करने वाले साक्ष्यों की विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
मरुस्थल (Desert) प्राकृतिक विशेषताएँ हैं जो विशेष जलवायु परिस्थितियों और भूगर्भीय प्रक्रियाओं के कारण बनते हैं। विश्व भर में विभिन्न प्रकार के मरुस्थल पाए जाते हैं, जिनके निर्माण और विशेषताएँ भिन्न होती हैं। प्रमुख मरुस्थल प्रकार निम्नलिखित हैं: सहारा मरुस्थल (Sahara Desert) - अफ्रीका: निर्माण: यह मRead more
मरुस्थल (Desert) प्राकृतिक विशेषताएँ हैं जो विशेष जलवायु परिस्थितियों और भूगर्भीय प्रक्रियाओं के कारण बनते हैं। विश्व भर में विभिन्न प्रकार के मरुस्थल पाए जाते हैं, जिनके निर्माण और विशेषताएँ भिन्न होती हैं। प्रमुख मरुस्थल प्रकार निम्नलिखित हैं:
- सहारा मरुस्थल (Sahara Desert) – अफ्रीका:
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- निर्माण: यह मरुस्थल मुख्य रूप से आंतरमहाद्वीपीय आंतरदृष्टि और स्थिर उच्च दबाव प्रणाली के कारण बनता है। इसकी अत्यधिक गर्मी और सूखे की स्थिति यहाँ की विशेषता है।
- विशेषताएँ: विशाल रेत के टीले (सैंड ड्यून्स), सूखी घाटियाँ, और अत्यधिक उच्च तापमान।
2. थार मरुस्थल (Thar Desert) – भारत और पाकिस्तान:
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- निर्माण: इसे आंशिक रूप से मोनसून की अनुपस्थिति और लगातार वायवीय प्रवाह के कारण रेत की परतों के निर्माण से विकसित किया गया है।
- विशेषताएँ: रेत के टीले, पत्थरीली सतहें, और गर्मी के अलावा, यहाँ अनोखी वनस्पतियाँ और जीव-जंतु भी पाए जाते हैं।
3.आर्तिक मरुस्थल (Arctic Desert) – आर्कटिक क्षेत्र:
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- निर्माण: यह मरुस्थल अत्यधिक ठंडे तापमान और कम वर्षा के कारण बनता है, जिसे स्थिर आर्कटिक उच्च दबाव प्रणाली से जोड़ा जा सकता है।
- विशेषताएँ: बर्फ और पिघले हुए पानी की कम मात्रा, अत्यधिक ठंड और कम वनस्पति।
4. मोजावे मरुस्थल (Mojave Desert) – अमेरिका:
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- निर्माण: यह मरुस्थल या तो शुष्क मौसम और ऊँचे पर्वत श्रृंखलाओं के परिणामस्वरूप बना है जो बारहमासी उच्च दबाव प्रणाली से प्रभावित है।
- विशेषताएँ: सघन पत्थरीली और रेत की सतह, और तापमान में विशाल उतार-चढ़ाव।
विशेषताएँ:
- सूखापन: मरुस्थलों में अत्यधिक कम वार्षिक वर्षा होती है।
उच्च तापमान: दिन में तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है, जबकि रात में ठंडक हो जाती है। - वनस्पति और जीव: मरुस्थलों में जीव-जंतु और वनस्पतियाँ आदप्त होती हैं जो सूखे और उच्च तापमान सहन कर सकती हैं।
इन मरुस्थलों की विशेषताएँ और निर्माण प्रक्रियाएँ उनके भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिस्थितियों से निकटता से जुड़ी होती हैं।
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महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) सिद्धांत का विवरण: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, जिसे अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया, यह मानता है कि प्राचीन काल में सभी महाद्वीप एक एकल विशाल महाद्वीप, पैंजिया, के रूप में एकत्रित थे। समय के साथ, पैंजिया टूटकर वर्तमान महाद्वीपों का निर्Read more
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory)
सिद्धांत का विवरण: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, जिसे अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया, यह मानता है कि प्राचीन काल में सभी महाद्वीप एक एकल विशाल महाद्वीप, पैंजिया, के रूप में एकत्रित थे। समय के साथ, पैंजिया टूटकर वर्तमान महाद्वीपों का निर्माण हुआ और ये धीरे-धीरे वर्तमान स्थानों पर पहुँचे।
साक्ष्य:
इन साक्ष्यों ने महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत को समर्थन दिया, हालांकि इसे अधिक व्यापक रूप से समझाने के लिए प्लेट टेक्टॉनिक्स के सिद्धांत का विकास हुआ, जिसने महाद्वीपीय प्रवाह और अन्य भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को एक एकीकृत ढांचे में समझाया।
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