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इंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूहों में हज़ारों द्वीपों के विरचन की व्याख्या कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
इंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूहों में द्वीपों का गठन टेक्टोनिक प्लेट गतिविधि इंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूह टेक्टोनिक प्लेट गतिविधियों के कारण बने हैं। ये क्षेत्र कई प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर स्थित हैं, जैसे पैसिफिक प्लेट, इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट, और यूरेशियन प्लेट। इन प्लेटों कीRead more
इंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूहों में द्वीपों का गठन
टेक्टोनिक प्लेट गतिविधि
इंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूह टेक्टोनिक प्लेट गतिविधियों के कारण बने हैं। ये क्षेत्र कई प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर स्थित हैं, जैसे पैसिफिक प्लेट, इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट, और यूरेशियन प्लेट। इन प्लेटों की गति और टकराव के परिणामस्वरूप द्वीपों का निर्माण होता है।
ज्वालामुखीय गतिविधि
ज्वालामुखीय गतिविधि द्वीप निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इंडोनेशियाई द्वीपसमूह में, सुमात्रा और जावा जैसे द्वीप रिंग ऑफ फायर के ज्वालामुखीय विस्फोटों के कारण बने हैं, जहां पैसिफिक प्लेट इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट के नीचे जाती है। फिलिपीनी द्वीपसमूह में, लुज़ोन और मिंडानाओ जैसे द्वीप ज्वालामुखीय विस्फोटों और टेक्टोनिक उथल-पुथल से बने हैं।
हाल के उदाहरण
1883 में क्राकातुआ के विस्फोट ने इंडोनेशिया में द्वीपों का परिदृश्य बदल दिया। फिलिपींस में ताल ज्वालामुखी का गठन नए भू-आकृतियों को जन्म दे रहा है।
निष्कर्ष
See lessइंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूहों में हज़ारों द्वीप टेक्टोनिक गतिविधियों और ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण बने हैं, जो इन भौगोलिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों की विशेषता हैं।
प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत हिमालय और एंडीज पर्वतों के निर्माण में विद्यमान अंतरों को समझाने में किस प्रकार सहायता करता है?(150 शब्दों में उत्तर दें)
प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत हिमालय और एंडीज पर्वतों के निर्माण के अंतरों को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिमालय पर्वत का निर्माण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के परिणामस्वरूप हुआ है। यहाँ पर, भारतीय प्लेट की परत यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसती जा रही है, जिससे लगातार संपीडन औरRead more
प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत हिमालय और एंडीज पर्वतों के निर्माण के अंतरों को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हिमालय पर्वत का निर्माण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के परिणामस्वरूप हुआ है। यहाँ पर, भारतीय प्लेट की परत यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसती जा रही है, जिससे लगातार संपीडन और पर्वत निर्माण हो रहा है। यह टकराव अत्यधिक ऊर्ध्वाधर निर्माण और बड़ी ऊँचाई वाले पर्वतों का कारण बनता है।
वहीं, एंडीज पर्वत का निर्माण मुख्यतः नाज़का प्लेट और साउथ अमेरिकन प्लेट के बीच सबडक्शन (एक प्लेट का दूसरी के नीचे धंसना) के कारण हुआ है। यहाँ पर, नाज़का प्लेट साउथ अमेरिकन प्लेट के नीचे धंसती है, जिससे वोल्कानिक गतिविधियाँ और पर्वत निर्माण होता है, जो अधिक रैखिक और कम ऊँचाई वाले होते हैं।
इस प्रकार, प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत से विभिन्न प्लेट टकराव और सबडक्शन प्रक्रियाओं के कारण पर्वतों के निर्माण की भिन्नताएँ समझी जा सकती हैं।
See lessविसर्प की अवधारणा की व्याख्या करते हुए, बाढ़ के मैदानों से जुड़ी विभिन्न भू-आकृतियों को वर्णित कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
**विसर्प (Meandering)** की अवधारणा नदी के बहाव में होने वाली वक्रता को दर्शाती है, जिसमें नदी का मार्ग लहरदार और घुमावदार बन जाता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है और उसकी धारा धीरे-धीरे अपने मार्ग को मोड़ती है। **बाढ़ के मैदानों** में विसर्प से जुड़ी प्रमुख भू-आकृतियाँ निRead more
**विसर्प (Meandering)** की अवधारणा नदी के बहाव में होने वाली वक्रता को दर्शाती है, जिसमें नदी का मार्ग लहरदार और घुमावदार बन जाता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है और उसकी धारा धीरे-धीरे अपने मार्ग को मोड़ती है।
**बाढ़ के मैदानों** में विसर्प से जुड़ी प्रमुख भू-आकृतियाँ निम्नलिखित हैं:
1. **मेन्डर**: नदी के प्रवाह द्वारा बनते कर्व या मोड़, जो एक सर्पिल पैटर्न बनाते हैं।
2. **ऑक्सबो झीलें**: जब दो मेन्डर मिलकर एक दूसरे को काटते हैं, तो बीच में एक बंद चैनल के रूप में झील बनती है।
3. **बाढ़ के मैदान**: ये निम्न क्षेत्र होते हैं जहां नदी के पानी का फैलाव होता है, जिससे उपजाऊ मिट्टी जमा होती है।
4. **पारत**: नदी के एक ओर जमा होने वाली परतदार मृदा जो नदी के बहाव की दिशा के अनुसार बदलती है।
ये आकृतियाँ नदी की गतिशीलता और उसके परिवेश को दर्शाती हैं, और प्राकृतिक पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
See lessमहासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत ने महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन को नए आयाम प्रदान किए हैं। सविस्तार वर्णन कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत (Subsequent Flow Theory) ने महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सिद्धांत इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे महासागरीय अधस्तल पर जल प्रवाह की प्रक्रिया ने स्थलाकृतिक विशेषताओं को आकार दियRead more
महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत (Subsequent Flow Theory) ने महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सिद्धांत इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे महासागरीय अधस्तल पर जल प्रवाह की प्रक्रिया ने स्थलाकृतिक विशेषताओं को आकार दिया है।
सिद्धांत के अनुसार, महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि महासागरीय तल में समुद्री धाराओं और प्रवाहों की दिशा ने महाद्वीपों और महासागरों के बीच एक गतिशील संबंध स्थापित किया है। महासागरीय प्रवाह और धाराएँ महासागरीय तल की संरचना को प्रभावित करती हैं, जिससे समुद्री चट्टानों और प्लेटों की स्थिति और उनका वितरण बदलता है। उदाहरण के लिए, महासागरीय प्लेटों की टकराहट और अलगाव ने महाद्वीपीय रेखाओं और महासागरीय रेखाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस सिद्धांत के तहत, महासागरीय धाराओं के प्रवाह और उनके द्वारा उत्पन्न बल महाद्वीपों के निर्माण और उनके आकार को प्रभावित करते हैं। इससे यह समझने में मदद मिली है कि कैसे महासागर और महाद्वीपों के बीच की इंटरैक्शन ने भूगर्भीय संरचनाओं को आकार दिया है। महासागरीय तल पर जल प्रवाह की पहचान और विश्लेषण से भूगर्भीय घटनाओं, जैसे कि भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों, की भविष्यवाणी और अध्ययन में भी सहायता मिली है।
इस प्रकार, महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत ने महाद्वीपों और महासागरों के वितरण और उनके भूगर्भीय प्रक्रियाओं की समझ को नई दिशा प्रदान की है, जिससे पृथ्वी की सतह के विकास और परिवर्तनों का अध्ययन और भी सटीक और गहरा हो गया है।
See less'मेंटल प्लूम' को परिभाषित कीजिए और प्लेट विवर्तनिकी में इसकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
मेंटल प्लूम की परिभाषा और प्लेट विवर्तनिकी में इसकी भूमिका: मेंटल प्लूम एक गर्म और घने पदार्थ का उद्गार है जो पृथ्वी की मंटल के भीतर से ऊपर की ओर उठता है। यह एक लंबे समय तक चलने वाली थर्मल गतिविधि है जो पृथ्वी के भीतर की ऊंचाई से शुरू होकर पृथ्वी की सतह तक पहुंचता है। प्लेट विवर्तनिकी में मेंटल प्लूRead more
मेंटल प्लूम की परिभाषा और प्लेट विवर्तनिकी में इसकी भूमिका:
मेंटल प्लूम एक गर्म और घने पदार्थ का उद्गार है जो पृथ्वी की मंटल के भीतर से ऊपर की ओर उठता है। यह एक लंबे समय तक चलने वाली थर्मल गतिविधि है जो पृथ्वी के भीतर की ऊंचाई से शुरू होकर पृथ्वी की सतह तक पहुंचता है।
प्लेट विवर्तनिकी में मेंटल प्लूम की महत्वपूर्ण भूमिका है:
पृथ्वी की स्वयंभू धुरी:
मेंटल प्लूम का उद्गार पृथ्वी की स्वयंभू धुरी को हिला सकता है, जिससे महाद्वीपों का आकार और स्थिति प्रभावित होती है।
कठोर प्लेट के निर्माण:
मेंटल प्लूम की गर्मी और दबाव के कारण प्लेट के शीर्ष हिस्सों में कठोर प्लेटें बनती हैं जो महाद्वीपों का निर्माण करती हैं।
ज्वालामुखी गतिविधि:
मेंटल प्लूम के उठाव से कई ज्वालामुखी गतिविधियां उत्पन्न हो सकती हैं जो प्लेट के आपसी संघर्ष को दर्शाते हैं।
See lessइस प्रकार, मेंटल प्लूम पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों को प्रभावित करके प्लेट विवर्तनिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विभिन्न प्रकार की प्लेट विवर्तनिक सीमाओं का सविस्तार वर्णन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
प्लेट विवर्तनिक सीमाएँ: सहायक सीमाएँ (Divergent Boundaries): विवरण: ये सीमाएँ तब बनती हैं जब दो टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर होती हैं। विशेषताएँ: इस प्रक्रिया में एक नई क्रस्ट का निर्माण होता है। इस प्रकार की सीमाओं पर आमतौर पर मिड-आट्लांटिक रिज जैसे महासागर के बीच रिफ्ट जोन और लावा के विस्फोटRead more
प्लेट विवर्तनिक सीमाएँ:
प्लेट विवर्तनिकी की ये सीमाएँ पृथ्वी की सतह की गतिशीलता और भूगर्भीय घटनाओं को समझने में महत्वपूर्ण हैं।
See lessमहाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत क्या है? इसका समर्थन करने वाले साक्ष्यों की विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) सिद्धांत का विवरण: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, जिसे अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया, यह मानता है कि प्राचीन काल में सभी महाद्वीप एक एकल विशाल महाद्वीप, पैंजिया, के रूप में एकत्रित थे। समय के साथ, पैंजिया टूटकर वर्तमान महाद्वीपों का निर्Read more
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory)
सिद्धांत का विवरण: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, जिसे अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया, यह मानता है कि प्राचीन काल में सभी महाद्वीप एक एकल विशाल महाद्वीप, पैंजिया, के रूप में एकत्रित थे। समय के साथ, पैंजिया टूटकर वर्तमान महाद्वीपों का निर्माण हुआ और ये धीरे-धीरे वर्तमान स्थानों पर पहुँचे।
साक्ष्य:
इन साक्ष्यों ने महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत को समर्थन दिया, हालांकि इसे अधिक व्यापक रूप से समझाने के लिए प्लेट टेक्टॉनिक्स के सिद्धांत का विकास हुआ, जिसने महाद्वीपीय प्रवाह और अन्य भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को एक एकीकृत ढांचे में समझाया।
See lessअंतर्जनित और बहिर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। साथ ही, अपक्षय के महत्व पर प्रकाश डालिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
अंतर्जनित और बहिर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ अंतर्जनित प्रक्रियाएँ (Endogenic Processes): परिभाषा: ये प्रक्रियाएँ पृथ्वी के अंदर की ताकतों द्वारा संचालित होती हैं। ये आमतौर पर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों से संबंधित होती हैं। उदाहरण: भूकंप: जब पृथ्वी की सतह पर तनाव औरRead more
अंतर्जनित और बहिर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ
अपक्षय का महत्व:
इस प्रकार, अंतर्जनित और बहिर्जनित प्रक्रियाएँ पृथ्वी की सतह और आंतरिक संरचना को विभिन्न तरीकों से आकार देती हैं, और अपक्षय की प्रक्रियाएँ इन परिवर्तनों के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करती हैं।
See lessपटल विरूपण की अवधारणा और इसमें शामिल प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
पटल विरूपण और शामिल प्रक्रियाएँ पटल विरूपण एक प्रक्रिया है जिसमें एक द्विआयामी वस्तु को तीसरे आयाम में प्रस्तुत किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य वस्तु के समरूप स्वरूप का प्रस्तुतिकरण करना है। अवधारणा: पटल विरूपण भूखंडों के तीन आयामों का प्रस्तुतिकरण है। यह वस्तु की 3D रूपरेखा को 2D परिपथ में प्रस्तRead more
पटल विरूपण और शामिल प्रक्रियाएँ
पटल विरूपण एक प्रक्रिया है जिसमें एक द्विआयामी वस्तु को तीसरे आयाम में प्रस्तुत किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य वस्तु के समरूप स्वरूप का प्रस्तुतिकरण करना है।
पटल विरूपण डिजाइनिंग, चित्रण, और अन्य क्षेत्रों में उपयोग होता है। यह व्यापक रूप से विज्ञान, तकनीक, और कला में भी उपयोग किया जाता है।
See lessहिमनदों के संचलन द्वारा निर्मित विभिन्न अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
हिमनदी संचलन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिससे हिमनदों के अभियांत्रिक संचालन द्वारा विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियों का निर्माण होता है। यह आकृतियाँ अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियों में सम्मिलित होती हैं। अपरदित भू-आकृतियाँ: भवन और अवसानीय निर्माण: हिमनदी संचालन से अपरदित भू-आकृतियाँ जैसे बांध, बांध का पRead more
हिमनदी संचलन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिससे हिमनदों के अभियांत्रिक संचालन द्वारा विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियों का निर्माण होता है। यह आकृतियाँ अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियों में सम्मिलित होती हैं।
हिमनदी संचलन द्वारा उपर्युक्त भू-आकृतियाँ निर्मित होती हैं जो विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करती हैं और जल संसाधनों का प्रबंधन सुनिश्चित करती हैं।
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